अंग्रेज हिंदु धार्मिक कानून के बारे में क्या सोचते थे?

माइकल एडवर्ड्स की पुस्तक ‘ब्रिटिश भारत’ से, 5/9/2021

अंग्रेजों के आने से पहले हिंदुस्तान में कानून की अपनी व्यवस्था थी। हिंदु और मुसलमानों की अपनी विधायी संस्थाएँ थीं। लेकिन मुग़लिया सल्तनत के ढहने के बाद ग़ैरज़िम्मेदार ताक़तों के तौर-तरीकों की वज़ह से वे या तो नष्ट हो गई थीं या काम करना बंद कर चुकी थीं। वैसे, एक न्यायिक संस्था अब भी थी, ग्राम पंचायतों की। लेकिन उसकी कोई सटीक कानून संहिता नहीं थी। इसकी गतिविधियाँ और फ़ैसले पिछले फैसलों या परंपराओं पर आधारित होते थे, जिनकी प्रकृति स्थानीय थी। इसीलिए इनके फ़़ैसलों और गतिविधियों की स्वीकार्यता भी स्थानीय स्तर पर ही थी। स्पष्ट अर्थों में पंचायत कोई न्यायिक अदालत नहीं, बल्कि मध्स्थता करने वाली संस्था थी। वह सिर्फ़ तभी काम करती थी, जब विवाद में उलझे पक्ष आपस में पंचायती मध्यस्थता के लिए राजी हों। पंचायत के पास अपने फ़ैसले लागू कराने की विशिष्ट शक्तियाँ भी नहीं थीं। 

वैसे, इसमें एक दिलचस्प पहलू दबाव बनाने की कुछ तकनीकें थीं। इनको ‘तकाज़ा’ और ‘धरना’ कहा जाता था। मॉन्सटुअर्ट एलफिंस्टन ने 1819 में इन तरीकों के बारे में लिखा था, “अगर किसी व्यक्ति की अपने से नीचे या बराबर दर्ज़े वाले से कोई माँग है, तो वह उसे उसका घर छोड़ने से रोक देता है। उसका हुक्का-पानी बंद कर या करवा देता है। कई बार खुली धूप में बैठे रहने के लिए उसे मज़बूर करता है। पर अगर देनदार ऊँचे दर्ज़े का है, तो लेनदार पहले उससे कहता है कि वह कुछ तो शर्म-लिहाज़ दिखाए। फिर अक़्सर सड़क पर सामने आ-आकर टोकता है। बार-बार उसके दरवाज़े पर जाकर शोर-शराबा करता है या किसी और से करवाता है। इसके बाद अगर ‘तकाज़ा’ से काम न चले तो ‘धरने’ का विकल्प आजमाया जाता है। इसमें भगवान को भी शामिल कर लिया जाता है। इसमें लेनदार दूसरे पक्ष के घर के बाहर जाकर बैठ रहता है। भूखा-प्यासा। जब तक कि उसकी माँग पूरी नहीं हो जाती। इसमें दबाव का मूल तत्त्व ये होता है कि अगर धरना-अनशन करने वाला व्यक्ति कहीं माँग पूरी हुए बिना भूख से मर गया तो इसका ज़िम्मेदार दूसरा पक्ष होगा। उस पर भगवान का कोप टूटेगा।” 

बहरहाल, देश में हिंदु कानून की तरह मुसलिम कानून भी था। उसे मुग़लों ने हिंदुस्तान में प्रभावी ढंग से लागू किया था। उसके तहत मुसलिमों के दीवानी नियम-क़ानून सिर्फ़ मुसलिम समुदाय पर ही लागू होते थे। हिंदु कानून की तरह ये भी मुख्य रूप से निजी मामलों से संबद्ध थे। जैसे, विवाह, संपत्ति आदि। लेकिन मुग़लों ने मुसलिम फौजदारी (आपराधिक) कानून हिंदुओं और मुसलमानों पर समान रूप से लागू किया। हालाँकि उन्होंने हिंदुस्तान के दोनों प्रमुख धार्मिक समुदायों (हिंदु-मुसलिम) के बीच विवादों के निपटारे की गरज से कभी कानून का संगठित ढाँचा नहीं बनाया।

