विश्व-व्यवस्था एक अमूर्त संकल्पना है और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले घटनाक्रम ठोस जमीनी वास्तविकता होेते हैं। विश्व-व्यवस्था में हो रहे परिवर्तनों को लेकर जो…
View More सवाल है कि 21वीं सदी में भारत को भारतीय मूल्यों के साथ कौन लेकर जाएगा?Tag: सरोकार
महिला दिवस : ये ‘दिवस’ मनाने की परम्परा क्यों अविकसित मानसिकता की परिचायक है?
अपनी जड़ों से कटा समाज असंगत और अविकसित होता है। भारतीय समाज इसी तरह का उदाहरण है। उसके पास अपना इतिहास है, लेकिन उससे सीखने…
View More महिला दिवस : ये ‘दिवस’ मनाने की परम्परा क्यों अविकसित मानसिकता की परिचायक है?रिमोट, मोबाइल, सब हमारे हाथ में…, ख़राब कन्टेन्ट पर ख़ुद प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाते?
अभी गुरुवार, 6 मार्च को जाने-माने अभिनेता पंकज कपूर भोपाल आए। यहाँ शुक्रवार, 7 मार्च को रवीन्द्र भवन में हुए नाटक ‘दोपहरी’ में उन्होंने मुख्य…
View More रिमोट, मोबाइल, सब हमारे हाथ में…, ख़राब कन्टेन्ट पर ख़ुद प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाते?ध्यान दीजिए और समझिए.., कर्नाटक में कलाकारों के नट-बोल्ट कसेगी सरकार अब!
कला, साहित्य, संगीत, आदि के क्षेत्र में सक्रिय लोगों को समाज में सम्मान की निग़ाह से देखा जाता है। क्यों? क्योंकि वे बरसों-बरस की साधना…
View More ध्यान दीजिए और समझिए.., कर्नाटक में कलाकारों के नट-बोल्ट कसेगी सरकार अब!विश्व वन्यजीव दिवस : शिकारियों के ‘सक्रिय’ दल, मध्य प्रदेश की जंगल-फौज ‘पैदल’!
“घने जंगलों में निगरानी के लिहाज़ से ‘पैदल’ गश्त सबसे अच्छी होती है। इसलिए मध्य प्रदेश में हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारी जंगल-फ़ौज के…
View More विश्व वन्यजीव दिवस : शिकारियों के ‘सक्रिय’ दल, मध्य प्रदेश की जंगल-फौज ‘पैदल’!जाल में जेलेंस्की, मगर ज़िम्मेदार कौन? और अब अगला कौन?
विश्व के सबसे शक्तिशाली और समृद्ध देश अमेरिका के राष्ट्रपति भवन से इसी 28 फरवरी, शुक्रवार को पूरी दुनिया ने एक विचित्र नज़ारा देखा। वहाँ…
View More जाल में जेलेंस्की, मगर ज़िम्मेदार कौन? और अब अगला कौन?गाने वाली घड़ी कहानी ‘प्रहर’ का अगला पड़ाव अब रंग-ओ-अदब की महफ़िल पटना में
‘गाने वाली घड़ी की कहानी-प्रहर’ का सफ़र जारी है। ‘भोपाल साहित्य उत्सव’ के दौरान भारत भवन से हुई शुरुआत के बाद बेंगलुरू में 16 फरवरी…
View More गाने वाली घड़ी कहानी ‘प्रहर’ का अगला पड़ाव अब रंग-ओ-अदब की महफ़िल पटना मेंक्या! पॉलीथिन नहीं लेनी, इन्दौर से आए हाे क्या? देखें, यूँ बनती है शहर की पहचान आपसे!
अभी कुछ दिनों पहले की बात है। मैं घर के पास एक किराना दुकान पर गया था। दो-तीन चीजें लेनी थीं। तो वहाँ सामान लेने…
View More क्या! पॉलीथिन नहीं लेनी, इन्दौर से आए हाे क्या? देखें, यूँ बनती है शहर की पहचान आपसे!माँ गंगा की सुरक्षा में 1,100 जवान, ये गन्दगी फैलाने वालों को देखते ही मार देते हैं!
“माँ गंगा की सुरक्षा में 1,100 जवान तैनात हैं। ये गंगा जल में गन्दगी फैलाने वालों को देखते ही मार देते हैं। एक-एक सुरक्षा जवान…
View More माँ गंगा की सुरक्षा में 1,100 जवान, ये गन्दगी फैलाने वालों को देखते ही मार देते हैं!साल 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य क्या वाकई असम्भव है? या फिर कैसे सम्भव है?
किसी महात्वाकांक्षी लक्ष्य को पटरी उतारने या हतोत्साहित करने का सबसे बढ़िया है, उस पर सवाल खड़ा कर दिया जाए। जैसे…. 1 – “इसे प्राप्त…
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