आज ‘विश्व हिन्दी दिवस’ है। दुनिया भर के हिन्दी विशेषज्ञ, मीडिया और सोशल मीडिया वग़ैरा के मंचों पर भर-भर के ज्ञान दिया जा रहा है।…
View More आज विश्व हिन्दी दिवस है… और ये विश्व ‘विधालय’ अनुदान आयोग है!Author: From Visitor
बकासुर से जीते पांडव, एकचक्रा के ‘लोकतंत्र’ से हारे
आज बरसों बाद एकचक्रा नगरी के रहवासियों ने राहत की साँस ली थी। अज्ञातवास के दौरान पांडवों को शरण देने वाले ब्राह्मण परिवार की सुरक्षा…
View More बकासुर से जीते पांडव, एकचक्रा के ‘लोकतंत्र’ से हारेजानवरों के भी हुक़ूक हैं, उनका ख़्याल रखिए
आज ज़्यादातर लोग नौकरी या किसी और सिलसिले में अपने घर और अपनों से दूर दूसरे शहरों में रहते हैं। इसी कारण अकेलेपन से पीछा…
View More जानवरों के भी हुक़ूक हैं, उनका ख़्याल रखिए‘संस्कृत की संस्कृति’ : शब्द नित्य है, ऐसा सिद्धान्त मान्य कैसे हुआ?
हमने देखा कि कैसे धातु के रूप में परिवर्तन से अर्थ बदल जाता है। संस्कृत भाषा में मात्र क्रिया शब्दों के निर्माण में ही धातुओं…
View More ‘संस्कृत की संस्कृति’ : शब्द नित्य है, ऐसा सिद्धान्त मान्य कैसे हुआ?दोबारा जन्म हुआ तो ख़ुदा से माँग के आऊँगा…
ये आवाज़ अमित साहू की है। ये जो कविता पढ़ रहे हैं, वह भी इन्हीं की है। अमित वैसे तो, भारतीय निर्यात-आयात बैंक के सबसे…
View More दोबारा जन्म हुआ तो ख़ुदा से माँग के आऊँगा…वेद कहते हैं- मानव प्रकृति में अपना प्रतिबिम्ब, विश्व शान्ति खुद स्थापित होगी
“विश्व-शान्ति हेतु उपाय हमें वेद में दिखाई देते हैं। अगर वेदों के अनुसार हम विश्व-शान्ति के उपायों को अपनाएँ तो हम युद्धों से बच सकते…
View More वेद कहते हैं- मानव प्रकृति में अपना प्रतिबिम्ब, विश्व शान्ति खुद स्थापित होगी‘संस्कृत की संस्कृति’ : पंडित जी पूजा कराते वक़्त ‘यजामि’ या ‘यजते’ कहें, तो क्या मतलब?
पूर्व में हमने संस्कृत की विविध विशेषताओं को देखा। अब आगे बढ़ते हुए, कुछ प्रयोग देखेंगे। इन प्रयोगों से हम संस्कृत भाषा के प्रयोग के…
View More ‘संस्कृत की संस्कृति’ : पंडित जी पूजा कराते वक़्त ‘यजामि’ या ‘यजते’ कहें, तो क्या मतलब?अनुभवी व्यक्ति अपने आप में एक सम्पूर्ण पुस्तक होता है
साल 2017 में कुछ प्राथमिक विद्यालयों का चयन अँग्रेजी माध्यम के लिए किया गया l लिखित परीक्षा के उपरांत जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान में इंटरव्यू…
View More अनुभवी व्यक्ति अपने आप में एक सम्पूर्ण पुस्तक होता है‘मेरो मन मेरा वृन्दावन’ : रास, रस और उपासना
वृन्दावन की रसोपासना में प्रेम के उत्तुंग शिखर और विरहसिन्धु के अतल तल से प्रवेश है। इसमें पात्रता का एक ही पैमाना है- प्रेमास्पद की…
View More ‘मेरो मन मेरा वृन्दावन’ : रास, रस और उपासना‘संस्कृत की संस्कृति’ : संस्कृत व्याकरण की धुरी किसे माना जाता है?
पाणिनीय व्याकरण के प्रसंग में हमने बहुत से प्राचीन और अर्वाचीन आचार्यों विद्वानों के मत देखे। इस सन्दर्भ में हमें आज संस्कृत व्याकरण के नाम…
View More ‘संस्कृत की संस्कृति’ : संस्कृत व्याकरण की धुरी किसे माना जाता है?