दूर कहीं पदचाप सुनाई देते हैं…‘वा घर सबसे न्यारा’ ..

शोर में बहुधा एकांत छिन जाने का खतरा रहता है। पर कुछ शोर मन को बहुत भाते हैं। मसलन- चिड़ियों की चहचहाट, टिटहरी की चीख, मुंडेर पर…

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धर्म-पालन की तृष्णा भी कैसे दु:ख का कारण बन सकती है?

भगवान बुद्ध दुःख के कार्य-कारण बताते हैं। इसमें दुःख समुदाय, यह दूसरा आर्यसत्य है। दुःख है तो दुःख के कारण भी होते ही हैं। इन कारणों को…

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बाबू , तुम्हारा खून बहुत अलग है, इंसानों का खून नहीं है…

देवास के जवाहर चौक में एक ही बड़ी सी दुकान थी झँवर सुपारी सेंटर। मंगरोली सुपारी वहीं मिलती थी, जिसे काटो तो नारियल जैसी लगती थी। घर में एक…

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“अपने प्रकाशक खुद बनो”, बुद्ध के इस कथन का अर्थ क्या है?

भगवन बुद्ध ने दु:ख को पहला सत्य बताया। बड़े अद्भुत हैं बुद्ध। बहुत लम्बी-चौड़ी बात नहीं करते। एक शब्द में बता दिया कि समस्या क्या है। …

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रास्ते की धूप में ख़ुद ही चलना पड़ता है, निर्जन पथ पर अकेले ही निकलना होगा

रास्ते की धूप में ख़ुद ही चलना पड़ता है। चाहे नरम धूप हो या कड़क। सब देह को ही सहना है। धूप जब भीतर आत्मा तक छनकर…

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बुद्ध की दृष्टि में दु:ख क्या है और आर्यसत्य कौन से हैं?

भगवान बुद्ध ने पंचवर्गीय भिक्षुओं को अपनी बात सुनने के लिए मना लिया। तथागत ने उन्हें समझाया। उनकी रुचि देख जो पहला उपदेश दिया वह…

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बीती जा रही है सबकी उमर पर हम मानने को तैयार ही नहीं हैं

अड़सठ घाट भीतर हैं। कहाँ जाना है? न गंगा, न यमुना, सुमिरन कर ले मेरे मना, मन चंगा तो कठौती में ही गंगा है। बीती जा रही है…

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वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध का पुनर्जन्म और धर्मचक्रप्रवर्तन

वन में वैशाख पूर्णिमा को जन्मा राजकुमार फिर वन की तरफ चल दिया। पुनः जन्म लेने हेतु। वह राजगृह के घने वनों में भटकता रहा।…

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लगता है, हम सब एक टाइटैनिक में इस समय सवार हैं और जहाज डूब रहा है

यहाँ आसमान में कड़क बिजलियाँ चमक रही है। बादलों की गड़गड़ाहट में किसी की आवाज सुनाई नहीं देती। बरसात की बूंदें बड़े ओलों के रूप में…

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ये पंछियों की चहचहाहट नहीं, समय का गीत है

ये राजस्थान के एक गाँव का दृश्य है। सवेरा अभी हुआ नहीं है। बस होने को है। यह सूर्योदय से ठीक पहले की वेला है।…

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