‘डिजिटल अरेस्ट’: डर और असावधानी से हमने 4 महीने में 120 करोड़ गँवाए, अब तो चेतें!

टीम डायरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मसले को उठाया। लोगों को सचेत किया कि इस क़िस्म की धोखाधड़ी से बचें। उन्होंने तीन सूत्र भी दिए। पहला- जब भी ऐसी कोई कॉल आए तो थोड़ा ठहरें। दूसरा- सोचें और समझें। तीसरा- जरूरी कार्रवाई करें। हालाँकि उन्होंने एक बात नहीं कही। या वे शायद कहना भूल गए कि ऐसे मामलों से डरें बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि यही डर है, जिसे दिखाकर धोखाधड़ी करने वाले लोग हमसे मुनाफ़ा खींचते हैं। अवैध वसूली करते हैं। बल्कि कर चुके हैं।

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र (आई4सी) के आँकड़ों से इसकी पुष्टि होती है। आई4सी केन्द्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाली एक इकाई है। यह देश में साइबर अपराधाें पर नज़र रखती है। उससे सम्बन्धित कार्रवाई करती है। संस्था के मुताबिक, भारतीयों ने जनवरी से अप्रैल 2024 तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ से जुड़ी धोखाधड़ी में 120.30 करोड़ रुपए गँवा दिए हैं। इस नुक़सान का सबसे बड़ा कारण? ‘डर’। 

जी हाँ डर। प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम मे ही बताया था कि धोखाधड़ी करने वाले सामान्य लोगों को सरकारी या पुलिस अधिकारी आदि बनकर फोन करते हैं। उन्हें किसी न किसी मामले के आधार पर डराते हैं। फिर उन्हें एक बहुत कम समय-सीमा देकर उनसे आधार, पैन आदि उनकी निजी जानकारियाँ माँगते हैं। कभी-कभी मामला ख़त्म करने के लिए सीधे तौर पर पैसे माँग लेते हैं। या कभी पीड़ित द्वारा दी गई निजी जानकारियों की मदद से उसका बैंक खाता खाली कर देते हैं। लेकिन अगर कोई उनके डर के झाँसे में न आए तो?

तो वह बच सकता है। प्रधानमंत्री ने यही सुझाव दिया है। डरने से बेहतर है, थोड़ा ठहरें, सोचें और समझें कि कोई भी सरकारी अधिकारी, बैंक अधिकारी, पुलिस अफसर या किसी अन्य जाँच एजेंसी का अधिकारी इस तरह वीडियो या फोन कॉल करके जाँच नहीं करता। वह निजी जानकारियाँ देने का दबाव भी नहीं बनाता। वीडियो कॉल पर पैसों की माँग तो कर ही नहीं सकता। और तो और वैसा कोई संकेत भी दे सकता। आख़िर उसे भी तो पता होता ही है कि ऐसे में उसकी नौकरी ख़तरे में पड़ सकती है। तो वह ऐसा क्यों करेगा? 

इसीलिए अगर कोई इस तरह की हरक़त कर रहा है तो समझ जाएँ कि वह ज़रूर ही धोखाधड़ी करने वाला होगा। लिहाज़ा, प्रधानमंत्री द्वारा सुझाया गया तीसरा क़दम उठाएँ। यानि कार्रवाई करें। उस धोखेबाज़ की कॉल को रिकॉर्ड कर लें। उसे किसी तरह की निजी जानकारी तो दें ही नहीं। सम्बन्धित एजेंसियों तक सबूत के साथ उसकी शिक़ायत भी पहुँचाएँ। एक फोन नम्बर है 1930, इस पर शिकायत दर्ज़ कराएँ। 

इस तरह थोड़ा सचेत रहकर, थोड़ी सावधानी से हम अपना बड़ा नुक़सान बचा सकते हैं।  

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Neelesh Dwivedi

Share
Published by
Neelesh Dwivedi

Recent Posts

चन्द ‘लापरवाह लोग’ + करोड़ों ‘बेपरवाह लोग’’ = विनाश!

चन्द ‘लापरवाह लोग’ + करोड़ों ‘बेपरवाह लोग’’ = विनाश! जी हाँ, दुनियाभर में हर तरह… Read More

6 hours ago

भगवान महावीर के ‘अपरिग्रह’ सिद्धान्त ने मुझे हमेशा राह दिखाई, सबको दिखा सकता है

आज, 10 अप्रैल को भगवान महावीर की जयन्ती मनाई गई। उनके सिद्धान्तों में से एक… Read More

1 day ago

बेटी के नाम आठवीं पाती : तुम्हें जीवन की पाठशाला का पहला कदम मुबारक हो बिटवा

प्रिय मुनिया मेरी जान, मैं तुम्हें यह पत्र तब लिख रहा हूँ, जब तुमने पहली… Read More

2 days ago

अण्डमान में 60 हजार साल पुरानी ‘मानव-बस्ती’, वह भी मानवों से बिल्कुल दूर!…क्यों?

दुनियाभर में यह प्रश्न उठता रहता है कि कौन सी मानव सभ्यता कितनी पुरानी है?… Read More

3 days ago

अपने गाँव को गाँव के प्रेमी का जवाब : मेरे प्यारे गाँव तुम मेरी रूह में धंसी हुई कील हो…!!

मेरे प्यारे गाँव तुमने मुझे हाल ही में प्रेम में भीगी और आत्मा को झंकृत… Read More

4 days ago

यदि जीव-जन्तु बोल सकते तो ‘मानवरूपी दानवों’ के विनाश की प्रार्थना करते!!

काश, मानव जाति का विकास न हुआ होता, तो कितना ही अच्छा होता। हम शिकार… Read More

6 days ago