“अब तो ये दो हो गई हैं। सुना है कि वह बागी लड़की भी यहीं कहीं हैं।” “हमें उन दोनों को पकड़ना ही होगा। भले…
View More ‘मायावी अम्बा और शैतान’ : वह कुछ और सोच पाता कि उसका भेजा उड़ गयाAuthor: Neelesh Dwivedi
मायावी अम्बा और शैतान : वे तो मारने ही आए थे, बात करने नहीं
गोलियों और संगीनों के साथ जब वे पहली बार उनके पीछे लगे, तभी से वह लोग भाग रहे थे। रुके नहीं थे। हालाँकि गोलियाँ उनकी…
View More मायावी अम्बा और शैतान : वे तो मारने ही आए थे, बात करने नहीं‘मायावी अम्बा और शैतान’ : तुम्हारे लोग मारे जाते हैं, तो उसके जिम्मेदार तुम होगे
“यह तो कोरा झूठ है। धोखा है ये! अब मैं समझी – वे तुम्हारे आदमी थे, जो झूठ बोलकर हमारे गाँव में आए। और किसलिए?…
View More ‘मायावी अम्बा और शैतान’ : तुम्हारे लोग मारे जाते हैं, तो उसके जिम्मेदार तुम होगेसावधान…ये जो कान में अपन इयरफोन ठूँस लेते हैं न, यह हमें बहरा बना रहे हैं!
इस मार्च महीने की तीन तारीख़ को दुनियाभर में
View More सावधान…ये जो कान में अपन इयरफोन ठूँस लेते हैं न, यह हमें बहरा बना रहे हैं!आप नहीं तो कौन? अभी नहीं तो कब?
ये बड़े कमाल के सवाल हैं, “आप नहीं तो कौन?” और “अभी नहीं तो कब?” बल्कि यूँ कहें कि ये सिर्फ़ सवाल नहीं ज़िन्दगी का…
View More आप नहीं तो कौन? अभी नहीं तो कब?‘मायावी अम्बा और शैतान’: ऐसा दूध-मक्खन रोज खाने मिले तो डॉक्टर की जरूरत नहीं
तारा उदास थी। पिछले सात दिनों से उसकी गाय ‘कोरल’ खट्टा सा दूध ही दे रही थी। अक्सर वह फट जाता था। गाँव के बड़े-बुजुर्ग…
View More ‘मायावी अम्बा और शैतान’: ऐसा दूध-मक्खन रोज खाने मिले तो डॉक्टर की जरूरत नहींदेशराज वर्मा जी से मिलिए, शायद ऐसे लोगों को ही ‘कर्मयोगी’ कहा जाता है
कुछ दिनों पहले देशराज वर्मा सर से बात हुई। उनसे बातचीत का जिक्र इसलिए कर रही हूँ क्यूँकि निश्चित ही मेरी दृष्टि में उनकी गणना…
View More देशराज वर्मा जी से मिलिए, शायद ऐसे लोगों को ही ‘कर्मयोगी’ कहा जाता हैएक मुस्कुराहट की कीमत मौत! ऐसी भी क्या मज़बूरी?
वह अपने चेहरे पर नैसर्गिक रूप से आने वाली मुस्कुराहट से ख़ुश नहीं था। चाहता था कि शादी होने से पहले उसकी मुस्कुराहट ऐसी हो…
View More एक मुस्कुराहट की कीमत मौत! ऐसी भी क्या मज़बूरी?‘मायावी अम्बा और शैतान’ : इत्तिफाक पर कमजोर सोच वाले लोग भरोसा करते हैं
“आपके सुझाव में आरोप है, जो बेबुनियाद भी है।” इस बात पर वजन देने के लिए उसने अपनी बंदूक खींच ली। “लेकिन सोचिए कि आप…
View More ‘मायावी अम्बा और शैतान’ : इत्तिफाक पर कमजोर सोच वाले लोग भरोसा करते हैं‘सत्यप्रेम की कथा‘ : फिल्मी कहानी से ज़्यादा प्रभावी-प्रेरक ये अस्ल ज़िन्दगी की, पढ़िए!
अभी पिछले साल ही एक हिन्दी फिल्म आई थी, ‘सत्यप्रेम की कथा’। बॉक्स ऑफिस इस फिल्म को 100 करोड़ी बताता है। फिर भी ज़्यादा चर्चित…
View More ‘सत्यप्रेम की कथा‘ : फिल्मी कहानी से ज़्यादा प्रभावी-प्रेरक ये अस्ल ज़िन्दगी की, पढ़िए!