कृतार्थ मित्तल ने महज 25 साल की उम्र में एक सफल व्यवसाय खड़ा किया है।
टीम डायरी
अंग्रेजी का एक शब्द है, ’हसल’। मतलब- धक्का-मुक्की करके, भभ्भड़ करते हुए आगे बढ़ते जाना। आजकल यह शब्द उन लोगों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, जो जीवन में ‘सफलता’ (यानि अधिकांश लोगों के लिए अधिक से अधिक पैसा और आरामतलब ज़िन्दगी) पाने के लिए दिन-रात एक कर देते हैं।
इस क़िस्म के लोग कुल 24 घंटों में महज़ 5-6 घंटे ही नींद लेते हैं। ठीक से खाने-पीने की उनके पास फ़ुर्सत नहीं होती। चलते-फिरते जो कुछ ऊटपटाँग मिल जाए, खा लेते हैं। बस, जल्दी से कुछ पेट में पहुँच जाना चाहिए। दूसरों से मिलने-जुलने या किसी से बातचीत के लिए वक़्त निकालने की तो ऐसे लोगों से उम्मीद भी नहीं की जाती। क्योंकि इस सबको वे वक़्त की बर्बादी समझते हैं, जो उनकी तरक़्क़ी की राह में रोड़ा भी होती है। इस तरह वे पूरे समय काम, काम और बस, काम ही करते रहते हैं। ऐसे कामकाज़ी जीवन को अंग्रेजी में ‘हसल कल्चर’ कहा जाता है। हिन्दी में इसे ‘भभ्भड़ संस्कृति’ कह लिया जाए तो क्या ही बुरी बात होगी भला, और कौन बुरा मानेगा?
तो अभी दो-तीन दिन पहले तक इस ‘भभ्भड़ संस्कृति’ के घनघोर समर्थक कृतार्थ मित्तल भी होते थे। अस्पताल के बिस्तर पर धरी उनकी काया की तस्वीर और सोशल मीडिया मंच- ‘एक्स’ पर लिखी पोस्ट नीचे दी है। पढ़ी जा सकती है। कृतार्थ ने ‘भभ्भड़ संस्कृति’ पर भरोसा करने वाले अपने जैसे लोगों को सन्देश दिया है, “हसल कल्चर अपनी कीमत वसूलता है। किसी को तुरन्त चुकानी होती है। किसी को 10-15 बरस बाद। विकल्प आपको चुनना है। मैंने यहाँ से इसका बदसूरत पहलू आपको दिखाया है। ताकि आप आसानी से इसके लपेटे में न आएँ।”
कृतार्थ इस समय मुम्बई के एक अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें यहाँ ‘नर्वस ब्रेकडाउन’ होने से भर्ती कराया गया था। यह ऐसी मानसिक व्याधि है, जिससे पीड़ित व्यक्ति अचानक तेज-तेज रोने लगता है। या बुरी तरह डर जाता है। या बहुत ज़्यादा चिन्ता करने लगता है। या ख़ूब गुस्सा हो जाता है। साँस लेने में तक़लीफ़ भी हो जाती है कभी-कभी। जीवन से अरुचि हो जाती है। यहाँ तक कि ऐसा व्यक्ति कभी-कभी आत्महत्या के बारे में भी सोचने लगता है। जानकार बताते हैं कि जीवन में तनाव और अवसाद जब बर्दाश्त से बाहर हो जाता है, तो ‘नर्वस ब्रेकडाउन’ होता है।
कृतार्थ के साथ यही हुआ। हालाँकि अब उनकी हालत ठीक है। उनका स्वास्थ्य तो ठीक हो ही रहा है, इस एक झटके ने उनकी सोच भी दुरुस्त कर दी है। वैसे एक जानकारी और कि कृतार्थ एक सफल उद्यमी हैं। उन्होंने ‘सोशल्स’ नाम की एक एप्लीकेशन बनाई है, जो सोशल मीडिया के माध्यम से पहचान बनाने और पैसा कमाने की इच्छा रखने वालों को हर तरह की मदद उपलब्ध कराती है। बस, इस मदद के लिए थोड़े पैसे खर्चने होते हैं।
मेरे प्रिय अभिनेताओ इरफान खान और ऋषि कपूर साहब! मैं आप दोनों से कभी नहीं… Read More
तय कर लीजिए कि ‘आपकी टीम में कौन है’? क्योंकि इस सवाल के ज़वाब के… Read More
पहलगाम में जब 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ, तब मेरी माँ और बहन वहीं… Read More
एक ‘आवारा’ ख़त, छूट गई या छोड़ गई प्रियतमा के नाम! सुनो सखी मैं इतने… Read More
पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला तो करा दिया, लेकिन उसे शायद ऐसी… Read More
महात्मा गाँधी कहा करते थे, “पत्र लिखना भी एक कला है। मुझे पत्र लिखना है,… Read More