वे निशाने पर आने लगे, वे दामन बचाने लगे!

विजय मनोहर तिवारी की पुस्तक, ‘भोपाल गैस त्रासदी: आधी रात का सच’ से, 23/12/2021

हादसे के जिम्मेदारों को लेकर अब तक यहां-वहां मंडराते रहे कई अहम सवाल सतह पर आकर देश भर गरमागरम बहस का विषय बन चुके थे। जैसे अचानक ज्वालामुखी फटा और लावा बाहर बह निकला। जो जवाबदेह थे और जीवित थे, वे निशाने पर आ गए। लेकिन हर कोई बच रहा था और दूसरों पर जिम्मेदारी डाल रहा था। जो दिवंगत थे, वे भी सुर्खियों में समाने लगे।… 

राजीव गांधी सरकार ने भोपाल गैस त्रासदी के मुख्य आरोपी एंडरसन को भोपाल से अमेरिका तक सुरक्षित भेजने का इंतजाम किया था। यह खुलासा अमेरिका की केंद्रीय गुप्तचर संस्था (सीआईए) के दस्तावेज से हुआ है। गांधी के तत्कालीन प्रमुख सचिव पीसी अलेक्जेंडर ने भी इसमें राजीव की भूमिका होने का इशारा किया। इधर, मध्यप्रदेश के तत्कालीन गृह सचिव केएस शर्मा भी साफ कह दिया कि रिहाई का आदेश अर्जुन सिंह ने ही दिया होगा। मुख्य सचिव ऐसा फैसला खुद नहीं कर सकते थे। एंडरसन ने सात दिसंबर को भारत छोड़ा। अगले दिन यानी आठ दिसंबर 1984 के सीआईए के दस्तावेज से साफ हो जाता है कि एंडरसन को जमानत पर छोड़ने से लेकर सरकारी विमान से दिल्ली तक भिजवाने और फिर उसकी अमेरिका रवानगी राजीव गांधी सरकार के निर्देश पर हुई। मप्र की अर्जुन सिंह सरकार ने सिर्फ केंद्र के निर्देश का पालन किया। इधर, चेन्नई में अलेक्जेंडर ने एक टीवी चैनल से कहा कि हादसे के बाद संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक प्रधानमंत्री ने बुलाई थी। कमेटी के सदस्य न होते हुए भी अर्जुन सिंह बैठक में थे। बैठक में एंडरसन का कोई जिक्र नहीं आया। इसके बाद राजीव व अर्जुन की अकेले में बातचीत जरूर हुई। अलेक्जेंडर ने कहा कि या तो यह निर्णय प्रधानमंत्री ने लिया या किसी और के द्वारा लिए गए निर्णय से वे सहमत थे।…

हनुमानगंज थाना पुलिस ने एफआईआर में से आईपीसी की धारा-304 हटा दी थी। तभी एंडरसन व यूआईसीएल चेयरमैन केशव महिंद्रा और कंपनी के अधिकारी विजय प्रकाश गोखले को जमानत मिल पाई। सीजेएम कोर्ट सूत्रों ने बताया उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार तत्कालीन हनुमानगंज थाना प्रभारी सुरेंद्रसिंह ने सात दिसंबर 1984 को सुबह 10.10 बजे राकेश कुमार नामक व्यक्ति की उपस्थिति में जब आईपीसी की विभिन्न धाराओं में एंडरसन को गिरफ्तार किया तब एफआईआर में धारा 304 भी थी। तीनों आरोपियों पर आईपीसी की धारा 304 ए. 278, 284, 426 और 429 भी लगाई गई थी। बाद में धारा 304 मिटाकर उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया। 