इसीलिए जब अंग्रेज भारत आए तो उनकी पहली चिंता यही थी कि यहाँ न्याय प्रशासन गठित किया जाए। स्थापित किया जाए। लिहाज़ा इसकी नींव तब रखी गई, जब बंगाल में वारेन हेस्टिंग्स की सरकार थी। हेस्टिंग्स का पहला सिद्धांत यह था कि अदालतें सबके लिए होनी चाहिए। कोई किसी भी धर्म का हो, सबकी सुनवाई होनी चाहिए। लिहाज़ा सबसे पहले इस तरह की अदालतों की स्थापना बंगाल में हुई। फिर जैसे-जैसे अंग्रेजी हुकूमत का इलाका बढ़ा, देश के अन्य प्रांतों में भी स्थापित की गईं। बंगाल में अदालतें पहले जिला स्तर पर स्थापित हुईं। उन्हें मुफ़स्सल कहा जाता था। फिर इनके ऊपर सदर अदालतें थीं। ये दीवानी और आपराधिक मामलों में निचली अदालतों के ख़िलाफ़ अपील पर सुनवाई करती थीँ। आगे चलकर उच्च न्यायालय की स्थापना की गई। वह भी पहले कलकत्ता में ही। इसकी स्थापना के उद्देश्य के बारे में जैसा एडमंड बर्क लिखते हैं, “बंगाल में ब्रिटिश अधिकारियों, कर्मचारियों के अत्याचार, अनाचार से स्थानीय लोगों को ठोस सुरक्षा देना इस अदालत की स्थापना के मूल में है।” फिर मद्रास और बम्बई में ऐसी ही उच्च अदालतें स्थापित की गईं। ये अदालतें अंग्रेजों के मामले में अंग्रेजी कानून के हिसाब से फैसले करती थीं। जबकि भारतीयों से जुड़े मामलों में पारंपरिक कानूनों (हिंदु या मुसलिम) के हिसाब से। यह दोहरी न्यायिक (अंग्रेजी और पारंपरिक) व्यवस्था 1861 तक चली। 

हालाँकि उच्च अदालतों का न्याय क्षेत्र कितना, कहाँ तक हो, इस बारे में ब्रिटिश संसद ने जानबूझकर अस्पष्टता रखी। हिंदु-मुसलिम कानून की सही प्रकृति की जानकारी न होना शायद इसका बड़ा कारण था। अभी सिद्धांत था कि पारिवारिक और धार्मिक विवादों का निपटारा संबंधित धर्म के कानूनों के हिसाब से किया जाएगा। लेकिन वास्तव में ये धार्मिक कानून थे क्या, यह जानने-समझने की प्रक्रिया धीमी थी। लिहाज़ा हेस्टिंग्स ने इस कमी की पूर्ति के लिए हिंदु-मुसलिम कानून की किताबों के अनुवाद को प्रोत्साहित किया। इस दौरान पुराने ग्रंथ, सूत्र, टीका-टिप्पणी आदि अनुवादित किए गए। 

इसके नतीज़े में शुरुआती तौर पर अंग्रेजों ने हिंदु कानून के मामले में यह समझा कि ये सब काफ़ी संगठित (न्याय) प्रणाली का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसीलिए उन्हें जस का तस लागू भी किया। लेकिन थोड़े समय बाद उन्हें अहसास हुआ कि हिंदु धार्मिक कानून की व्याख्याओं और उनके प्रयोग में समरूपता नहीं है। उनकी शब्दावली भी स्पष्ट नहीं है। सर विलियम जोंस जैसे भाषाविज्ञानियों ने बड़ी मेहनत से तमाम हिंदु संदर्भ ग्रंथों का अनुवाद किया था। लेकिन उसे जेम्स मिल जैसे विचारक-प्रशासकों ने ख़ारिज़ कर दिया। इन शब्दों के साथ, “ढीले, अस्पष्ट, बेवकूफ़ी भरे और समझ में न आने लायक उद्धरणों तथा सूत्रवाक्यों का अव्यवस्थित संकलन। इन्हें मनमाने ढंग से विधि संहिताओं, धर्मनिष्ठ पुस्तकों, काव्य-महाकाव्यों से चुना गया। साथ में अर्थहीनता और अंधकार बढ़ाने वाली टीका-टिप्पणी पर ध्यान दिया गया। इससे सब घालमेल हो गया, जिसमें न कुछ परिभाषित हुआ, न स्थापित।”

(जारी…..)

