स्कूल से घर लौटते वक्त अक्सर मानसरोवर पार्क के पास की झुग्गियों पर नज़र पड़ जाया करती है। इनके बारे में इतना कभी नहीं सोचा।…
View More बेहतर है कि इनकी स्थिति में सुधार लाया जाए, एक कदम इनके लिए भी बढ़ाया जाएTag: अपना पन्ना
पूछती हो, तुम्हारा प्रेम क्या है? सुनो…
पूछती हो, तुम्हारा प्रेम क्या है? सुनो! तुम जानती हो मुझे शायद मुझसे बेहतर ही।चंद शौक, यादों और नापसंदगियों की दास्तां है।। और तुम भी…
View More पूछती हो, तुम्हारा प्रेम क्या है? सुनो…सब छोड़िए, लेकिन अपना शौक़, अपना ‘राग-अनुराग’ कभी मत छोड़िए
घर से काम करने की सुविधा (वर्क फ्रॉम होम- डब्ल्यूएफएच) ने मुझे मेरे शौक़, मेरे ‘राग-अनुराग’, यानी क्रिकेट के साथ जुड़े रहने की गुंजाइश दी…
View More सब छोड़िए, लेकिन अपना शौक़, अपना ‘राग-अनुराग’ कभी मत छोड़िए‘जल पुरुष’ राजेन्द्र सिंह जैसे लोगों ने राह दिखाई, फिर भी जल-संकट से क्यूँ जूझते हम?
गर्मियों के मौसम देश के किसी न किसी हिस्से में ‘पानी की कमी’ की ख़बरें अक्सर पढ़ती हूँ। मिसाल के तौर पर बेंगलुरू में पानी…
View More ‘जल पुरुष’ राजेन्द्र सिंह जैसे लोगों ने राह दिखाई, फिर भी जल-संकट से क्यूँ जूझते हम?‘संस्कृत की संस्कृति’ : ‘परिवार दिवस’- क्या हम ‘परिवार’ की भारतीय अवधारणा समझते हैं?
नए दौर के चलन के मुताबिक, आज 15 मई, बुधवार को ‘परिवार दिवस’ मना लिया गया। हालाँकि कोई भी दिवस मनाना मेरे लिए बस इतना…
View More ‘संस्कृत की संस्कृति’ : ‘परिवार दिवस’- क्या हम ‘परिवार’ की भारतीय अवधारणा समझते हैं?Poem : It is nothing but HAPPINESS.
Its impossible these daysand difficult when it misplace. It is precious as a diamond,and beautiful as an island. Its a color of our life,which makes…
View More Poem : It is nothing but HAPPINESS.हमारा समाज ‘मदर केयर’ की बात करता है, ‘मदर की कदर’ नहीं करता…, करनी चाहिए
अभी कुछ दिन पहले की बात है। दिल्ली के बड़े अस्पताल में किसी मित्र के साथ जाना हुआ। वहाँ डॉक्टर के इंतिज़ार में एक माँ…
View More हमारा समाज ‘मदर केयर’ की बात करता है, ‘मदर की कदर’ नहीं करता…, करनी चाहिएभगवान सबके पास नहीं हो सकते, इसलिए माँ बनाई, उसके लिए रोज 10 मिनट दीजिए
माता के समान कोई छाया नहीं। कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं। नमस्कार, आप सभी को।…
View More भगवान सबके पास नहीं हो सकते, इसलिए माँ बनाई, उसके लिए रोज 10 मिनट दीजिएआओ कोई ख़्वाब बुनें : ऐसे सिद्धान्तों के साथ जीवन मुश्किल है, पर हम लगे हैं कि…
मनोज कुयटे और कोमल कुयटे महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के संग्रामपुर तालुका के रहने वाले हैं। मनोज ने टाटा सामाजिक संस्थान, मुम्बई से जल नीति…
View More आओ कोई ख़्वाब बुनें : ऐसे सिद्धान्तों के साथ जीवन मुश्किल है, पर हम लगे हैं कि…एक फ्रेम, असीम प्रेम : हम तीन से छह दोस्त हो सकते थे, नहीं हो पाए
आज फेसबुक पर याद गली में चला गया। वहाँ कुछ बरस पुरानी यादें ताज़ादम होने को बेताब दिखीं। देखा कि चार बरस पहले आज ही…
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