धर्म-पालन की तृष्णा भी कैसे दु:ख का कारण बन सकती है?

अनुज राज पाठक, दिल्ली से, 15/6/2021

भगवान बुद्ध दुःख के कार्य-कारण बताते हैं। इसमें दुःख समुदाय, यह दूसरा आर्यसत्य है। दुःख है तो दुःख के कारण भी होते ही हैं। इन कारणों को तृष्णा के नाम से भी जाना जाता है। यह तृष्णा किसी भी प्रकार की हो सकती है। धन की, भोग की, प्रसिद्धि की या अन्य कई तरह की। धर्म-पालन की भी हो सकती है।

इस संबंध में एक कहानी है। एक बार बुद्ध के दो शिष्य उनसे मिलने जा रहे थे। उनके रास्ते में नदी पड़ी। संयोग से उस नदी में एक स्त्री डूब रही थी। बचाने की गुहार लगा रही थी। शिष्य धर्म-संकट में पड़ गए। क्योंकि भिक्षुओं के लिए स्त्री-स्पर्श वर्जित है। ऐसी स्थिति में क्या करें। एक शिष्य बोला, “हमें धर्म का पालन करना चाहिए। स्त्री डूब रही है तो डूबने दें। जीवन में मरण एक बार निश्चित है।” दूसरा दयावान था। उसने कहा, “हमारे रहते कोई मरे, यह धर्मविरुद्ध है।” और ऐसा कहकर वह नदी में कूद जाता है। स्त्री के जीवन की रक्षा करता है। इसके लिए पहला भिक्षु रास्ते भर उसको उलाहना देता है कि तुमने धर्म का पालन नहीं किया। दोनों बुद्ध के पास पहुँचते हैं। वहाँ पहुँचते ही पहला भिक्षु एक साँस में पूरा वृत्तान्त सुना डालता है। तब बुद्ध ने पूछा, “स्त्री को नदी से निकालने में कितना समय लगा?” दूसरे ने ज़वाब दिया, “यही कोई अधिकतम 10-15 मिनट।” “और फिर घटना के बाद यहाँ आने में कितना समय लगा?”, बुद्ध ने पूछा। इस पर पहले ने उत्तर दिया, “लगभग छह घंटे।” इस पर बुद्ध ने कहा, “इसने 15 मिनट में उस स्त्री की जान बचाई और भूल गया। लेकिन तुम उसे अपने कंधे पर छह घंटे से लिए घूम रहे हो? सोचो, उस स्त्री के प्रति सच में किसके मन में तृष्णा मौजूद रही?” 

दूसरा शिष्य बस इतने से ही ‘आर्यसत्य’ और उसके कारण का अनुभव कर चुका था। हमें भी समझ लेना चाहिए। धर्म-पालन की तृष्णा भी अगर मानवीय मर्यादा से ऊपर हो जाए, तो वह दुःख का कारण बन सकती है। बन जाती है। 

आजकल पूरे विश्व में धर्म-पालन की अद्भुत लालसा दिखाई देती है। यही लालसा, यही तृष्णा हमें दूसरों के प्रति असहिष्णु अमानवीय और क्रूर बना देती है। यही आत्मिक दुःख का कारण बनकर जीवन को रणक्षेत्र में बदल देती है। इसके परिणाम स्वाभाविक रूप से घातक ही होते हैं।

बुद्ध हमें यहीं सचेत करते हैं। हमें मानवीय होने का संकेत करते हैं।

———-

(अनुज, मूल रूप से बरेली, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। दिल्ली में रहते हैं और अध्यापन कार्य से जुड़े हैं। वे #अपनीडिजिटलडायरी के संस्थापक सदस्यों में से हैं। यह लेख, उनकी ‘भारतीय दर्शन’ श्रृंखला की 15वीं कड़ी है।)

———

अनुज राज की ‘भारतीय दर्शन’ श्रृंखला की पिछली कड़ियां ये रहीं….

14वीं कड़ी : “अपने प्रकाशक खुद बनो”, बुद्ध के इस कथन का अर्थ क्या है?

13वीं कड़ी : बुद्ध की दृष्टि में दु:ख क्या है और आर्यसत्य कौन से हैं?

12वीं कड़ी : वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध का पुनर्जन्म और धर्मचक्रप्रवर्तन

11वीं कड़ी : सिद्धार्थ के बुद्ध हो जाने की यात्रा की भूमिका कैसे तैयार हुई?

10वीं कड़ी :विवादित होने पर भी चार्वाक दर्शन लोकप्रिय क्यों रहा है?

नौवीं कड़ी : दर्शन हमें परिवर्तन की राह दिखाता है, विश्वरथ से विश्वामित्र हो जाने की!

आठवीं कड़ी : यह वैश्विक महामारी कोरोना हमें किस ‘दर्शन’ से साक्षात् करा रही है? 

सातवीं कड़ी : ज्ञान हमें दुःख से, भय से मुक्ति दिलाता है, जानें कैसे?

छठी कड़ी : स्वयं को जानना है तो वेद को जानें, वे समस्त ज्ञान का स्रोत है

पांचवीं कड़ी : आचार्य चार्वाक के मत का दूसरा नाम ‘लोकायत’ क्यों पड़ा?

चौथी कड़ी : चार्वाक हमें भूत-भविष्य के बोझ से मुक्त करना चाहते हैं, पर क्या हम हो पाए हैं?

तीसरी कड़ी : ‘चारु-वाक्’…औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होए!

दूसरी कड़ी : परम् ब्रह्म को जानने, प्राप्त करने का क्रम कैसे शुरू हुआ होगा?

पहली कड़ी :भारतीय दर्शन की उत्पत्ति कैसे हुई होगी?

 

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Apni Digital Diary

Share
Published by
Apni Digital Diary

Recent Posts

अहमदाबाद विमान हादसा : कारण तकनीकी था, मानवीय भूल थी, या आतंकी साज़िश?

अहमदाबाद से लन्दन जा रहा एयर इण्डिया का विमान गुरुवार, 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त हो… Read More

2 days ago

क्या घर पर रहते हुए भी पेशेवर तरीक़े से दफ़्तर के काम हो सकते हैं, उदाहरण देखिए!

क्या आपकी टीम अपने घर से दफ़्तर का काम करते हुए भी अच्छे नतीज़े दे… Read More

3 days ago

पहले से बड़ा और विध्वंसक होने वाला है ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ का अगला चरण! कैसे?

बीते महीने की यही 10 तारीख़ थी, जब भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के दौरान… Read More

4 days ago

हमें पाकिस्तानी ‘मैडम-एन’ से सावधान रहने की ज़रूरत है, या अपने ‘सर-जी’ से?

पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में पिछले महीने ज्योति मल्होत्रा नाम की एक… Read More

5 days ago

प्रकृति की गोद में खेलती जीवनशैली तीन वर्ष में ही हमें 10 साल जवान बना सकती है!

ख़ूबसूरत सभी लोग दिखना चाहते हैं। हमेशा युवा दिखने की इच्छा भी सब में होती… Read More

6 days ago