अनुवाद : नीलेश द्विवेदी 
——
(नोट : ‘ब्रिटिश भारत’ पुस्तक प्रभात प्रकाशन, दिल्ली से जल्द ही प्रकाशित हो रही है। इसके कॉपीराइट पूरी तरह प्रभात प्रकाशन के पास सुरक्षित हैं। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अन्तर्गत प्रभात प्रकाशन की लिखित अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर इस पुस्तक के प्रसंग प्रकाशित किए जा रहे हैं। देश, समाज, साहित्य, संस्कृति, के प्रति डायरी के सरोकार की वज़ह से। बिना अनुमति इन किस्सों/प्रसंगों का किसी भी तरह से इस्तेमाल सम्बन्धित पक्ष पर कानूनी कार्यवाही का आधार बन सकता है।)
——
पिछली कड़ियाँ : 
19. रेलवे, डाक, तार जैसी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय विभाग किसने बनाए?
18. हिन्दुस्तान में ‘भारत सरकार’ ने काम करना कब से शुरू किया?
17. अंग्रेजों को ‘लगान का सिद्धान्त’ किसने दिया था?
16. भारतीयों को सिर्फ़ ‘सक्षम और सुलभ’ सरकार चाहिए, यह कौन मानता था?
15. सरकारी आलोचकों ने अंग्रेजी-सरकार को ‘भगवान विष्णु की आया’ क्यों कहा था?
14. भारत में कलेक्टर और डीएम बिठाने की शुरुआत किसने की थी?
13. ‘महलों का शहर’ किस महानगर को कहा जाता है?
12. भारत में रहे अंग्रेज साहित्यकारों की रचनाएँ शुरू में किस भावना से प्रेरित थीं?
11. भारतीय पुरातत्व का संस्थापक किस अंग्रेज अफ़सर को कहा जाता है?
10. हर हिन्दुस्तानी भ्रष्ट है, ये कौन मानता था?
9. किस डर ने अंग्रेजों को अफ़ग़ानिस्तान में आत्मघाती युद्ध के लिए मज़बूर किया?
8.अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को किसकी मदद से मारा?
7. सही मायने में हिन्दुस्तान में ब्रिटिश हुक़ूमत की नींव कब पड़ी?
6.जेलों में ख़ास यातना-गृहों को ‘काल-कोठरी’ नाम किसने दिया?
5. शिवाजी ने अंग्रेजों से समझौता क्यूँ किया था?
4. अवध का इलाका काफ़ी समय तक अंग्रेजों के कब्ज़े से बाहर क्यों रहा?
3. हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों के आधिपत्य की शुरुआत किन हालात में हुई?
2. औरंगज़ेब को क्यों लगता था कि अकबर ने मुग़ल सल्तनत का नुकसान किया? 
1. बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बावज़ूद हिन्दुस्तान में मुस्लिम अलग-थलग क्यों रहे?

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Apni Digital Diary

Share
Published by
Apni Digital Diary

Recent Posts

सरल नैसर्गिक जीवन मतलब अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी!

मानव एक समग्र घटक है। विकास क्रम में हम आज जिस पायदान पर हैं, उसमें… Read More

2 days ago

कुछ और सोचिए नेताजी, भाषा-क्षेत्र-जाति की सियासत 21वीं सदी में चलेगी नहीं!

देश की राजनीति में इन दिनों काफ़ी-कुछ दिलचस्प चल रहा है। जागरूक नागरिकों के लिए… Read More

3 days ago

सवाल है कि 21वीं सदी में भारत को भारतीय मूल्यों के साथ कौन लेकर जाएगा?

विश्व-व्यवस्था एक अमूर्त संकल्पना है और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले घटनाक्रम ठोस जमीनी वास्तविकता… Read More

4 days ago

महिला दिवस : ये ‘दिवस’ मनाने की परम्परा क्यों अविकसित मानसिकता की परिचायक है?

अपनी जड़ों से कटा समाज असंगत और अविकसित होता है। भारतीय समाज इसी तरह का… Read More

6 days ago

रिमोट, मोबाइल, सब हमारे हाथ में…, ख़राब कन्टेन्ट पर ख़ुद प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाते?

अभी गुरुवार, 6 मार्च को जाने-माने अभिनेता पंकज कपूर भोपाल आए। यहाँ शुक्रवार, 7 मार्च… Read More

7 days ago