कितना बेहतर हो, अगर हम लड़कियों को उनकी सुरक्षा करना भी सिखाएँ!

खुशी अरोड़ा, दिल्ली से

आज मैं यह लेख एक ऐसे विषय पर लिख रही हूँ, जिसके बारे में जानना, समझना और अन्य लोगों को उसके लिए प्रेरित करना हमारे लिए बहुत जरूरी है। तो आज मेरे इस लेख का विषय है महिलाओं की सुरक्षा। महिलाओं की सुरक्षा एक ऐसा विषय है, जो हमें वर्तमान और भविष्य में बहुत जरूरी और मूल्यवान दिखाई दे रहा है। अगर हम आज इस बारे में बात नहीं करेंगे, तो हमारा आने वाला भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

महिलाओं की सुरक्षा आज भी हमारे समाज में प्राथमिकता का मसला नहीं है। इस बारे में हम कम जानते हैं। कम समझते हैं। और खुलकर बात नहीं कर पाते। खास कर के महिलाएँ व लड़कियाँ तो इस विषय के बारे में जान ही नहीं पातीं। क्योंकि हमारा समाज उनको सिर्फ यह समझा पाता है कि तुम्हें एक अच्छी गृहिणी, पढ़ी-लिखी महिला और सबकी बात मानने वाली कैसे बनना है। उनको यह कभी नहीं सिखाया जाता कि तुम्हें लड़कों से कैसे बचना है।

निश्चित रूप से यही कारण है कि हमने पिछले कुछ दिनों में देखा कि कितनी लड़कियाँ बेरहमी से मारी गईं। उनके साथ गलत हुआ। और मेरे हिसाब से तो बहुत गलत हुआ। लेकिन हम अब भी चुप बैठे हैं। न तो हमारी सरकार ने और न हमारे समाज में उस विषय के बारे मैं सोचा गया। न ही कोई एक्शन लिया गया। जबकि महिलाओं की सुरक्षा का यह विषय ऐसा है, जिस पर अगर हम अच्छी तरह ध्यान दें तो हजारों लड़कियों की जान बच सकती है।

आज का समय लड़कियों को सिर्फ पढ़ा-लिखाकर उन्हें हर कार्य में कुशल बना देने का ही नहीं है, बल्कि उन्हें अपनी सुरक्षा कैसे की जाए, यह बताना भी बहुत जरूरी है। अगर हम उन्हें यह नहीं बताएँगे कि अपनी सुरक्षा कैसे की जाए तो हम अपने आने वाले कल को अच्छा नहीं बना सकते। क्योंकि हमें हर समय किसी न किसी रूप में, चाहे वह बहन हो, बेटी, पत्नी या माँ, महिलाओं के सहयोग और समर्थन की जरूरत होती है।

लेकिन आज के समय में एक लड़की न तो अपने घर में, न समाज में, न स्कूल में और न ही किन्हीं अन्य जगहों पर सुरक्षित है। क्योंकि हमने उसको बचना तो सिखाया ही नहीं। हमने उसको सिर्फ पढ़ना-लिखना सिखा दिया। उसको खाना बनाना सिखा दिया। उसको दूसरों की इज्जत करना सिखा दिया। लेकिन अगर हमने उसको इस सबके साथ ही सुरक्षा के बारे में बताया होता तो? तब आज हम इतनी लड़कियों को खो नहीं देते।

कहते हैं लड़कियाँ सब कर सकती हैं। तो फिर सवाल यह कि वे अपनी सुरक्षा क्यों नहीं कर पातीं? क्यों नहीं कर सकतीं? कर सकती हैं। लड़कियाँ अपनी सुरक्षा भी कर सकती हैं। लेकिन उसके लिए जरूरी है कि हम अपनी बेटी, माँ, पत्नी, बहन आदि को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाएँ। जिससे वह आने वाली हर परिस्थिति में निडर होकर लड़ सके। अपने आपको बचा सके।

आने वाला भविष्य भी इन्हीं से है। वर्तमान भी इन्हीं से है। और बीता हुआ भूतकाल भी इन्हीं से ही था। अगर हम इनकी रक्षा करेंगे, इनकी इज्जत करेंगे, इनको इनकी सुरक्षा करना सिखाएँगे तो ही हम भविष्य में एक सुकून भरी जिन्दगी बिता पाएँगे। इसलिए आइए, मेरे साथ प्रण कीजिए कि हम अपनी बहन, बेटी, माँ सहित सभी लड़कियों को उनकी सुरक्षा के लिए प्रेरित करेंगे। उनको उनकी सुरक्षा करना सिखाएँगे। हम अपने लड़कों को लड़की की इज्जत करना सिखाएँगे। ध्यान रखिएगा, अगर हम आज यह प्रण नहीं लेंगे तो हम अपना भविष्य बिगड़ता हुआ, खत्म होता हुआ देखेंगे ।

धन्यवाद, अपना कीमती वक्त निकालकर मेरे इन विचारों को पढ़ने के लिए। मैं आशा करती हूँ कि हम सब इन विचारों पर अमल जरूर करेंगे। अपने घर में इस विषय पर जरूर अपनी बहन- बेटियों से वार्तालाप करेंगे। उनको समझाएँगे, उनकी सुरक्षा के बारे में।
——
(नोट : खुशी दिल्ली के आरपीवीवी सूरजमल विहार स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ती हैं। उन्होंने ‘अपनीडायरीलिखिए’ सेक्शन में लिखकर यह पोस्ट #अपनीडिजिटलडायरी तक पहुँचाई है। वह डायरी की पाठकों में से एक हैं।)
—–
खुशी के पिछले लेख

1. संस्कार हमारे जीवन में कैसे अच्छी या बुरी भूमिका निभाते हैं?

सोशल मीडिया पर शेयर करें
From Visitor

Share
Published by
From Visitor

Recent Posts

‘देश’ को दुनिया में शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है क्योंकि कानून तोड़ने में ‘शर्म हमको नहीं आती’!

अभी इसी शुक्रवार, 13 दिसम्बर की बात है। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लोकसभा… Read More

2 days ago

क्या वेद और यज्ञ-विज्ञान का अभाव ही वर्तमान में धर्म की सोचनीय दशा का कारण है?

सनातन धर्म के नाम पर आजकल अनगनित मनमुखी विचार प्रचलित और प्रचारित हो रहे हैं।… Read More

4 days ago

हफ़्ते में भीख की कमाई 75,000! इन्हें ये पैसे देने बन्द कर दें, शहर भिखारीमुक्त हो जाएगा

मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर को इन दिनों भिखारीमुक्त करने के लिए अभियान चलाया जा… Read More

5 days ago

साधना-साधक-साधन-साध्य… आठ साल-डी गुकेश-शतरंज-विश्व चैम्पियन!

इस शीर्षक के दो हिस्सों को एक-दूसरे का पूरक समझिए। इन दोनों हिस्सों के 10-11… Read More

6 days ago

‘मायावी अम्बा और शैतान’ : मैडबुल दहाड़ा- बर्बर होरी घाटी में ‘सभ्यता’ घुसपैठ कर चुकी है

आकाश रक्तिम हो रहा था। स्तब्ध ग्रामीणों पर किसी दु:स्वप्न की तरह छाया हुआ था।… Read More

7 days ago