…कांग्रेस की पूरी कोशिश अपने दागदार दामन को पाक साफ बताने की है। मोइली के बयान बता रहे हैं कि उनकी प्राथमिकता में पीड़ितों का पक्ष सबसे पीछे है, सबसे आगे है अपनी पार्टी। वे कानून मंत्री हैं, लेकिन कानून-कायदों की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले इस मामले में वे ऐसे सिरे तलाश रहे थे, जिनके सहारे दिवंगत राजीव गांधी की हिफाजत हो सके। … 

…मोइली ने संवाददाताओं से बातचीत में पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एएम अहमदी पर भी इशारों में निशाना साधा। उनका नाम लिए बिना कानून मंत्री ने कहा, ‘न्यायपालिका ने धीमी गति से काम किया। आरोपों को हल्का कर दिया।’ मोइली ने पूर्व नौकरशाह पीसी एलेक्जेंडर की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘एंडरसन की रिहाई के जिम्मेदार राजीव गांधी नहीं बल्कि उनके तत्कालीन प्रमुख सचिव एलेक्जेंडर ही थे। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी अच्छे से नहीं निभाई।…

…खबर है कि वर्ष 1996 में धाराए बदलने वाले जस्टिस अहमदी इस प्रकरण में सफेद झूठ बोल रहे हैं। उनका कहना है कि 1996 में जब उन्होंने धारा 304 (दस साल की जेल) को हटाकर सिर्फ धारा 304-ए (दो साल की जेल) में मुकदमा चलाने के आदेश दिए थे तो इस पर किसी ने पुनर्विचार याचिका नहीं लगाई थी। अगर याचिका लगाई जाती तो उस पर वे उचित फैसला देते। अहमदी का यह दावा सफेद झूठ है, क्योंकि गैस पीड़ितों के दो संगठनों की ओर से 1996 में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाई गई थी, जिसे अहमदी ने ही निरस्त कर दिया था। 

संगठनों का दावा है कि उनके पास सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई रिव्यू पिटीशन से संबंधित सभी दस्तावेज मौजूद हैं। गैस त्रासदी के आपराधिक मामले में धाराएं कम करने को लेकर 13 सितंबर 1996 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था। कोर्ट ने धारा 304 का अपराध कम किया था। जस्टिस अहमदी ने कहा था कि मामला धारा 304-ए सहित अन्य धाराओं में चलाया जाए। इसके बाद 29 नवंबर 1996 को गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार और गैस पीड़ित सहयोग समिति के एनडी जयप्रकाश ले सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका पेश की थी। इस पिटीशन को 10 मार्च 1997 को निरस्त कर दिया था। जब्बार बताते हैं कि वर्ष 1996 में ही भोपाल के हजारों गैस पीड़ितों ने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा था। अपील टू पार्लियामेंट की गई थी।… 

