महाकुम्भ…,वक़्फ़ की ज़मीन पर! अब बताइए, क्या कहेंगे इस दावे पर?

टीम डायरी

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी, पौष पूर्णिमा से जो महाकुम्भ शुरू हो रहा है, उसकी अवधारणा का मूल सृष्टि के आरम्भ में माना जाता है। सृष्टि के आरम्भ का वह चरण, जब मानव-विकास शुरू भी नहीं हुआ था। तब सिर्फ़ देव थे और असुर। ज़ाहिर तौर पर उन सबका सृजन करने वाले भगवान और उनकी माया भी थी। उसी दौरान समुद्र मन्थन हुआ। उस प्रक्रिया के अन्त में भगवान धन्वन्तरि अमृत-कलश (कलश को कुम्भ भी कहते हैं) लेकर समुद्र से निकले। तो उस अमृत के लिए देवों और असुरों में झगड़ा होने लगा। उसी दौरान देवराज इन्द्र के पुत्र जयन्त ने भगवान धन्वन्तरि के हाथ से अमृत-कुम्भ छीन लिया और उसे लेकर भाग निकले।

असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने जयन्त को भागते देखा तो उन्होंने अपने पक्ष वालों को सचेत किया। तब असुर भी जयन्त के पीछे दौड़ पड़े। कहते हैं कि असुरों से अमृत-कुम्भ को बचाने के लिए, देवताओं के समय-मान से, जयन्त 12 दिन तक भागते रहे। मानवों के कालक्रम में यह अवधि 12 साल की होती है। इस दौरान जयन्त चार जगह रुके, जहाँ अमृत-कुम्भ से अमृत की कुछ बूँदे छलक गईं। ये जगहें थीं- हरिद्वार, प्रयागराज, त्रयम्बेश्वर (नासिक), और अवन्तिका (उज्जयिनी)। इन्हीं चार जगहों पर कालान्तर में कुम्भ (हर 3 साल में), अर्धकुम्भ (हर 6 साल में), पूर्णकुम्भ (हर 12 साल में), महाकुम्भ (हर 144 साल के एक बार) का आयोजन होने लगा।  

वैसे कोई इस पौराणिक प्रसंग को न माने तो उसके लिए ऐतिहासिक सबूत हैं। इनके मुताबिक, कुम्भ मेलों के आयोजन का पहला लिखित ऐतिहासिक साक्ष्य मौर्य और गुप्त राजवंशों के कालखंड में मिलता है। मौर्य राजवंश था ईसापूर्व चौथी सदी में और गुप्त राजवंश हुआ करता था, छठवीं सदी ईस्वी की शुरुआत तक। मतलब गुप्तवंश के कालखंड से भी मानें तो कुम्भ मेलों का लिखित प्रामाणिक इतिहास 1,500 साल से पुराना है। 

इसके बाद दो और ऐतिहासिक प्रामाणिक तथ्य, जो इस्लाम से जुड़े हैं। इनमें पहला- एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक इस्लाम की नींव पैगम्बर हजरात मोहम्मद ने रखी, सातवीं सदी ईस्वी में अरब में। यानि कुम्भ मेलों के नवीनतम लिखित ऐतिहासिक प्रमाणों की मौज़ूदगी से भी लगभग 100 साल बाद। दूसरा-  केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अनुसार, हिन्दुस्तान में इस्लाम की संपत्तियों का नियमन-प्रबन्धन जिस वक़्फ़ कानून से होता है, वह 1957 में अस्तित्त्व में आया। मतलब वक़्फ़ 20वीं सदी में बना। अर्थात् यह भी गौरतलब कि कुम्भ मेलों के नवीनतम लिखित ऐतिहासिक साक्ष्य की मौज़ूदगी से लगभग 1,400 साल बाद वक़्फ़ कानून आया। 

इसके बावजूद इन तमाम ऐतिहासिक तथ्यों को पूरी तरह नज़रन्दाज़ करते हुए कोई कहे कि प्रयागराज में जहाँ कुम्भ का आयोजन हो रहा है, वह 54-55 बीघा ज़मीन वक़्फ़ की है, तो क्या कहा जाएगा? दावे पर अचरज होगा या हँसी आएगी? पर जो भी हो, यह दावा किया गया है। ऑल इन्डिया मुस्लिम जमात के प्रमुख मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने यह दावा किया है। और उन्होंने सिर्फ़ दावा नहीं किया, बल्कि मुस्लिमों को ‘बड़े दिलवाला’ बताया, क्योंकि ‘अपनी ज़मीन’ कुम्भ के आयोजन के लिए दे रहे हैं। साथ ही हिन्दू सन्तों की अखाड़ा परिषद को ‘तंग दिलवाला’ कहा, क्योंकि कुम्भ मेले में उन्होंने मुस्लिमों की दुकानें आदि लगाने का विरोध किया है।

नीचे मौलाना का वीडियो है। उसे देखिए, सुनिए, सोचिए और समझिए। क्योंकि ऐसे दावों पर सोचना और समझना बहुत ज़रूरी है। वह भी वक्त रहते सोचना-समझना ज़रूरी है। 

 

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Neelesh Dwivedi

Share
Published by
Neelesh Dwivedi

Recent Posts

‘चिन्ताएँ और जूते दरवाज़े पर छोड़ दीजिए’, ऐसा लिखने का क्या मतलब है?

रास्ता चलते हुए भी अक्सर बड़े काम की बातें सीखने को मिल जाया करती हैं।… Read More

13 hours ago

“संविधान से पहले शरीयत”…,वक़्फ़ कानून के ख़िलाफ़ जारी फ़साद-प्रदर्शनों का मूल कारण!!

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भारी हिंसा हो गई। संसद से 4 अप्रैल को वक्फ… Read More

3 days ago

भारतीय रेल -‘राष्ट्र की जीवनरेखा’, इस पर चूहे-तिलचट्‌टे दौड़ते हैं…फ्रांसीसी युवा का अनुभव!

भारतीय रेल का नारा है, ‘राष्ट्र की जीवन रेखा’। लेकिन इस जीवन रेखा पर अक्सर… Read More

4 days ago

हनुमान जयन्ती या जन्मोत्सव? आख़िर सही क्या है?

आज चैत्र शुक्ल पूर्णिमा, शनिवार, 12 अप्रैल को श्रीरामभक्त हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया गया। इस… Read More

6 days ago

भगवान महावीर के ‘अपरिग्रह’ सिद्धान्त ने मुझे हमेशा राह दिखाई, सबको दिखा सकता है

आज, 10 अप्रैल को भगवान महावीर की जयन्ती मनाई गई। उनके सिद्धान्तों में से एक… Read More

1 week ago

बेटी के नाम आठवीं पाती : तुम्हें जीवन की पाठशाला का पहला कदम मुबारक हो बिटवा

प्रिय मुनिया मेरी जान, मैं तुम्हें यह पत्र तब लिख रहा हूँ, जब तुमने पहली… Read More

1 week ago