उस ज़माने में ओडिशा या उत्कल प्रदेश के राजा हुआ करते थे इन्द्रद्युम्न। भगवान नीलमाधव, यानि श्रीहरि, श्रीकृष्ण के भक्त थे। कहते हैं, उन्हें एक रोज…
View More जगन्नाथ की मूर्तियों का सन्देश, अधीरता का हासिल अधूरापन होता हैCategory: चहेते पन्ने
ओ मानसून के मन, सुन…
प्रिय मानसून, कहाँ हो तुम? तुम्हें मालूम भी है, कब से यहाँ सब तुम्हारी राह देख रहे हैं? अब और देर मत करो आ जाओ। मैंने अख़बारों…
View More ओ मानसून के मन, सुन…सम्यक ज्ञान, हम जब समाज का हित सोचते हैं, स्वयं का हित स्वत: होने लगता है
हम अपने जीवन में लोगों के बारे में धारणाएँ अक्सर बाहरी आवरण देखकर बना लेते हैं। रूप, रंग, वस्त्र के आधार पर व्यक्ति की छवि बना…
View More सम्यक ज्ञान, हम जब समाज का हित सोचते हैं, स्वयं का हित स्वत: होने लगता हैएक किस्सा..पीठ पीछे की बातों में दिलचस्पी लेने, यकीन करने वालों के लिए!
प्राचीन ग्रीस की कहानी है। वहाँ के एक बड़े दार्शनिक हुए हैं, सुकरात। एक बार कोई परिचित उनके पास आए। आते ही बड़ी आतुरता से कहने लगे,…
View More एक किस्सा..पीठ पीछे की बातों में दिलचस्पी लेने, यकीन करने वालों के लिए!बुद्ध बताते हैं, दु:ख से छुटकारा पाने का सही मार्ग क्या है
एक दिन बुद्ध प्रवचन देने के लिए अपने शिष्यों की सभा में पहुँचे। सभी शिष्य यह देख आश्चर्यचकित रह गए कि बुद्ध अपने साथ एक…
View More बुद्ध बताते हैं, दु:ख से छुटकारा पाने का सही मार्ग क्या हैस्वामी विवेकानन्द का पुण्य-स्मरण, उनके जीवन से जुड़ी चार कहानियों के जरिए
1. इसलिए माँ का स्थान सबसे ऊपर : स्वामी विवेकानन्द जी से एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया, “माँ की महिमा संसार में किस कारण से गाई…
View More स्वामी विवेकानन्द का पुण्य-स्मरण, उनके जीवन से जुड़ी चार कहानियों के जरिएपहले मुर्गी आई या अंडा, ये महज़ एक पहेली नहीं है!
उसके घर के बाहर चबूतरे पर कुछ बच्चे बैठे-ठाले पहेलियाँ बुझा रहे थे। इन्हीं में से एक पहेली थी, “मुर्गी पहले आई या अंडा आया।” पूछने…
View More पहले मुर्गी आई या अंडा, ये महज़ एक पहेली नहीं है!हम अपने रत्नों का सही सम्मान करना कब सीखेंगे?
ये तस्वीर अपने आप में बहुत कुछ कहती है। वाराणसी की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र। शहनाई का दूसरा नाम कहे जाने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह…
View More हम अपने रत्नों का सही सम्मान करना कब सीखेंगे?कबीर की वाणी, कोरोना की कहानी…साधो ये मुर्दों का गाँव…!
आज संत कबीरदास जी की जयन्ती है। ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि। सन् 1398 में कबीरदास जी का जन्म हुआ, ऐसा बताया जाता है। मतलब आज…
View More कबीर की वाणी, कोरोना की कहानी…साधो ये मुर्दों का गाँव…!प्रश्न है, सदियाँ बीत जाने के बाद भी बुद्ध एक ही क्यों हुए भला?
त्यागना। इसे सामान्य भाषा में हमेशा के लिए किसी चीज को छोड़ देना कह देते हैं। जैसे दान देना भी त्याग है। वैसे, अक्सर हम धन त्यागने…
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