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तैयार रहिए, जंग के मैदान में पाकिस्तान को ‘पानी-पानी करने’ का वक़्त आने ही वाला है!

नीलेश द्विवेदी, भोपाल मध्य प्रदेश

‘पानी-पानी करना’ एक कहावत है। इसका मतलब है, किसी को उसकी ग़लती के लिए इतना शर्मिन्दा कर देना कि वह सिर उठाने के क़ाबिल न रहे। पाकिस्तान के साथ अगले कुछ दिनों में यही होने वाला है। क्यों? क्योंकि उसने भारत के ख़िलाफ़ आतंकी वारदातों को शह देना नहीं छोड़ा।

पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) में साल 2016 में की गई सैन्य कार्रवाई, और फिर बालाकोट में  2019 में हुई हवाई हमले की कार्रवाई जैसी चेतावनियाँ उसे मिलीं। फिर भी वह नहीं माना और भारत में आतंकी भेजकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटकों को मरवा दिया। सो, अब पाकिस्तान के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘निर्णायक कार्रवाई’ की खुली घोषणा के बाद सीमित समय में बड़े लक्ष्य पूरे करने की पुख़्ता तैयारियाँ हुई हैं।

इन संकेतों को समझिए और तैयार रहिए। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार, 5 अप्रैल को सभी राज्यों की सरकारों को निर्देश जारी किया है।  कहा है कि सभी राज्य 7 अप्रैल को युद्ध की आपात स्थितियों की अपनी तैयारियों को परखें। इसे अंंग्रेजी में ‘मॉक ड्रिल’ कहा जाता है। इसके तहत दिन या रात, कभी भी इस तरह के सायरन बजाए जाएँगे, जैसे दुश्मन के हवाई हमले होने या मिसाइल आक्रमण के समय बजाए जाते हैं। रात का वक्त हुआ, तो शहर की बिजली बन्द कर दी जाएगी। साथ ही नागरिकों काे सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने का बन्दोबस्त किया जाएगा, आदि। देश में ऐसा सब कुछ आख़िरी बार 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के दौरान हुआ था। अब यह तैयारी इसलिए की जा रही है क्योंकि अन्देशा है कि भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान पूरा युद्ध छेड़ सकता है।

इसी सिलसिले में रविवार, 4 अप्रैल को वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात की है। उनसे पहले नौसेना प्रमुख दिनेश त्रिपाठी और थल सेना प्रमुख उपेन्द्र द्विवेदी की भी प्रधानमंत्री से मुलाक़ातें हुई हैं। औपचारिक बैठकों से अलग क़िस्म की इन मुलाक़ातों में सम्भवत: तीनों सेना प्रमुख प्रधानमंत्री को यह बताने आए थे कि उनकी ओर से तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं। ध्यान रखने की बात है कि प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के विरुद्ध किसी भी कार्रवाई के लिए सेनाओं को स्वतंत्र छोड़ा है। कब, कहाँ, कैसे हमला करना है, यह उन्हें सोचना था।

बताया जाता है कि पाकिस्तान के ख़िलाफ़ इस बार चौतरफ़ा प्रहार की तैयारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, दोनों ने स्पष्ट कहा है कि इस बार खून बहाने वाले आतंकी ही नहीं, पर्दे के पीछे से साज़िश रचने वालों को भी दंड दिया जाएगा। उन्हें धरती के आख़िरी छोर से भी ढूँढकर बाहर लाएँगे। ऐसा सबक सिखाएँगे कि किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। तो सवाल हो सकता है कि ऐसा क्या करेंगे?

इसके ज़वाब के लिए भी बीते कुछ दिनों के संकेतों को पढ़ना-समझना होगा। इन संकेतों से अन्दाज़ा लग सकता है कि भारत इस बार पाकिस्तान पर चौतरफ़ा प्रहार कैसे करने वाला है। पहला– उसे कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग कर देना। दूसरा– उसे आर्थिक तौर पर कमज़ोर करना। तीसरा– आतंकियों के तमाम ठिकानों को ज़मींदोज करना और हो सके, तो कश्मीर का अपना खोया भू-भाग वापस ले लेना। चौथा– आतंकियों को समर्थन देने वाली पाकिस्तानी फ़ौज पर नकेल कसना। ऐसी कि वह फिर भारत को परेशान करने की स्थिति में न रहे।

पहले क़दम के तहत भारत को अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों का पुख़्ता समर्थन मिल चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कह चुके हैं कि भारत को ज़वाबी कार्रवाई करने का हक है। वहाँ के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी कहा है कि भारत ऐसे कार्रवाई करे कि बड़े क्षेत्रीय संघर्ष की स्थिति न बने। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने भी कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी को उनका पूरा समर्थन है। अन्य कई देश भारत के साथ हैं।

