आचार्य रजनीश ‘ओशो’ के प्रवचनों का हिस्सा है, ये ऑडियो। एक बौद्ध कथा के जरिए वे बता रहे हैं, ‘तेज गए तो भटक जाओगे, धीरे गए…
View More तेज गए तो भटक जाओगे, धीरे गए तो पहुँच जाओगे!Category: चहेते पन्ने
चरित्र जब पवित्र है, तो क्यूँ है ये दशा तेरी?
साल 2016 में एक फिल्म आई थी, ‘पिंक’। समाज में महिलाओं की व्यथा, उनकी पीड़ा, उनके संघर्ष को दिखाती एक कहानी। इसी फिल्म में एक…
View More चरित्र जब पवित्र है, तो क्यूँ है ये दशा तेरी?ये पंछियों की चहचहाहट नहीं, समय का गीत है
ये राजस्थान के एक गाँव का दृश्य है। सवेरा अभी हुआ नहीं है। बस होने को है। यह सूर्योदय से ठीक पहले की वेला है।…
View More ये पंछियों की चहचहाहट नहीं, समय का गीत है‘आयुष्मान् भव’ या ‘आयुष् मा भव’ यानि ‘चिरायु हों’ अथवा ‘चिरायु न हों’?
ये पहला वीडियो मध्य प्रदेश के भोपाल शहर के ‘आम शख़्स’ योगेश बलवानी का है। और दूसरा शहर के बड़े ‘ख़ास अस्पताल’ चिरायु के प्रबन्धक…
View More ‘आयुष्मान् भव’ या ‘आयुष् मा भव’ यानि ‘चिरायु हों’ अथवा ‘चिरायु न हों’?लगता है, अपना खाने-पीने का कोटा खत्म हो गया है!
एक संतरा सामने है, एक सेवफ़ल, एक बड़ा सा पपीता, एक कीवी, कुछ बेर रखे हैं। मैं सोचता हूँ कि आज भोजन न करूँ। इन चीज़ों से अपनी…
View More लगता है, अपना खाने-पीने का कोटा खत्म हो गया है!मैं काल का ग्रास बनने से बचा हुआ हूँ, अन्धकार को सूरज का ग्रास बनाकर!
दिल्ली। साल 2021, मई का महीना, 10 तारीख। बीती रात बारिश हुई है। इसे बारिश कहना गलत होगा। बादलों ने धधकती दिल्ली के कलेजे पर…
View More मैं काल का ग्रास बनने से बचा हुआ हूँ, अन्धकार को सूरज का ग्रास बनाकर!मैं थककर मौत का इन्तज़ार नहीं करना चाहता…
सामने एक मराठी परिवार था, जिसमें एक बुजुर्ग साथ रहते थे। बाद में मालूम पड़ा कि वे अकेले ही थे। जीवन संग्राम अकेले ही लड़ते…
View More मैं थककर मौत का इन्तज़ार नहीं करना चाहता…एक कहानी ; उम्मीद के दीए की…
वक़्त मुश्किल है। एक अदृश्य दुश्मन (कोरोना) है, जिसने मानवता के ख़िलाफ़ जंग छेड़ रखी है। हमारे घरों में घुसकर हमारे अपनों को वह…
View More एक कहानी ; उम्मीद के दीए की…“हम बताते हैं”… एक अघोषित नकारात्मक वाक्य में छुपी सकारात्मकता
बात तो पुरानी है, लेकिन आजकल फिर से यही वाक्य सुनने को मिल रहा है तो याद आ गई। और मैं डायरी के पन्ने पर…
View More “हम बताते हैं”… एक अघोषित नकारात्मक वाक्य में छुपी सकारात्मकतामहामारी की मारः किसकी ज़िम्मेदारी, कौन तय करे?
कल दीपक शर्मा जी की 23 तारीख की डायरी पढ़ी। निश्चित रूप से वाराणसी की घटना समेत पूरे देश की समस्या दुखद है। किन्तु इसके…
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