महत्त्वपूर्ण तत्त्वों की चर्चा में अजीव की भी चर्चा आवश्यक है। यह अजीव ही तो है जिसे हम देख पाते हैं। स्पर्श कर पाते हैं।…
View More जो जीव को घुमाता रहता है, जानिए उस पुद्गल के बारे मेंTag: अपना पन्ना
प्रिय मुनिया, मेरी लाडो, आगे समाचार यह है कि…
प्रिय मुनिया, आज तुम्हें इस क़ायनात में कदम रखे हुए पूरे 3 दिन होने वाले हैं। 27 जनवरी की शाम 7.23 बजे तुमने इस खूबसूरत दुनिया…
View More प्रिय मुनिया, मेरी लाडो, आगे समाचार यह है कि…यह ज्ञान बड़ी विचित्र चीज है! जानते हैं कैसे…
हम श्रृंखला के पिछले भाग में ‘जीव’ को समझने की कोशिश कर रहे थे। जीव चेतना युक्त हो, विवेक पूर्ण हो आदि। उसकी एक विशेषता…
View More यह ज्ञान बड़ी विचित्र चीज है! जानते हैं कैसे…हो आज रंग है री…आज रंग है री
हो आज रंग है री…आज रंग है री। तन – मन अधिक उमंग हर्षायो। बृज की होरी कान्हा की पिचकारी, गोपियन की रंग-रास बरजोरी। अंगिया-भंगिया…
View More हो आज रंग है री…आज रंग है रीभीड़ में अपना कोना खोजकर कुछ किस्से कहानियाँ सुनना, सुनाना… यही जीवन है
ज़िन्दगी एक लम्बा ट्रैफिक है। आने-जाने वाले वाहनों की भीड़ है। छोटे-बड़े वाहन सड़क पर हर तरफ पसरे हैं। कोलाहल है, आवाज़ें हैं। कर्कश शोर…
View More भीड़ में अपना कोना खोजकर कुछ किस्से कहानियाँ सुनना, सुनाना… यही जीवन हैसंसारी और मुक्त जीव में क्या भेद है, इस छोटी कहानी से समझ सकते हैं
श्रृंखला में पीछे हम जैन दर्शन के अन्तर्गत जीव या आत्मा की चर्चा कर रहे थे। आत्मा वही जो जीव है। जिसमें चेतना है। जिसमें…
View More संसारी और मुक्त जीव में क्या भेद है, इस छोटी कहानी से समझ सकते हैंसच! फाइल कश्मीर से ही खुली है?
फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ को लेकर सोशल मीडिया पर जारी बेइंतिहा गहमागहमी से सभी वाक़िफ़ हैं। फिल्म को लेकर कश्मीरी पंडितों के अनुभव से लेकर विरोध में उठ खड़े हुए पब्लिक इंटलेक्चुअल्स स यह पता तो लग ही जाता है कि इससे जमीन हिली है। सो, इसका जायज़ा लेने के लिए एक लंबे अरसे के बाद आज आइनॉक्स जाना हुआ। वहाँ ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म से जो अनुभव मिले और उनका क्या महत्त्व समझा, वह यहाँ साझा करता हूँ। आमतौर पर जिसे हम फिल्म कहते हैं, वह मनोरंजन की एक उड़ान होती है। ट्रेजिक मेलोड्रामा…
View More सच! फाइल कश्मीर से ही खुली है?लड़ना न पड़े, ऐसी व्यवस्था आज तक हम किसी सभ्यता में बना नहीं पाए हैं
खुशियाँ छोटी थीं इतनी कि नजर नहीं आती थीं। शायद दरवाज़े पर ‘शुभ-लाभ’ लिखा होने या सुबह माँ की बनाई रंगोली में लक्ष्मी के पाँव…
View More लड़ना न पड़े, ऐसी व्यवस्था आज तक हम किसी सभ्यता में बना नहीं पाए हैंचलो जीती हूँ आज से, मैं सिर्फ़ अपने लिए..
चलो जीती हूँ आज से, मैं सिर्फ़ अपने लिए। भूल जाती हूँ बचपन से, जीना माता-पिता के लिए शादी के बाद पति और बच्चों के लिए …
View More चलो जीती हूँ आज से, मैं सिर्फ़ अपने लिए..गुणवान नारी सृष्टि में अग्रिम पद धारण करती है…
आज ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ है। पूरा विश्व महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के अधिकारों पर व्याख्यान दे रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में, मैं भी जब जैनदर्शन…
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