भगवान बुद्ध दुःख के कार्य-कारण बताते हैं। इसमें दुःख समुदाय, यह दूसरा आर्यसत्य है। दुःख है तो दुःख के कारण भी होते ही हैं। इन कारणों को…
View More धर्म-पालन की तृष्णा भी कैसे दु:ख का कारण बन सकती है?Category: चहेते पन्ने
बाबू , तुम्हारा खून बहुत अलग है, इंसानों का खून नहीं है…
देवास के जवाहर चौक में एक ही बड़ी सी दुकान थी झँवर सुपारी सेंटर। मंगरोली सुपारी वहीं मिलती थी, जिसे काटो तो नारियल जैसी लगती थी। घर में एक…
View More बाबू , तुम्हारा खून बहुत अलग है, इंसानों का खून नहीं है…हम भोजन को भगवान मानते हैं और रोज उनका तिरस्कार करते हैं!
उसका घर कॉलोनी के नुक्कड़ पर है। सामने तीन तरफ़ जाने वाले रास्ते तिकोने से जुड़ते हैं। वहीं एक तरफ़ उस रिहाइश (कॉलोनी) का दरवाज़ा है।…
View More हम भोजन को भगवान मानते हैं और रोज उनका तिरस्कार करते हैं!रास्ते की धूप में ख़ुद ही चलना पड़ता है, निर्जन पथ पर अकेले ही निकलना होगा
रास्ते की धूप में ख़ुद ही चलना पड़ता है। चाहे नरम धूप हो या कड़क। सब देह को ही सहना है। धूप जब भीतर आत्मा तक छनकर…
View More रास्ते की धूप में ख़ुद ही चलना पड़ता है, निर्जन पथ पर अकेले ही निकलना होगाक्या हम पर्यावरण जैसे विषय पर इतने गैर-ज़िम्मेदार हैं?
जूही चावला अपने समय की लोकप्रिय अभिनेत्री हैं। उन्होंने अभी हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। समाजसेवी, स्तम्भकार वीरेश…
View More क्या हम पर्यावरण जैसे विषय पर इतने गैर-ज़िम्मेदार हैं?बीती जा रही है सबकी उमर पर हम मानने को तैयार ही नहीं हैं
अड़सठ घाट भीतर हैं। कहाँ जाना है? न गंगा, न यमुना, सुमिरन कर ले मेरे मना, मन चंगा तो कठौती में ही गंगा है। बीती जा रही है…
View More बीती जा रही है सबकी उमर पर हम मानने को तैयार ही नहीं हैंतेज गए तो भटक जाओगे, धीरे गए तो पहुँच जाओगे!
आचार्य रजनीश ‘ओशो’ के प्रवचनों का हिस्सा है, ये ऑडियो। एक बौद्ध कथा के जरिए वे बता रहे हैं, ‘तेज गए तो भटक जाओगे, धीरे गए…
View More तेज गए तो भटक जाओगे, धीरे गए तो पहुँच जाओगे!चरित्र जब पवित्र है, तो क्यूँ है ये दशा तेरी?
साल 2016 में एक फिल्म आई थी, ‘पिंक’। समाज में महिलाओं की व्यथा, उनकी पीड़ा, उनके संघर्ष को दिखाती एक कहानी। इसी फिल्म में एक…
View More चरित्र जब पवित्र है, तो क्यूँ है ये दशा तेरी?ये पंछियों की चहचहाहट नहीं, समय का गीत है
ये राजस्थान के एक गाँव का दृश्य है। सवेरा अभी हुआ नहीं है। बस होने को है। यह सूर्योदय से ठीक पहले की वेला है।…
View More ये पंछियों की चहचहाहट नहीं, समय का गीत है‘आयुष्मान् भव’ या ‘आयुष् मा भव’ यानि ‘चिरायु हों’ अथवा ‘चिरायु न हों’?
ये पहला वीडियो मध्य प्रदेश के भोपाल शहर के ‘आम शख़्स’ योगेश बलवानी का है। और दूसरा शहर के बड़े ‘ख़ास अस्पताल’ चिरायु के प्रबन्धक…
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