अचरज है। सामाजिक कहलाने वाले तमाम मंच (सोशल मीडिया प्लेटफार्म) आज ‘रंगों’ की चर्चा से बजबजा नहीं रहे हैं। जबकि घटना तो ये कहीं ज़्यादा हौलनाक नहीं है क्या? पंजाब के पटियाला में 12 अप्रैल की सुबह ही हुई है। ख़ुद को ‘धार्मिक’ कहने वाले कुछ लोगों ने तलवार से पुलिस के एक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) के हाथ काट दिए।
इस एएसआई के हाथों का कुसूर क्या था? सिर्फ़ इतना कि वे ऐसे ही लोगों की चाक-चौबन्द सुरक्षा में लगे हुए थे। कोरोना जैसी महामारी से कभी भी संक्रमित होने का ख़तरा मोल लेकर इनको बचाने में लगे थे। ये पक्का कर रहे थे कि महामारी का प्रसार रोकने की गरज से शहर में लगे कर्फ्यू का कोई उल्लंघन न करे। नहीं तो दूसरी ज़िन्दगियों को ख़तरा पैदा हो सकता है। ‘उन लोगों’ को कर्फ्यू तोड़ते देखा तो रोक लिया। इस हाल में ऐसे घूमने का अधिकार पत्र मॉग लिया।
तो अपने दिन का चैन, रातों की नींद हराम कर जन-जन की सुरक्षा करना क्या इतना बड़ा कसूर है कि ऐसा करने वाले के हाथ ही काट लिए जाएँ? सम्भव है, एएसआई की बातचीत का लहज़ा नाग़वार बन गया हो। पर क्या तब भी उन्हें ऐसी सजा दी जा सकती थी? वह भी महामारी के इस भयावह माहौल में सुरक्षाकर्मियों के योगदान को देखते हुए?
सुना है, चंडीगढ़ के बड़े अस्पताल में एएसआई का इलाज हो रहा है। कोशिश हाथों को जोड़ने की भी हो रही है। हमारी दुआएँ उनके साथ हैं। उनके हाथ पहले की तरह हो जाएँ। साहस के साथ वे फिर अपना दायित्व निभाएँ। मगर उन हाथों का क्या, जो इन हाथों पर चले? उस मानव मन का क्या, जिसमें ऐसा कुत्सित विचार भी आया? एक समाज के तौर पर हम जा कहाँ रहे हैं?
तमाम सवाल हैं। पर ज़वाब कहीं से कोई नहीं। पंजाब के मुख्यमंत्री भरोसा दे रहे हैं कि एएसआई पर हमला करने वालों को बख़्शा नहीं जाएगा। पर उस भरोसे का क्या, जो अक़्सर ऐसे मामलों में मानवता से ही डिग जाया करता है? और देश में क्या ऐसा यह कोई इकलौता मामला है? मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे और राज्यों में भी यह सब हो रहा है।
पर कमाल है! दूसरे जगहों पर स्वास्थ्यकर्मियों-सुरक्षाकर्मियों पर हुए हमलों के बाद ‘किसी रंग विशेष के विमर्श’ से तमाम मंच बजबजाने लगते हैं। मगर पटियाला के मामले में ऐसा कुछ होता दिख नहीं रहा। तो क्या हुड़दंगियों और हुड़दंग का कोई ख़ास रंग हुआ करता है? अगर ‘हाँ’ तो पटियाला के इस हुड़दंग का भला कौन सा रंग है?… (नीलेश द्विवेदी)
मेरे प्यारे गाँव मैने पहले भी तुम्हें लिखा था कि तुम रूह में धँसी हुई… Read More
व्यक्ति के सन्दर्भ में विचार और व्यवहार के स्तर पर समानता की सोच स्वयं में… Read More
इन्दौर में मेरे एक मित्र हैं। व्यवसायी हैं। लेकिन वह अपना व्यवसाय बन्द करना चाहते… Read More
सबसे पहले तो यह वीडियो देखिए ध्यान से। इसमें जो महिला दिख रही हैं, उनका… Read More
“आपकी चिट्ठी पढ़कर मुझे वे गाँव-क़स्बे याद आ गए, जिनमें मेरा बचपन बीता” प्रिय दीपक … Read More
मेरे प्रिय अभिनेताओ इरफान खान और ऋषि कपूर साहब! मैं आप दोनों से कभी नहीं… Read More