सफ़ाई हमारी ज़िन्दगी का वह अहम हिस्सा है, जो हमारे व्यक्तित्त्व की पहचान भी कराता है। एक सफ़ाई पसन्द व्यक्ति ही अस्ल में ज़िम्मेदार शख़्स…
View More साफ़-सफ़ाई सिर्फ सरकारों की ज़िम्मेदारी नहीं, देश के हर नागरिक की हैAuthor: From Visitor
‘संस्कृत की संस्कृति’ : बहस क्या है… वाद या वितण्डा? जानने के लिए पढ़िए
प्राय: हम देखते हैं कि भारतीय संस्कृति के प्रतीकों और मान्यताओं को ही नहीं अपितु संस्कृति से जुड़े छोटे-छोटे विचारों, कथनों, वाक्यों और यहाँ तक…
View More ‘संस्कृत की संस्कृति’ : बहस क्या है… वाद या वितण्डा? जानने के लिए पढ़िएगुढी पाडवा : धर्ममय प्राणों के नवोन्मेष का काल
निसर्ग में अनुस्यूत परमतत्त्व जिस ऋतु-पर्यावरण, आचार-विचार, आहार-विहार चक्र से मानवता में प्रवाहित हाेता है उसके विज्ञान के ज्ञान को भी धर्म कहते हैं। हमारे…
View More गुढी पाडवा : धर्ममय प्राणों के नवोन्मेष का कालख़ुद के अंदर कहीं न कहीं, तुम अब भी मौजूद हो
मैं मिल जाती हूँ ख़ुद से जब हवा मुझे छूकर गुज़रती है वो याद दिलाती है मुझे बार बार कि मैं मौजूद हूँ सूखे पत्तों…
View More ख़ुद के अंदर कहीं न कहीं, तुम अब भी मौजूद होदेखो प्रिय वसंत….
देखो प्रिय वसंत जरा बाहर आओ मधुमास की सुबह है कन्नौज के इत्रों से अधिक महक रहा जाने अनजाने फूलों का यह वितान वसंत के…
View More देखो प्रिय वसंत….सिंगापुर वरिष्ठ कर्मचारियों को पढ़ने के लिए फिर यूनिवर्सिटी भेज रहा है और हम?
सिंगापुर में 40 साल की उम्र से ऊपर के वरिष्ठ कर्मचारियों को पढ़ने के लिए फिर विश्वविद्यालयों में भेजा जा रहा है। क्यों? क्योंकि उन्होंने…
View More सिंगापुर वरिष्ठ कर्मचारियों को पढ़ने के लिए फिर यूनिवर्सिटी भेज रहा है और हम?‘संस्कृत की संस्कृति’ : “अनर्थका: हि मंत्रा:” यानि मंत्र अनर्थक हैं, ये किसने कहा और क्यों?
आज हम सभी चीजों, बातों और विचारों को वैज्ञानिक कसौटी पर कसना चाहते हैं। तब मन में प्रश्न आता है, क्या प्राचीन काल में चीजों…
View More ‘संस्कृत की संस्कृति’ : “अनर्थका: हि मंत्रा:” यानि मंत्र अनर्थक हैं, ये किसने कहा और क्यों?छेड़ो नहीं बस, रंग दो लाल…
होली के मौके पर भोपाल, मध्य प्रदेश की जानी-मानी भरतनाट्यम गुरु श्रीमति लतासिंह मुंशीजी की शिष्या वैष्णवी द्विवेदी द्वारा तैयार की गई एक सुन्दर नृत्य…
View More छेड़ो नहीं बस, रंग दो लाल…होली जैसे त्यौहारों की धरोहर उसके मौलिक रूप में अगली पीढ़ी को सौंपें तो बेहतर!
पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक होते हैं। ये समाज की विविध मान्यताओं वा परम्पराओं को अभिव्यक्ति प्रदान करते हैं। इसी क्रम में हम बचपन से होली…
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