विनायक दामोदर सावरकर। लोकप्रिय नाम, ‘वीर सावरकर’ या स्वातंत्र्य वीर सावरकर’। भारतीय राजनीति के ऐसे उच्च व्यक्तित्त्व, जिनके हम साथ हो सकते हैं। उनके विरोध…
View More वीर सावरकर : मुझे मार सके, भला ऐसा कौन शत्रु पैदा हुआ है इस जगत में!Tag: अपना पन्ना
गुजरात-दिल्ली की आग हमारे सीनों में क्यों नहीं झुलसती?
राजकोट गुजरात में बच्चों के लिए बनाए गए एक गेम जोन में आग लग गई। इस हादसे में 28 लोग मारे गए। इनमें 12 बच्चे…
View More गुजरात-दिल्ली की आग हमारे सीनों में क्यों नहीं झुलसती?भावनाओं के सामने कई बार पैसों की एहमियत नहीं रह जाती, रहनी भी नहीं चाहिए!
निकेश, आपको और कितने पैसे चाहिए? एक नई-नवेली कम्पनी के मानव संसाधन विभाग के मुखिया (सीएचआरओ) ने मुझसे सवाल किया था। वे चाहते थे कि…
View More भावनाओं के सामने कई बार पैसों की एहमियत नहीं रह जाती, रहनी भी नहीं चाहिए!तरबूज पर त्रिकोण : किताबों से परे हटकर कुछ नए उत्तरों के लिए तत्पर रहना चाहिए!
बच्चे इन दिनों मिट्टी से विभिन्न प्रकार के आकार बना रहे हैं। इन आकारों में लम्बाई, चौड़ाई के साथ-साथ ऊँचाई भी होगी। इस प्रकार वो…
View More तरबूज पर त्रिकोण : किताबों से परे हटकर कुछ नए उत्तरों के लिए तत्पर रहना चाहिए!बेहतर है कि इनकी स्थिति में सुधार लाया जाए, एक कदम इनके लिए भी बढ़ाया जाए
स्कूल से घर लौटते वक्त अक्सर मानसरोवर पार्क के पास की झुग्गियों पर नज़र पड़ जाया करती है। इनके बारे में इतना कभी नहीं सोचा।…
View More बेहतर है कि इनकी स्थिति में सुधार लाया जाए, एक कदम इनके लिए भी बढ़ाया जाएपूछती हो, तुम्हारा प्रेम क्या है? सुनो…
पूछती हो, तुम्हारा प्रेम क्या है? सुनो! तुम जानती हो मुझे शायद मुझसे बेहतर ही।चंद शौक, यादों और नापसंदगियों की दास्तां है।। और तुम भी…
View More पूछती हो, तुम्हारा प्रेम क्या है? सुनो…सब छोड़िए, लेकिन अपना शौक़, अपना ‘राग-अनुराग’ कभी मत छोड़िए
घर से काम करने की सुविधा (वर्क फ्रॉम होम- डब्ल्यूएफएच) ने मुझे मेरे शौक़, मेरे ‘राग-अनुराग’, यानी क्रिकेट के साथ जुड़े रहने की गुंजाइश दी…
View More सब छोड़िए, लेकिन अपना शौक़, अपना ‘राग-अनुराग’ कभी मत छोड़िए‘जल पुरुष’ राजेन्द्र सिंह जैसे लोगों ने राह दिखाई, फिर भी जल-संकट से क्यूँ जूझते हम?
गर्मियों के मौसम देश के किसी न किसी हिस्से में ‘पानी की कमी’ की ख़बरें अक्सर पढ़ती हूँ। मिसाल के तौर पर बेंगलुरू में पानी…
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नए दौर के चलन के मुताबिक, आज 15 मई, बुधवार को ‘परिवार दिवस’ मना लिया गया। हालाँकि कोई भी दिवस मनाना मेरे लिए बस इतना…
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Its impossible these daysand difficult when it misplace. It is precious as a diamond,and beautiful as an island. Its a color of our life,which makes…
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