टीम डायरी ; 5/8/2020
अभी चार अगस्त (मंगलवार) को ही संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी)-2019 की परीक्षा का अन्तिम नतीज़ा आया है। इसमें हरियाणा के प्रदीप सिंह ने पहला स्थान हासिल किया है। प्रदीप सोनीपत जिले के रहने वाले हैं। किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी इस पृष्ठभूमि की वज़ह से वे चर्चा में हैं। चौथी बार में उन्होंने यह सफ़लता हासिल की है। शुरू में दो बार सफल नहीं हुए। तीसरी बार 260वाँ स्थान आया और अब पहला। जैसा कि उन्होंने ख़ुद मीडिया के प्रतिनिधियों को बताया, “बीच में एक बार मैंने हार मान ली थी। लगा कि मुझसे नहीं हो पाएगा। तब पिताजी ने हौसला दिया। इसके बाद फिर तैयारी शुरू की और इस मुकाम तक पहुँचा।” सफल अभ्यर्थियों में लगभग ऐसी ही कहानी और ‘प्रदीप’ नाम वाले एक अन्य हैं। इन प्रदीप सिंह का परिवार मध्य प्रदेश के इन्दौर में रहता है। हालाँकि मूल निवास गोपालगंज, बिहार में है। पिता इन्दौर के पेट्रोल पम्प में काम किया करते थे। काफ़ी मेहनत से उन्होंने वहाँ एक घर बनाया था। लेकिन उसे बेचना पड़ा। ताकि बेटे की यूपीएससी की तैयारी का खर्च वहन कर सकें। इसी कारण गाँव की ज़मीन भी बेचनी पड़ी। पिता के संघर्ष को बेटे ने भी निराश नहीं किया। पहले ही प्रयास में प्रदीप 2018 में वे 93वें स्थान पर रहे। भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में चयन हुआ और सहायक आयकर आयुक्त बने। बेहतर श्रेणी हासिल करने के लिए फिर परीक्षा दी और अब कलेक्टर बनने वाले हैं। इस बार उन्हें देश में 26वाँ स्थान मिला है।
सफलता की ऐसी प्रेरक कहानियाँ और भी होंगी। हर बार होती हैं। लेकिन इनमें कभी, कुछ ऐसी रहती हैं, जो लम्बे समय बाद आती हैं और कई सालों तक कही-सुनी जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी ‘साढ़े तीन फीट’ की है। उत्तराखंड की रहने वाली आरती डाेगरा की, जो राजस्थान की भारतीय प्रशासनिक सेवा की (आईएएस) अधिकारी हैं। आरती का कद ‘साढ़े तीन फीट’ का है लेकिन उनका हौसला, उनकी सफलता का अम्बार बहुत ऊँचा है। उन्होंने यूपीएससी-2005 में पहली बार में ही देशभर में 56वाँ स्थान हासिल कर लिया था। वे सामाजिक सरोकारों से जुड़कर काम करने के लिए ख़ास तौर पर जानी जाती हैं। बेटी बचाओ जैसे अभियान के लिए उन्हें ‘डॉटर्स आर प्रीसियस’ सम्मान मिल चुका है। मतदाताओं को मतदान के लिए जागरुक करने के उनके सतत् प्रयासों की वज़ह से भारतीय निर्वाचन आयोग भी उन्हें सम्मानित कर चुका है। अभी कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए की जा रही उनकी कोशिशें चर्चा में हैं। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम उनके प्रशंसकों में शामिल रहे हैं। और यक़ीनन उनकी सफ़लताओं की लम्बी फ़ेहरिस्त में ये दो-चार जिक्र ही हैं।
इसमें भी सबसे ख़ास बात ये कि आरती माता-पिता की इकलौती सन्तान हैं। पिता राजेन्द्र डोगरा भारतीय सेना में कर्नल थे। माँ कुमकुम एक विद्यालय की प्राचार्य थीं। जब आरती का जन्म हुआ तो उनका शरीरिक विकास न देख जान-पहचान और नाते-रिश्तेदारी वालों ने तरह-तरह की विपरीत बातें कीं। ऊल-जलूल सुझाव दिए। दूसरा बच्चा पैदा करने का मशविरा दिया। लेकिन आरती के माता-पिता ने ऐसी किसी बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने आरती को पूरे भरोसे और लाड़-प्यार से पाला। ऊँची शिक्षा दिलाई। आरती भी माता-पिता की तरह ही कहने-सुनने वालों की बातों पर कान दिए बग़ैर लगातार आगे बढ़ती रहीं। पढ़ाई के साथ खेल-कूद में भी अव्वल रहीं। दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में अर्थशास्त्र की डिग्री लेते हुए छात्र राजनीति कर ली। छात्र संघ चुनाव जीता। फिर आईएएस के प्रशिक्षण के दौरान ख़ुद से दोगुने तक ऊँचे घोड़ों को काबू कर घुड़सवारी में भी जौहर दिखा दिए। और आज उस जगह पर हैं, जहाँ ‘कहने-सुनने वाले’ ही तमाम लोग अक्सर उनके पीछे-पीछे ‘अनुशासित समर्थकों’ की तरह चलते हुए दिखाई देते हैं।
मानव एक समग्र घटक है। विकास क्रम में हम आज जिस पायदान पर हैं, उसमें… Read More
देश की राजनीति में इन दिनों काफ़ी-कुछ दिलचस्प चल रहा है। जागरूक नागरिकों के लिए… Read More
विश्व-व्यवस्था एक अमूर्त संकल्पना है और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले घटनाक्रम ठोस जमीनी वास्तविकता… Read More
अपनी जड़ों से कटा समाज असंगत और अविकसित होता है। भारतीय समाज इसी तरह का… Read More
अभी गुरुवार, 6 मार्च को जाने-माने अभिनेता पंकज कपूर भोपाल आए। यहाँ शुक्रवार, 7 मार्च… Read More
कला, साहित्य, संगीत, आदि के क्षेत्र में सक्रिय लोगों को समाज में सम्मान की निग़ाह… Read More