आज चैत्र नवरात्र का प्रथम दिवस। स्वतंत्रता पश्चात् ऐसे कई नवरात्र आए भगवती देवी की कृपा से हम भारतीय संस्कृति के पर्वों को बिना भय…
View More अख़बार के शीर्षक में ‘चैत्र’ नवरात्र को ‘शारदीय’ नवरात्र लिखा गया हो तो इसे क्या कहेंगे?Author: From Visitor
क्या ज़मीन का एक टुकड़ा औलाद को माँ-बाप की जान लेने तक नीचे गिरा सकता है?
भारत अपनी संस्कृति, मिलनसारता और अपनत्त्व के लिए जाना जाता है। इसलिए क्योंकि शायद बचपन से ही भारतीयों को रिश्ते निभाना सिखाया जाता है। वे…
View More क्या ज़मीन का एक टुकड़ा औलाद को माँ-बाप की जान लेने तक नीचे गिरा सकता है?आधुनिक विज्ञान तात्कालिक फायदों के साथ विकृतियाँ भी देता है, पढ़िए कैसे!
पूर्व के दो भागों में हमें सृष्टि-विकास और स्वास्थ्य की दृष्टि से जीवों के सूक्ष्मजैविक तंत्र के स्तर पर पारस्परिक विनिमय के महत्त्व का अवलोकन…
View More आधुनिक विज्ञान तात्कालिक फायदों के साथ विकृतियाँ भी देता है, पढ़िए कैसे!मेरी इतिहास की किताबों में ‘छावा’ (सम्भाजी महाराज) से जुड़ी कोई जानकारी क्यों नहीं थी?
हमारी शिक्षा कितनी खोखली और तथ्यात्मक रूप से तोड़ी-मरोड़ी हुई है, इसका एहसास मुझे एक बार फिर बीती शाम को तब हुआ जब मैंने ‘छावा’…
View More मेरी इतिहास की किताबों में ‘छावा’ (सम्भाजी महाराज) से जुड़ी कोई जानकारी क्यों नहीं थी?स्वस्थ जीवन को लेकर विज्ञान की दृष्टि अपूर्ण, इसमें सुधार जरूरी
नैसर्गिक और स्वस्थ जीवन सरल और सुलभ है। बिना किसी प्रयास के यह सहज उपलब्ध है। पशु, पक्षी, कीट-पतंगे, जलचर, वृक्ष-वनस्पति सभी जीवन को सहज…
View More स्वस्थ जीवन को लेकर विज्ञान की दृष्टि अपूर्ण, इसमें सुधार जरूरीहोली की शुभकामना का एक सन्देश यह भी- रंग प्रेम है, तो संग राधा और जीवन कृष्ण!
होली पर #अपनीडिजिटलडायरी को मिले शुभकामना सन्देशों में एक बेहद ख़ास रहा है। #अपनीडिजिटलडायरी के साथ निरन्तरता से जुड़े सतना मध्य प्रदेश के दीपक गौतम…
View More होली की शुभकामना का एक सन्देश यह भी- रंग प्रेम है, तो संग राधा और जीवन कृष्ण!सरल नैसर्गिक जीवन मतलब अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी!
मानव एक समग्र घटक है। विकास क्रम में हम आज जिस पायदान पर हैं, उसमें अन्य प्राकृतिक सहयोगियों की भूमिका जितनी अहम है, उसको हम…
View More सरल नैसर्गिक जीवन मतलब अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी!कुछ और सोचिए नेताजी, भाषा-क्षेत्र-जाति की सियासत 21वीं सदी में चलेगी नहीं!
देश की राजनीति में इन दिनों काफ़ी-कुछ दिलचस्प चल रहा है। जागरूक नागरिकों के लिए ये सभी घटनाक्रम ‘रोचक-सोचक’ हैं और ‘सरोकार’ से जुड़े हुए…
View More कुछ और सोचिए नेताजी, भाषा-क्षेत्र-जाति की सियासत 21वीं सदी में चलेगी नहीं!सवाल है कि 21वीं सदी में भारत को भारतीय मूल्यों के साथ कौन लेकर जाएगा?
विश्व-व्यवस्था एक अमूर्त संकल्पना है और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले घटनाक्रम ठोस जमीनी वास्तविकता होेते हैं। विश्व-व्यवस्था में हो रहे परिवर्तनों को लेकर जो…
View More सवाल है कि 21वीं सदी में भारत को भारतीय मूल्यों के साथ कौन लेकर जाएगा?महिला दिवस : ये ‘दिवस’ मनाने की परम्परा क्यों अविकसित मानसिकता की परिचायक है?
अपनी जड़ों से कटा समाज असंगत और अविकसित होता है। भारतीय समाज इसी तरह का उदाहरण है। उसके पास अपना इतिहास है, लेकिन उससे सीखने…
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