कश्मीर की इस बच्ची में ‘ड्राइव’ है, ‘कवर’ चाहिए…, मिला तो क्रिकेट का सितारा बनेगी

टीम डायरी

इस छोटी बच्ची का नाम है हुरमत इरशाद भट्‌ट। कश्मीर के एक ग्रामीण इलाक़े से ताल्लुक़ रखती है। उम्र महज़ नौ साल है। अभी तीसरी कक्षा में पढ़ती है। पर इतनी सहजता और परिपक्वता से क्रिकेट के शॉट खेलती है कि इस खेल के दिग्गज सचिन तेन्दुलकर तक इसकी प्रतिभा के कायल हुए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसका वीडियो देखा। इसके बाद उन्होंने इसी माध्यम से हुरमत के उज्जवल भविष्य के लिए विशेष रूप से शुभकामनाएँ भेजीं। हुरमत, हालाँकि सचिन के बजाय भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज को आदर्श मानती है। इसकी जानकारी मिताली को हुई तो उन्होंने भी इसकी सफलता की शुभेच्छाएँ भेजीं। 

ज़ाहिर तौर पर क्रिकेट की दुनिया के इन दो बड़े दिग्गजों की निग़ाह में आने और उनकी शुभकामनाएँ मिलने की वज़ह से देशभर में यह बच्ची रातों-रात सुर्ख़ियों में आ गई है। अलबत्ता, हम यहाँ बात उन सुर्ख़ियों से आगे की कर रहे हैं। मसलन- ऊपर दिए गए इस वीडियो में देखिए। पता चलेगा कि जब इस बच्ची का सचिन तेन्दुलकर ने ज़िक्र किया तो क्रिकेट के बल्ले बनाने वाली एक कश्मीरी कम्पनी के अफ़सर इसके पास पहुँच गए। उन्होंने इसे सचिन के दस्तख़त वाला एक बल्ला उपहार में दिया। इस बल्ले पर सचिन ने तब दस्तख़त किए थे, जब वे कश्मीर की हालिया यात्रा के दौरान बल्ला बनाने वाली इस कम्पनी की कार्यशाला में गए थे। 

आगे, वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि किस तरह मीडियाई ज़मात के लोग स्कूल की चलती कक्षा में घुसकर पढ़ाई के बीच से उठाकर बच्ची का साक्षात्कार ले रहे हैं। उसके माता-पिता, दादाजी से बात कर रहे हैं। वास्तव में, इस तरह से ये लोग बच्ची के माध्यम से अपने लिए लाइक्स, कमेंट्स और व्यूज़ बटोर रहे हैं (क्योंकि ऐसे और भी वीडियो हैं)। अपने ब्रांड के विज्ञापन (जैसे बल्ले बनाने वाली कम्पनी) का अप्रत्यक्ष उद्देश्य प्रकट कर रहे हैं। हालाँकि प्रत्यक्ष रूप से सब दावा कर सकते हैं कि वे तो बच्ची मदद ही कर रहे हैं। 

जबकि ऐसा नहीं है क्योंकि सही मायने में मदद तब होती, जब इस बच्ची को क्रिकेट में आगे ले जाने के लिए कहीं से कोई वित्तीय या विशेषज्ञ सहायता आदि का बन्दोबस्त कर दिया जाता। ताकि वह क्रिकेट से जुड़े अपने भविष्य के पथ पर पूरे भरोसे के साथ आगे बढ़ सके। लेकिन अब तक इसे ऐसी कोई मदद मिलने की जानकारी सामने नहीं आई है। अभी तो सब इसे और इसके परिवार को सितारा बनाकर अपना बाज़ारू मक़सद साधने में लगे हैं। इस ‘बाजारवादी खेल’ यह मासूम बच्ची और इसके सीधे-सादे परिजन अनभिज्ञ हैं। 

इसाीलिए जो जानकार हैं, समझदार हैं, उनसे यह अपेक्षा की जा सकती है कि वे किसी तरह से इस सिलसिले को अभी के लिए रुकवा दें। बच्ची को जिस तरह की मदद की दरक़ार है, वह सुनिश्चित कराएँ। उसे उसके करियर में वह मुक़ाम हासिल करने दें, जो वह करना चाहती है। यही उसके हित में होगा। 

इस वीडियो को फिर देखिए। इसमें एक जगह हुरमत ख़ुद को हरफ़नमौला बल्लेबाज़ (बैटिंग ऑलराउंडर) कहती है। इसी रूप में क्रिकेट में भविष्य देखती है। बातचीत में वह ‘कवर ड्राइव’ को पसन्दीदा शॉट बताती है। जबकि वास्तव में इन दो शब्दों (कवर ड्राइव) में इसके वर्तमान और भविष्य का दारोमदार भी है।

वर्तमान के लिए ‘ड़ाइव’ और भविष्य के लिए ‘कवर’। क्रिकेट के लिए ‘ड्राइव’ (कुछ कर गुज़रने का जज़्बा) इसके वर्तमान में साफ़ दिखती है। लिहाज़ा भविष्य के लिए इसे ‘कवर’ की ज़रूरत है। ‘कवर’ (सुरक्षा, बचाव) बाज़ारवादी चमक-दमक से। ‘कवर’ (वित्तीय और विशेषज्ञ सहयोग) क्रिकेटर बनने का इसका सपना पूरा करने के लिए। यह ‘कवर’ मिला तो हुरमत भारतीय क्रिकेट का सितारा बनेगी, इतना तय मान सकते हैं।   

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