…वॉरेन एंडरसन की रिहाई को लेकर उठ रहे सवालों पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह ने चुप्पी साध रखी थी। लेकिन उनके एक पुराने बयान से उनकी असलियत सामने गई है। दिसंबर 1984 को छपे बयान अर्जुनसिंह खुलकर स्वीकार किया था कि केंद्र को सुरक्षित अमेरिका संबंध में अपनाई गई प्रक्रिया पूरी जानकारी थी।.. अर्जुनसिंह ने कहा था, यूनियन कार्बोइड कार्पोरेशन के अध्यक्ष वॉरेन एंडरसन की रिहाई से संबंधित प्रक्रिया की मुझे जानकारी है। जानकारी मैंने केंद्र सरकार को दी है। इस बारे में मैं स्पष्ट रूप से कह दूं कि इस देश में प्रचलित कानून प्रक्रिया का पालन करते हुए उनकी रिहाई हुई है। 
( जारी….)
——
विशेष आग्रह : #अपनीडिजिटलडयरी से जुड़े नियमित अपडेट्स के लिए डायरी के टेलीग्राम चैनल (लिंक के लिए यहाँ क्लिक करें) से भी जुड़ सकते हैं।  
——
(नोट : विजय मनोहर तिवारी जी, मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त, वरिष्ठ लेखक और पत्रकार हैं। उन्हें हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने 2020 का शरद जोशी सम्मान भी दिया है। उनकी पूर्व-अनुमति और पुस्तक के प्रकाशक ‘बेंतेन बुक्स’ के सान्निध्य अग्रवाल की सहमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर यह विशेष श्रृंखला चलाई जा रही है। इसके पीछे डायरी की अभिरुचि सिर्फ अपने सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक सरोकार तक सीमित है। इस श्रृंखला में पुस्तक की सामग्री अक्षरश: नहीं, बल्कि संपादित अंश के रूप में प्रकाशित की जा रही है। इसका कॉपीराइट पूरी तरह लेखक विजय मनोहर जी और बेंतेन बुक्स के पास सुरक्षित है। उनकी पूर्व अनुमति के बिना सामग्री का किसी भी रूप में इस्तेमाल कानूनी कार्यवाही का कारण बन सकता है।)
——-
श्रृंखला की पिछली कड़ियाँ 
9. एंडरसन को सरकारी विमान से दिल्ली ले जाने का आदेश अर्जुन सिंह के निवास से मिला था
8.प्लांट की सुरक्षा के लिए सब लापरवाह, बस, एंडरसन के लिए दिखाई परवाह
7.केंद्र के साफ निर्देश थे कि वॉरेन एंडरसन को भारत लाने की कोशिश न की जाए!
6. कानून मंत्री भूल गए…इंसाफ दफन करने के इंतजाम उन्हीं की पार्टी ने किए थे!
5. एंडरसन को जब फैसले की जानकारी मिली होगी तो उसकी प्रतिक्रिया कैसी रही होगी?
4. हादसे के जिम्मेदारों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए थी, जो मिसाल बनती, लेकिन…
3. फैसला आते ही आरोपियों को जमानत और पिछले दरवाज़े से रिहाई
2. फैसला, जिसमें देर भी गजब की और अंधेर भी जबर्दस्त!
1. गैस त्रासदी…जिसने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को सरे बाजार नंगा किया!

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Apni Digital Diary

Share
Published by
Apni Digital Diary

Recent Posts

बाबा साहेब से प्रेम और तिरंगे की मर्यादा…, सब दो दिन में ही भुला दिया!! क्यों भाई?

यह वीडियो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का है। देखिए गौर से, और सोचिए। शहर… Read More

24 hours ago

‘चिन्ताएँ और जूते दरवाज़े पर छोड़ दीजिए’, ऐसा लिखने का क्या मतलब है?

रास्ता चलते हुए भी अक्सर बड़े काम की बातें सीखने को मिल जाया करती हैं।… Read More

2 days ago

राजनैतिक दबाव में हँसकर माँगी माफ़ी से क्या ‘देवास की मर्यादा’ भंग करने का पाप कटेगा?

मध्य प्रदेश में इन्दौर से यही कोई 35-40 किलोमीटर की दूरी पर एक शहर है… Read More

3 days ago

“संविधान से पहले शरीयत”…,वक़्फ़ कानून के ख़िलाफ़ जारी फ़साद-प्रदर्शनों का मूल कारण!!

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भारी हिंसा हो गई। संसद से 4 अप्रैल को वक्फ… Read More

4 days ago

भारतीय रेल -‘राष्ट्र की जीवनरेखा’, इस पर चूहे-तिलचट्‌टे दौड़ते हैं…फ्रांसीसी युवा का अनुभव!

भारतीय रेल का नारा है, ‘राष्ट्र की जीवन रेखा’। लेकिन इस जीवन रेखा पर अक्सर… Read More

5 days ago

हनुमान जयन्ती या जन्मोत्सव? आख़िर सही क्या है?

आज चैत्र शुक्ल पूर्णिमा, शनिवार, 12 अप्रैल को श्रीरामभक्त हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया गया। इस… Read More

1 week ago