क्या हम प्रतिभाओं को परखने में गलती करते हैं?

ज्योति प्रकाश त्यागी, भोपाल, मध्य प्रदेश से, 5/4/2021

क्या हम प्रतिभाओं को परखने में, उनका आकलन करने में गलती करते हैं? मेरे दिमाग में यह सवाल अक्सर ही आता है। बीते दो-ढाई दशक से बच्चों को क्रिकेट का प्रशिक्षण देने के दौरान ऐसे तमाम वाक़ये पेश आए हैं, जब बार-बार यह सवाल ज़ेहन में उभरा। और अभी जब किसी मित्र ने वॉट्सऐप पर मुझे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ का कथन (Quote) भेजा, तो सवाल फिर जीवन्त हो उठा।

राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के वर्तमान मुखिया द्रविड़ के शब्दों में, “हम प्रतिभा के तौर पर क्या देखते हैं? मुझे लगता है, मैं ख़ुद भी यह गलती कर चुका हूँ। हम देखते हैं कि खिलाड़ी गेन्द पर कितनी अच्छी तरह से प्रहार कर रहा है। कितनी ख़ूबसूरती और कितने सटीक समय (Timing) के साथ। लेकिन उसका इरादा, उसका हौसला, उसका अनुशासन, उसके तेवर? ये भी तो प्रतिभाएँ हैं।”

असल में मुझे भी यही लगता है। हम प्रतिभाओं को परखने में अक्सर गलती कर जाते हैं। बतौर प्रशिक्षक (Coach), संरक्षक (Mentor), मार्गदर्शक (Guide), शिक्षक और बतौर माता-पिता भी। शायद यही वजह है कि बड़ी तादाद में प्रतिभाएँ हमारे हाथ से छिटक जाती हैं। सामने नहीं आ पातीं या उभर नहीं पातीं। इसीलिए द्रविड़ के बहाने सही, हमें इस मुद्दे पर सोचना चाहिए। अपने बच्चों, शिष्यों और उनके भविष्य के लिए।

———-

(ज्योति प्रकाश, भोपाल के जाने-माने क्रिकेट प्रशिक्षक हैं। ख़ुद अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। खेलों पर अच्छी पकड़ रखते हैं। उन्होंने वॉट्सऐप सन्देश के जरिए यह लेख #अपनीडिजिटलडायरी को भेजा है। )

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Apni Digital Diary

Share
Published by
Apni Digital Diary

Recent Posts

मेरे प्यारे गाँव! मैं अपनी चिता भस्म से तुम्हारी बूढ़ी काया का श्रृंगार करूँगा

मेरे प्यारे गाँव  तुम्हारी सौंधी मिट्टी की सुगन्ध से गुँथा हुआ तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारा… Read More

3 hours ago

कोशिश तो खूब कर रहे हैं, मगर अमेरिका को ‘ग्रेट’ कितना बना पा रहे हैं ट्रम्प?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगभग वह सब कर रहे हैं, जो उनसे अपेक्षित था।… Read More

1 day ago

समाचार चैनलों को सर्कस-नौटंकी का मंच बनाएँगे तो दर्शक दूर होंगे ही!

आज रविवार, 18 मई के एक प्रमुख अख़बार में ‘रोचक-सोचक’ सा समाचार प्रकाशित हुआ। इसमें… Read More

2 days ago

गाँव की दूसरी चिठ्ठी : रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ…!!

मेरे प्यारे बाशिन्दे, मैं तुम्हें यह पत्र लिखते हुए थोड़ा सा भी खुश नहीं हो… Read More

4 days ago

ट्रम्प की दोस्ती का अनुभव क्या मोदीजी को नई सोच की ओर प्रेरित करेगा?

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ चलाए गए भारत के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का नाटकीय ढंग से पटाक्षेप हो… Read More

5 days ago

ईमानदारी से व्यापार नहीं किया जा सकता, इस बात में कितनी सच्चाई है?

अगर आप ईमानदार हैं, तो आप कुछ बेच नहीं सकते। क़रीब 20 साल पहले जब मैं… Read More

6 days ago