एक कहानी ; उम्मीद के दीए की…

  वक़्त मुश्किल है। एक अदृश्य दुश्मन (कोरोना) है, जिसने मानवता के ख़िलाफ़ जंग छेड़ रखी है। हमारे घरों में घुसकर हमारे अपनों को वह…

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मेट्रोनामाः इस क्रूरतम समय में एक सुन्दरतम घटना

रोज़ाना की तुलना में आज मेट्रो सूनी है। इतना सूनापन डराता है। हालाँकि आज दिल्ली में कर्फ्यू है। लेकिन ज़िन्दगी तो चल ही रही है। कुछ…

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भेदभावविनाशकं खलु दिव्यभाषा संस्कृतम्

धर्म, जाति, भाषा के नाम पर एक-दूसरे के ख़िलाफ़ खड़े होने की सूचना-सामग्री अथाह है। समाचार माध्यमों और कथित सामाजिक माध्यमों (Social Media) पर ऐसा…

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निर्मल वर्मा की जयन्ती और एक प्रश्न, किताबों से बड़ा ज्ञान या ज्ञान से बड़ी किताबें?

किताबें ज्ञान का स्रोत हैं या फिर ज्ञान किताबों के सृजन का माध्यम? इस प्रश्न पर विचार का भरा-पूरा कारण दिया है इस कविता ने। प्रश्न के…

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रंगपंचमी, सूखे रंग और कैनवास पर रंगोली!

मराठी संस्कृति वृहद और समृद्ध है। इसके कई अच्छे गुणों में संस्कार से लेकर खान-पान, पहनावा और घर परिवारों का रखरखाव भी महत्वपूर्ण है। इसके…

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हिन्दी में लिखना ही तुम्हारी शरण अर्हता का प्रमाण है!

हिन्दी के लेखक लोग #NoToFree चला रहे हैं, माने मुफ़्त में कुछ नहीं। इसके विरोध में मेरा #YesToFree है। मैं सभी तरह के कार्यक्रमों, मंचों,…

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अहो! भारत के तेज से युक्त यह होली दिख रही है..

जिस उम्र में लोग आधुनिकता और दुनियावी चमक-दमक के पीछे भागते हैं, उस उम्र में कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो संस्कृत और संस्कृति को…

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खोल दो बन्धन इनके, हर मंज़िल पा जाएँगी!

माँ अब बदल रही है। पर कितनी, कहाँ। और कहाँ नहीं। वक़्त के साथ उसका बदलना कितना ज़रूरी है। इस कविता में ऐसे कुछ पहलू…

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संगीत और साहित्य का नगरकीर्तन

नगर कीर्तन, सदियों पुरानी एक विशुद्ध भारतीय परम्परा। सुबह-सुबह कुछ लोग जब हरिनाम संकीर्तन, भक्तिपद गाते हुए हमारे दिन को ‘सुदिन’ बनाने के मकसद से…

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इस विज्ञापन से क्या हम कुछ सीख सकते हैं?

ये एक विज्ञापन है। लेकिन बेहद प्रासंगिक, संवेदनशील और सामाजिक सन्देश देने वाला। सामाजिक इसलिए क्योंकि मातृशक्ति रूप बेटियों की अहमियत हमेशा ही कम आँके…

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