गुरु पूर्णिमा पर स्वरांजलि की ‘पियाली’

भारत की समृद्ध गुरु-शिष्य परम्परा अगर कहीं अब भी अपने श्रेष्ठ स्वरूप (कुछ अगर-मगर छोड़ दें, तो बहुतायत) में है तो वह या तो आध्यात्म…

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मैं उन्हीं लाखों लाशों की तरफ़ से आप से माफ़ी माँगता हूँ

बीते दो-तीन दिनों राज्यसभा के सदस्य प्रोफेसर मनोज झा का सदन में दिया यह भाषण ख़बरिया ( Media) और सामाजिक माध्यमों (Social Media) पर चल…

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सहज भरोसा न हो शायद, पर ये केन्द्रीय मंत्री के माता-पिता हैं!

इस देश में नेताओं और उनके परिवारों ने छवि इस तरह की बना ली है कि एक बार इस तस्वीर (लेख के साथ दी गई)…

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प्रकृति अपनी लय में जो चाहती है, हमें बनाकर ही छोड़ती है, हम चाहे जो कर लें!

अभी किसी से फोन पर बहुत लम्बी बात हुई। आवाज़ों के शोर के पीछे जो आँसुओं का दर्द था, वो मैं महसूस कर पा रहा था। हम…

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जो सहज और सरल है वही यह जंग भी जीत पाएगा

जब 1982 में तिरुपति बालाजी चढ़े थे, तो पैदल ही चढ़ना होता था। वहाँ बहुत लोगों को कबीट ( कैथा ) के माफिक सर मुँडवाते देखा।…

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ऐसा हम नहीं, बड़े-बुज़ुर्ग कह गए हैं…

बड़ों की बातें हैं। इसी तरह की होती हैं। सालों पहले कही जाती हैं। सालों बाद तक सुनी जाती हैं। उनकी कीमत कहे जाते वक्त…

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विस्मृति बड़ी नेमत है और एक दिन मैं भी भुला ही दिया जाऊँगा!

कल एक बहुत प्रिय मित्र को एकान्तवास में भेज दिया गया। उनका बेटा भी संग में, इस काल में ग्रसित हो गया। कल ही एक…

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बुद्ध त्याग का तीसरे आर्य-सत्य के रूप में परिचय क्यों कराते हैं?

बुद्ध होने के लिए इच्छाओं को त्यागना पड़ता है। यह त्याग अत्यधिक कठिन है। इस त्याग को, इस निरोध को मोक्ष का मार्ग भी कहा गया है। “क्षणिकाः…

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बता नीलकंठ, इस गरल विष का रहस्य क्या है?

रास्ते थे, सड़के थीं, नदियाँ, पहाड़, हवाई किलों से गुजरने वाले पथ और चलने वाले असंख्य पाथेय, जो अपनी-अपनी छाप देकर वहाँ चले गए हैं,…

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जब हमारा अस्तित्त्व नहीं था, संघर्ष तब भी था और जीत भी हमारी थी!

किसी ने वॉट्सएप पर एक सन्देश भेजा। पढ़ते ही इतना प्रासंगिक और सत्यपरक लगा कि मैंने इसे तुरन्त #अपनीडिजिटलडायरी के साथ साझा करने का निर्णय…

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