प्रतीकात्मक तस्वीर
टीम डायरी
हिन्दुस्तान के बड़े हिस्से में महिलाओं का मासिक धर्म आज भी दूसरों से छिपाने का विषय होता है। इससे जुड़ी तमाम तरह की भ्रान्तियाँ देश के अलग-अलग हिस्सों में देखी जाती हैं। मासिक चक्र से गुजर रही लड़की या महिला के साथ अछूतों की तरह बर्ताव किया जाता है। हालाँकि दक्षिण भारत में इसका ठीक उल्टा चलन देखने में आता है।
प्रमाण के तौर पर देखिए नीचे दिया गया वीडियो। इसे मशहूर शाइर, गीतकार, गुलज़ार साहब के आधिकारिक एक्स अकाउंट ‘ज़िन्दगी गुलज़ार है’ से साझा किया गया है। इसमें दिखता है कि पहली बार बच्ची को मासिक धर्म होने पर कैसे हर्षोल्लास के साथ इसका उत्सव मनाया जाता है। इस तरह बच्चियों में एक आत्मविश्वास भरा जाता है।
इस बारे में इन्टरनेट पर थोड़ा खोजबीन करें तो पता चलता है कि दक्षिण ही नहीं पूरब के कई राज्यों में भी इस तरह के उत्सव मनाए जाते हैं। जैसे – तमिलनाडु में इस तरह के उत्सव को ‘मंजल नीरातु विझा’ कहा जाता है। यह नौ दिन चलने वाला उत्सव है। कर्नाटक में ऋतुकला संस्कार या ऋतुशुद्धि भी ऐसा ही उत्सव है, जो सात दिन चलता है। असम में इतने ही दिन चलने वाले इसी उत्सव को ‘तुलोनिया बिया’ कहते हैं। ऐसे और भी उदाहरण हैं।
ओडिशा में तो तीन दिन तक धरती के रजस्वला होने का पर्व मनाया जाता है। इस बारे में #अपनीडिजिटलडायरी पर पहले लिखा जा चुका है। इस पर्व को वहाँ ‘रज परब’ कहा जाता है।
—-
इसे भी पढ़ सकते हैं
धरती के रजस्वला होने का पर्व : हम में से कितने लोग इस बारे में जानते हैं?
—-
बहुत सम्भव है कि हिन्दुस्तान की इसी तरह की सांस्कृतिक परम्पराओं से प्रेरणा लेते हुए ‘मासिका महोत्सव’ मनाने का विचार जन्मा हो। क़रीब 33 संगठनों ने मिलकर मासिक धर्म से जुड़ी भ्रान्तियों को दूर करने की गरज से इस तरह का उत्सव मनाने का सिलसिला शुरू किया है। इसे मई महीने में 21 से 27 तारीख़ों के बीच दुनिया के 11 देशों में मनाया गया। भारत में 15 राज्यों ने इस समारोह में सक्रिय भागीदारी निभाई है।
निश्चित ही यह एक सकारात्मक पहल है, जिसे हरसम्भव तरीक़े से समर्थन दिया जाना चाहिए।
विश्व-व्यवस्था एक अमूर्त संकल्पना है और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले घटनाक्रम ठोस जमीनी वास्तविकता… Read More
अपनी जड़ों से कटा समाज असंगत और अविकसित होता है। भारतीय समाज इसी तरह का… Read More
अभी गुरुवार, 6 मार्च को जाने-माने अभिनेता पंकज कपूर भोपाल आए। यहाँ शुक्रवार, 7 मार्च… Read More
कला, साहित्य, संगीत, आदि के क्षेत्र में सक्रिय लोगों को समाज में सम्मान की निग़ाह… Read More
“घने जंगलों में निगरानी के लिहाज़ से ‘पैदल’ गश्त सबसे अच्छी होती है। इसलिए मध्य… Read More