ऋषि सुनक जब ख़ुद को भारतवंशी कहते हैं, तो उन्हें पाकिस्तानी बताने की होड़ क्यों?

टीम डायरी, 31/10/2022

ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के परिवार की जड़ें कहाँ हैं? ख़ुद ऋषि सुनक की मानें तो वे ‘भारतवंशी’ हैं। उन्हें उनके ‘भारतवंशी’ होने पर गर्व है। वे और उनका परिवार अपने पूजा-पाठ, धार्मिक आचार-व्यवहार से इस गर्व को प्रदर्शित भी करते हैं। उनकी वंशावली में भी भारत का ही ज़िक्र है। अविभाजित भारत का। वहाँ के गुज़राँवाला शहर में उनके दादा जी रामदास सुनक रहा करते थे। वहाँ से वह नैरोबी गए। बाद में उनका परिवार ब्रिटेन में जाकर बस गया। ये कहानी सबको पता है।

और जब ये सब हुआ, उस वक़्त में भारत पर अंग्रेजों का शासन था। लेकिन आज उन्हीं अंग्रेजों पर रामदास जी के पौत्र ‘भारतवंशी ऋषि’ का शासन है। इसी बात पर हिन्दुस्तान में एक बड़ा वर्ग ऋषि की उपलब्धित पर गर्वित है। होना भी चाहिए। क्योंकि यह क्षण, यह क़ामयाबी आम नहीं है। पर इसी बीच एक दूसरा वर्ग है, जिसे इस ‘गर्वोक्ति पर आपत्ति’ है। यह वर्ग हमेशा ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ का झंडा बुलन्द करता है। पर प्रतिपक्षी जब इस आज़ादी का इस्तेमाल करें, तो उसे आपत्ति होती है।

दिलचस्प ये कि यह वर्ग आपत्तियाँ जताते हुए कई बार उपहास उड़ाने जैसी स्थिति में आ जाता है। और उपहास उड़ाते-उड़ाते, उपहास बन जाने की भी। ऋषि सुनक के मामले में इस वक़्त यही हो रहा है। क्या पढ़े-लिखे और क्या कमपढ़। सब एक सुर से यह बताने में लगे हैं, ऋषि सुनक ‘पाकिस्तानी’ हैं। ख़ुद को बड़ा ख़बरनवीस कहने, मानने वाले एक-दो लोग तो ऋषि की इस उपलब्धि पर पाकिस्तान और पाकिस्तानियों को बधाई तक दे चुके हैं। ज़ाहिर है, इसके बाद हँसी के पात्र भी बन ही चुके हैं।

पर सवाल फिर भी अपनी जगह बने हुए हैं। पहला- ऋषि के दादाजी जब नैरोबी गए तब पाकिस्तान नाम का कोई मुल्क दुनिया के नक़्शे में कहाँ था? वे जब नैरोबी गए, तब हिन्दुस्तान पर शासन करने वाले अंग्रेज इस मुल्क को क्या कहते थे? दस्तावेज़ों में इसे किस नाम से दर्ज़ करते थे वे? ‘इंडिया’ या फिर दो मुल्कों की तरह ‘इंडिया’, ‘पाकिस्तान’? और तो और अंग्रेजों से पहले हुक़ूमत करने वाले मुस्लिम शासक इस सरज़मीं को क्या कहते थे? हिन्दुस्तान या कुछ और? वैसे, इन्हीं मुस्लिम और अंग्रेज शासकों के दौर की तारीख़ी किताबें कभी पलटे कोई। उनमें शान से लिखा होगा कई जगह, ‘इंडिया’ या ‘सरज़मीं-ए-हिन्दुस्तान’। 

इतना ही नहीं, ज़ेहन पर जोर डालेंगे थोड़ा, तो मुग़ल शासकों के ख़िताब भी ‘सुल्तान-ए-हिन्द’, ‘मल्लिका-ए-हिन्द’ जैसे जगमगाते नज़र आ जाएँगे। ये ख़िताब सवाल करने वालों से ही सवाल करते दिखेंगे कि ये ‘हिन्द’ आख़िर किस सरज़मीं को कहा गया है? पर इस सबके बावज़ूद ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी वाले वर्ग’ को ये तथ्य नज़र न आएँ शायद। क्योंकि ऐसे मसलों की तरफ़ उनकी याददाश्त कमज़ोर हो जाती होगी इस दौर में। क्योंकि इस वक़्त उन्हें याद रह जाता है, तो सिर्फ़ इतना कि उन्हें उस वर्ग की ख़िलाफ़त करनी है किसी भी तरह, जिसे वे फूटी आँख पसन्द नहीं करते। क्योंकि उन्हें याद रहता होगा कि उन लोगों को ‘उस वर्ग’ की राह में गड्‌ढे खोदने हैं। फिर भले ही वे ख़द इस गड्‌ढे में गिर जाएँ। पर उनसे पूछे कोई उनका ही ‘अपना-सा’, कि ऐसा विरोध भी किस काम का भाई? जब आपकी अक़्ल, शक़्ल ओ सूरत पर ही सवाल खड़े जो जाया करें।

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Neelesh Dwivedi

Share
Published by
Neelesh Dwivedi

Recent Posts

कोशिश तो खूब कर रहे हैं, मगर अमेरिका को ‘ग्रेट’ कितना बना पा रहे हैं ट्रम्प?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगभग वह सब कर रहे हैं, जो उनसे अपेक्षित था।… Read More

23 hours ago

समाचार चैनलों को सर्कस-नौटंकी का मंच बनाएँगे तो दर्शक दूर होंगे ही!

आज रविवार, 18 मई के एक प्रमुख अख़बार में ‘रोचक-सोचक’ सा समाचार प्रकाशित हुआ। इसमें… Read More

2 days ago

गाँव की दूसरी चिठ्ठी : रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ…!!

मेरे प्यारे बाशिन्दे, मैं तुम्हें यह पत्र लिखते हुए थोड़ा सा भी खुश नहीं हो… Read More

4 days ago

ट्रम्प की दोस्ती का अनुभव क्या मोदीजी को नई सोच की ओर प्रेरित करेगा?

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ चलाए गए भारत के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का नाटकीय ढंग से पटाक्षेप हो… Read More

5 days ago

ईमानदारी से व्यापार नहीं किया जा सकता, इस बात में कितनी सच्चाई है?

अगर आप ईमानदार हैं, तो आप कुछ बेच नहीं सकते। क़रीब 20 साल पहले जब मैं… Read More

6 days ago

जो हम हैं, वही बने रहें, उसे ही पसन्द करने लगें… दुनिया के फ़रेब से ख़ुद बाहर आ जाएँगे!

कल रात मोबाइल स्क्रॉल करते हुए मुझे Garden Spells का एक वाक्यांश मिला, you are… Read More

7 days ago