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सब भूलकर अपनी गठरी खोलो और जी लो, बस

जीवन के उत्तरार्ध में हम सब का मूल्याँकन रुपए-पैसे से होता है। कितनी पेंशन बनी, कितनी बचत थी, फंड कितना मिला, बच्चों को सैटल कर…

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Father Daughter

बेटी के नाम चौथी पाती : तुम्हारा होना जीवन की सबसे ख़ूबसूरत रंगत है

प्रिय मुनिया, मेरी जान, तुम्हारे जन्मोत्सव के बाद मुझे तुम्हें यह चौथा पत्र लिखने में तनिक विलम्ब हो गया है। मैं तुम्हें यह पत्र तुम्हारे…

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Gas Tragedy

अब हर चूक दुरुस्त करेंगे…पर हुजूर अब तक हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे थे?

अब देखिए, 25 साल बाद ऐसे जुट गए हैं, जैसे अचानक पीड़ितों के बारे में पता चला हो। अब वे हर चूक को दुरुस्त करने के लिए कमर कसकर सुबह बंगले से निकल रहे हैं। तीन दिन से दूसरा काम नहीं किया। हादसे पर बैठकें ही जारी हैं।….

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laughing Buddha

हम सब कुछ पाने के लिए ही करते हैं पर सुख क्यों नहीं मिलता?

एक सेठ जी को एक बार यह जानने की चिन्ता हुई कि मेरी सम्पत्ति कितनी है? इसका उपभोग और कितने दिन किया जा सकता है? सो, तत्काल उन्होंने अपने अकाउंटेंट को बुलवा भेजा और उससे जानना चाहा। बदले में लेखाधिकारी ने कुछ समय माँगा। कुछ दिनों बाद लेखाधिकारी सेठ जी को बताता है कि यह सम्पत्ति आपकी अगली आठ पीढ़ियों तक के लिए पर्याप्त है। फिर क्या था सेठ जी चिन्ता में डूब गए….

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