Categories: cover photo

एक कविता…. “मैं लिखूँगा और लिखता रहूँगा”

दीपक गौतम, सतना मध्य प्रदेश

मैं लिखूँगा और लिखता रहूँगा।

खुद ही खुद से पूरा रीत जाने तक
मैं लिखता रहूँगा।

मेरी जिन्दगी की स्याही की
आख़िरी बूँद सूख जाने तक
मैं लिखता रहूँगा।

मेरा जिस्म मेरी आत्मा पर एक बोझ सा है
इस बोझ का कण-कण छीज जाने तक
मैं लिखता रहूँगा।

ये जो मिट्‌टी की परत तुम्हें दिख रही है मेरे जिस्म पर
इस परत का रेशा-रेशा उतर जाने तक
मैं लिखता रहूँगा।

ब्रह्म को नहीं देखा मैंने
पर सुना है शब्द में भी ब्रह्म होते हैं
इन शब्दों में ब्रह्म के जीवन्त हो जाने तक
मैं लिखता रहूँगा।

किसी आत्मबोध या अमरता के लिए नहीं
बल्कि मौत के बाद जीवन के लिए
मैं लिखता रहूँगा।

सुना है लिखने से रीतता जाता है आदमी
तो खुद ही खुद से पूरा रीत जाने तक
मैं लिखता रहूँगा, मैं लिखता रहूँगा।। 

——— 

दीपक की पिछली कविताएँ 

1- पहलगााम आतंकी हमला : इस आतंक के ख़ात्मे के लिए तुम हथियार कब उठाओगे? 

———

(दीपक मध्यप्रदेश के सतना जिले के छोटे से गाँव जसो में जन्मे हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से 2007-09 में ‘मास्टर ऑफ जर्नलिज्म’ (एमजे) में स्नातकोत्तर किया। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में लगभग डेढ़ दशक तक राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, राज एक्सप्रेस और लोकमत जैसे संस्थानों में कार्यरत रहे। साथ में लगभग डेढ़ साल मध्यप्रदेश माध्यम के लिए रचनात्मक लेखन भी किया। इन दिनों स्वतंत्र लेखन करते हैं। बीते 15 सालों से शहर-दर-शहर भटकने के बाद फिलवक्त गाँव को जी रहे हैं। बस, वहीं से अपनी अनुभूतियों को शब्दों के सहारे उकेर देते हैं। कभी लेख तो कभी कविता की सूरत में। अपने लिखे हुए को #अपनीडिजिटलडायरी के साथ साझा भी करते हैं, ताकि वे #डायरी के पाठकों तक पहुँचें। ये कविता भी उन्हीं प्रयासों का हिस्सा है।)

सोशल मीडिया पर शेयर करें
From Visitor

Share
Published by
From Visitor

Recent Posts

‘मैसूर पाक’ का नाम ‘मैसूर श्री’ कर भी दिया तो क्या इससे उसकी मिठास कम हो गई?

जयपुर, राजस्थान की कुछ मिठाई की दुकानों के मालिक इन दिनों चर्चा में हैं। उन्होंने… Read More

2 days ago

क्यों भारत को अब अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लाना ही होगा?

उम्मीद करता हूँ कि भारत को जल्दी ही यह एहसास हो जाए कि हमें अब… Read More

3 days ago

पराजित सेनापति को तरक़्क़ी देने वाला ‘विचित्र’ देश पाकिस्तान, पर इसका मतलब पता है?

पाकिस्तान विचित्र सा मुल्क़ है। यह बात फिर साबित हो गई है। अभी एक दिन… Read More

4 days ago

मेरे प्यारे गाँव! मैं अपनी चिता भस्म से तुम्हारी बूढ़ी काया का श्रृंगार करूँगा

मेरे प्यारे गाँव  तुम्हारी सौंधी मिट्टी की सुगन्ध से गुँथा हुआ तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारा… Read More

5 days ago

कोशिश तो खूब कर रहे हैं, मगर अमेरिका को ‘ग्रेट’ कितना बना पा रहे हैं ट्रम्प?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगभग वह सब कर रहे हैं, जो उनसे अपेक्षित था।… Read More

6 days ago

समाचार चैनलों को सर्कस-नौटंकी का मंच बनाएँगे तो दर्शक दूर होंगे ही!

आज रविवार, 18 मई के एक प्रमुख अख़बार में ‘रोचक-सोचक’ सा समाचार प्रकाशित हुआ। इसमें… Read More

1 week ago