क्या आपको भी फरवरी में पसीना आ रहा हैं? अगर हाँ तो यह आपकी नहीं, बल्कि पर्यावरण की खराब सेहत का नतीज़ा है। यह महज…
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हम अँधेरे में जीवन का अर्थ टटोल रहे हैं… रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की कविता
…. तुम तो नदी की धारा के साथ दौड़ रहे हो। उस सुख को कैसे समझोगे, जो हमें नदी को देखकर मिलता है।और वह फूल…
View More हम अँधेरे में जीवन का अर्थ टटोल रहे हैं… रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की कविताशिवाजी ‘महाराज’ : शिवबा ने सूरज, सूरज ने शिवबा को देखा…पता नहीं कौन चकाचौंध हुआ
शिवाजी राजे शिवनेरी किले पर झूल रहे थे। झूला झुलाती जिजाऊ की आँखों में भी सतरंगी सपने झूल रहे थे। शिवबा की घुड़दौड़ के सीमोल्लंघन…
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बीजापुर के आदिलशाह ने कुछ ही समय में शहाजी राजे की स्वतंत्र रूप से राज करने की कोशिश नाकाम कर दी। रायाराव नामक सरदार को…
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एक क़िस्सा दिखाता हूँ। हाँ, दिखाता ही हूँ। देखिए। मध्य प्रदेश के शहर भोपाल में ‘भारत-भवन’ का अंतरंग सभागार। खचाखच भरा हुआ। यहाँ तीन-चार सौ…
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शूर मराठा सरदार रिश्तों में बँधकर एक हो जाते। फिर भी आँखों पर पट्टी बाँधकर अँधेरे को बुलावा भेजते। और सभी उस अँधेरे में गिरते-पड़ते…
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महाराष्ट्र के यादव राजाओं की राजधानी थी देवगिरि (आज का दौलताबाद, औरंगाबाद)। मराठों का गरुड़ध्वज देवगिरी पर शान से फहरा रहा था। यादव राजा अपने…
View More शिवाजी ‘महाराज’ : महज पखवाड़े भर की लड़ाई और मराठों का सूरमा राजा, पठाणों का मातहत हुआसुनें उन बच्चों को, जो शान्त होते जाते हैं… कहें उनसे, कि हम हैं तुम्हारे साथ
हम एक ऐसे दौर में ज़िन्दगी गुजर रहे हैं, जहाँ हमारे करीबियों के पास भी हमारे लिए वक्त नहीं है। या कह लीजिए कि वे…
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महाराष्ट्र की भूमि देवी-देवताओं की भूमि है। अपने हाथों में नानाविध शस्त्रास्त्र धारण कर आसुरी शक्तियों का विध्वंस करने वाले देवी-देवता मराठों के घरों में,…
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बात अप्रैल-2005 की है। जीवन में पहली बार ‘जाणता राजा’ महानाटक के माध्यम से छत्रपति शिवाजी के जीवन-चरित्र को सामने से देखने का मौक़ा मिला…
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