दूसरे क़दम के तहत सबसे पहले तो भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिन्धु जल सन्धि को निलम्बित किया है। इससे जिन तीन नदियों- सिन्धु, झेलम और चिनाब का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को दिए जाने का बन्दोबस्त था, वह रद्द हो गया। साथ में उनके बहाव के बारे में पाकिस्तान को जानकारी देने की भारत की बाध्यता भी नहीं रही। सो, अब भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने की गरज से इन तीनों नदियों पर बने बाँधों को पहले तो खाली करना शुरू किया है। यह प्रक्रिया ‘डिसिल्टिंग’ कहलाती है। सामान्य प्रक्रिया है। इसमें पूरे बाँध से तेज रफ़्तार से पानी छोड़कर खाली करते हैं, ताकि उसकी तलहटी से गाद हट जाए। फिर उसे दोबारा भरते हैं। पहले इस प्रक्रिया की पाकिस्तान को पूर्व सूचना दी जाती थी। ताकि वह नदियों में तेजी से आने वाले पानी से बचाव का इंतिज़ाम कर ले। अभी चूँकि सन्धि निलम्बित है, इसलिए पाकिस्तान को इस कार्रवाई की कोई सूचना नहीं दी जा रही है।

नीचे दिया गया वीडियो देखिए। चिनाब नदी पर बने एक बाँध से कैसे पानी छोड़ा जा रहा है। बताया जा रहा है कि एक मई से बगलिहार और सलाल बाँधों से भारत द्वारा लगातार तेजी से नदी में पानी में छोड़ा जा रहा है। किशनगंगा पर बने बाँध और अन्य बांधों से भी ऐसे ही अगले चरण में पानी छोड़ा जाना है। इसके बाद बाँधों को दोबारा भरने के लिए उनके सभी दरवाज़े फिर से बन्द किए जाएँगे। ख़बर है कि चिनाब नदी पर बने बगलिहार बाँध से पानी का बहाव तो पूरी तरह रोक भी दिया गया है। इससे नदी में पानी तेजी से कम हो रहा है। अगले एक-दो दिनों में ही पाकिस्तान की 3 करोड़ से अधिक की आबादी चिनाब के पानी के लिए तरसने लगेगी। इससे सबसे ज़्यादा नुक़सान वहाँ की खेती-बाड़ी को होने वाला है। सीधे कहें तो पाकिस्तान को तगड़ी आर्थिक चोट भी पड़ने वाली है।

यही नहीं, भारत की तरफ़ से सड़क, हवाई या जल मार्ग से पाकिस्तान के साथ होने वाले हर तरह के व्यापार-व्यवसाय को भी बन्द कर दिया है। इसके तहत दोनों देशों के बीच किसी तरह लेन-देन तो होगा ही नहीं, अन्य तीसरे देश के लिए बारास्ता सुविधा भी नहीं मिलेगी। मतलब अगर पाकिस्तान भारतीय जलमार्ग या हवाई मार्ग से होते हुए किसी अन्य देश को अपने उत्पाद भेजना चाहे, तो वह ऐसा नहीं कर पाएगा। ऐसे में उसे दूसरे रास्ते अपनाने होंगे, जिनसे उसका आर्थिक नुक़सान बढ़ेगा। हजारों करोड़ का नुक़सान अब भी लगातार हो ही रहा है

भारत के हमले की आशंका में ही पाकिस्तान को अपनी सैन्य तैयारियों पर रोज 32 लाख अमेरिकी डॉलर  (27.27 करोड़ रुपए भारतीय रुपए में) ख़र्च आ रहा है। इस ख़र्च की भरपाई के लिए पाकिस्तान अन्य देशों और अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से मदद लेने की क़ोशिश कर रहा है, लेकिन उसे यह मदद न मिले इसकी व्यवस्था भी भारत की ओर से की जा रही है। बताते हैं कि भारत ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से माँग की है कि उसकी ओर से पाकिस्तान को दी जा रही वित्तीय मदद में कटौती की जाए। साल 2024 के बाद से अब तक एडीबी ने 56 तरह की आर्थिक मदद मंज़ूर की है। इनसे कुल 9.13 अरब डॉलर की मदद उसे मिलने वाली है।

एडीबी की तरह अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से भी पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद में कटौती कराने के लिए भारत प्रयासरत है। आईएमएफ ने जुलाई 2024 में पाकिस्तान को अगले तीन साल के लिए 7 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता मंज़ूर की थी। आईएमएफ और एडीबी दोनों को भारत दस्तावेज़ी प्रमाण उपलब्ध करा रहा है कि इस आर्थिक सहायता से मिले पैसों को पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में लगा रहा है। लिहाज़ा उसे पैसे न दिए जाएँ। इसी आधार पर पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की ‘धूमिल सूची’ (ग्रे-लिस्ट) में फिर शामिल कराने की भी भारत की कोशिश है। इसमें सफल मिल रही है।

भारत के प्रयासों के बाद ही पाकिस्तान पहले भी एफएटीएफ की ‘धूमिल सूची’ में शामिल रह चुका है। इस सूची में उन देशों को शामिल किया जाता है, जो आतंकवाद और ऐसे अन्य संगठित अपराधों पर लगाम लगाने में नाक़ाम रहे। ऐसे में, उन्हें मिलने वाली अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक मदद को रोक दिया जाता है।

इसके बाद सवाल है कि भारत के अगले दो क़दम क्या और कैसे हो सकते हैं? यानि पाकिस्तान में मोज़ूद आतंकी ठिकानों को ज़मींदोज़ कर कश्मीर का अपना हिस्सा वापस कैसे लिया जा सकता है? साथ ही, पाकिस्तानी फौज़ पर नकेल कैसे कसी जा सकती है? इसके ज़वाब के लिए पढ़िए अगला लेख।

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