टीम डायरी
प्रकृति के प्रति हम कैसे और कितने उत्तरदायी हों? कैसे समझें कि सम्पोषी (सस्टेनेबल) विकास के नाम पर हम जो प्रयास कर रहे हैं, वे ठीक तरह से हमारी ‘प्रकृति-माता’ तक पहुँच भी रहे हैं या नहीं? वे पर्याप्त हैं या कुछ और किए जाने की ज़रूरत है? ऐसे तमाम सवाल हो सकते हैं! उनका ज़वाब एक ये हो सकता है कि इनके ठीक-ठीक उत्तर तो ‘प्रकृति-माता’ ही दे सकती हैं।
कंप्यूटर, मोबाइल, जैसे उपकरण बनाने वाली दुनिया की शीर्ष कम्पनी ‘एपल’ के शीर्ष नेतृत्त्व को भी यही लगा। लिहाज़ा उन्होंने अपनी सालाना ‘सम्पोषी रिपोर्ट’ सीधे ‘प्रकृति-माता’ को ही सौंप दी। उसे उनके सामने पेश कर उनके सवालों के ज़वाब दिए। नीचे दिए गए इस वीडियो में देखिए….
बैठक शुरू होने वाली है। एपल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) टिम कुक से लेकर सभी शीर्ष प्रबन्धक तैयार बेठे हैं। लेकिन माहौल में अज़ीब से बेचैनी है। बैठक लेने के लिए ख़ुद ‘प्रकृति माता’ आने वाली हैं। पता नहीं क्या पूछ लेंगी? ज़वाब दे भी पाएँगे या नहीं? और लीजिए वे आ गईं।
अब सभी एक-एक कर बताएँगे कि उन्होंने प्रकृति को बचाने के लिए क्या किया। पहला सवाल- मैं देखना चाहती हूँ कि कौन मुझे निराश करता है? लेकिन नहीं, कोई नहीं। एक के बाद एक सवाल। लेकिन हर किसी के पास ज़वाब तैयार। बताया जा रहा है कि दुनियाभर में मौज़ूद एपल के दफ़्तरों से प्रकृति में, वातावरण में ज़हरीली गैसें न जाएँ, ये सुनिश्चित किया जा चुका है। एपल के उत्पादों को बनाने और उनके परिवहन की प्रक्रिया में भी यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रकृति को नुक़सान पहुँचाने वाले पदार्थों का इस्तेमाल कम हो।
हालाँकि ‘प्रकृति-माता’ फिर भी कई बिन्दुओं पर कमियाँ पकड़ने की कोशिश करती हैं। पर ज़्यादा सफल नहीं होतीं। और आख़िर में टिम कुक उनके सामने एपल के पहले ‘कार्बन न्यूट्रल’ (जिसमें प्रकृति को नुक़सान पहुँचाने वाला कोई पदार्थ न हो) उत्पाद (घड़ी) पेश करते हुए उन्हें भरोसा देते हैं। कहते हैं कि 2030 तक कम्पनी का हर उत्पाद ‘कार्बन-न्यूट्रल’ होगा, यक़ीनन। ‘प्रकृति माता’ सन्तुष्ट होकर रवाना होती हैं।
बैठक में शामिल लोग यह समझ पाते हैं कि ‘उत्तरदायित्त्व का मतलब’ आख़िर होता क्या है? और उनके ज़रिए शायद हम भी समझ सकें कि काग़ज़ी रिपोर्ताज़ के बाहर सीधे प्रकृति से दो-चार होने का मतलब क्या है!
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