प्रतीकात्मक तस्वीर
ऋषु मिश्रा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
अभी कुछ एक महीने पहले हमारी प्रधानाध्यापिका मैडम ने अपने घुटने का प्रत्यारोपण करवाया था, एम्स में। अब वे सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। कल अपने मम्मी-पापा से मेरी बातचीत हो रही थी। किसी को एम्स में दिखाने की चर्चा चली तो मैंने कहा कि अभी मैम से पूछकर बताती हूँ क्योंकि उनका ऑपरेशन सफल रहा था। वे वहाँ की वयवस्था से सन्तुष्ट थीं। मैंने तुरन्त ही उनको फोन लगाकर बात की।
फोन काटते ही पापा ने मुझसे कहा, “तुम अब भी मैडम से बातचीत करती हो। उनके सम्पर्क में हो…यह अच्छी बात है। अभी कुछ दिन पहले शायद उन्हीं के घर तुम दावत में गई थी?” मैंने कहा, “हाँ, मेरी बातचीत होती रहती है। लेकिन इसमें इतने आश्चर्य की क्या बात है?” वे बोले, “इसलिए क्योंकि ज़्यादातर सहकर्मी सेवानिवृत्ति के बाद अपने ऑफिसर या सीनियर को भूल जाते हैं l”
यह कटु सत्य है। मैडम की बिटिया की शादी में मैंने खुद यह महसूस किया। बहुत सारे लोगों के दावत में न आने से वे दुःखी तो थीं ही, आश्चर्यचकित भी थीं। आश्चर्य इस बात पर कि लोग इतनी जल्दी भूल जाएँगे, इसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी। यह हम सब के लिए एक नसीहत है।🌻
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(ऋषु मिश्रा जी उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के एक शासकीय विद्यालय में शिक्षिका हैं। #अपनीडिजिटलडायरी की सबसे पुरानी और सुधी पाठकों में से एक। वे निरन्तर डायरी के साथ हैं, उसका सम्बल बनकर। वे लगातार फेसबुक पर अपने स्कूल के अनुभवों के बारे में ऐसी पोस्ट लिखती रहती हैं। उनकी सहमति लेकर वहीं से #डायरी के लिए उनका यह लेख लिया गया है। ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने-पढ़ाने वालों के विविध पहलू भी सामने आ सकें।)
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ऋषु जी के पिछले लेख
12 – तरबूज पर त्रिकोण : किताबों से परे हटकर कुछ नए उत्तरों के लिए तत्पर रहना चाहिए!
11 – …फिर आदेश आता है कि शैक्षणिक कार्यो को प्राथमिकता पर रखें, कैसे रखें?
10- आपका रंग जैसा भी हो, काम का रंग पक्का होना चाहिए
9- मदद का हाथ बढ़ाना ही होगा, जीवन की गाड़ी ऐसे ही चलती रहनी चाहिए
8- यात्रा, मित्रता और ज्ञानवर्धन : कुछ मामलों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाकई अच्छा है
7- जब भी कोई अच्छा कार्य करोगे, 90% लोग तुम्हारे खिलाफ़ होंगे
6- देशराज वर्मा जी से मिलिए, शायद ऐसे लोगों को ही ‘कर्मयोगी’ कहा जाता है
5- हो सके तो इस साल सरकारी प्राथमिक स्कूल के बच्चों संग वेलेंटाइन-डे मना लें, अच्छा लगेगा
4- सबसे ज़्यादा परेशान भावनाएँ करतीं हैं, उनके साथ सहज रहो, खुश रहो
3- ऐसे बहुत से बच्चों की टीचर उन्हें ढूँढ रहीं होगीं
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