क्रिस्टेन कैंडलेरियो (इनसेट में) और उसकी बेटी जेलिन।
टीम डायरी
माँ हमेशा ‘बड़ी’ कही जाती है। कही क्या जाती है, होती ही है। हालाँकि हमेशा ऐसा हो, यह ज़रूरी भी नहीं। यहाँ दी गई तस्वीर को ग़ौर से देखिए। इसमें दिख रही बच्ची का नाम जेलिन था और उसके साथ ‘बहुत छोटी सी’ एक किनारे दिखने वाली महिला उसकी माँ है, क्रिस्टेल कैंडलारियो। जेलिन की तुलना में ‘बहुत छोटी उसकी इस माँ’ ने इस बच्ची को मार डाला। वह भी छोटे से स्चार्थ, कुछ दिन आज़ाद घूमने के लिए।
मामला पिछले साल जून का है। इसमें अदालती फ़ैसला अभी बीते महीने यानि मार्च की 19 तारीख़ को आया है। तभी से यह मामला किसी न किसी रूप में दुनियाभर की सुर्ख़ियों में बना हुआ है। बेहद दु:खद परिस्थितियों में अपनी बच्ची को मरने के लिए छोड़ देने वाली क्रिस्टेल को अमेरिकी अदालत ने पूरी ज़िन्दगी जेल में काटने की सज़ा सुनाई है। इस दौरान उसे एक बार भी जेल से बाहर आने का मौक़ा नहीं मिलेगा।
जज ब्रेंडन शीहन ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा, “जिस तरह आपने जेलिन को उसकी क़ैद से बाहर नहीं जाने दिया, उसी तरह आपको अपनी बाकी ज़िन्दगी बिना आज़ादी के जेल की एक कोठरी में बितानी होगी। फ़र्क सिर्फ़ इतना होगा कि जेल में आपको कम से कम खाना तो दिया जाता रहेगा। पीने के लिए पानी भी मिलता जाएगा। हालाँकि, आपने तो आपने अपनी नन्ही बच्ची को यह भी उपलब्ध नहीं होने दिया।”
अमेरिकी मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक, क्रिस्टेल बीते साल छह जून को छुटि्टयाँ मनाने घर से निकली। लेकिन 16 महीने की अपनी बच्ची जेलिन को साथ नहीं ले गई। उसे घर पर अकेला छोड़ गई। उसकी देखभाल के लिए किसी दोस्त या रिश्तेदार से भी नहीं कहा। छुट्टियों के दौरान क्रिस्टेल 10 दिन तक बाहर रही। डेट्रॉएट, प्यूर्टाे रिको में समुद्र के किनारे घूमी। सैर-सपाटा किया। क्लबों में मौज़-मस्ती की। सोशल मीडिया पर तस्वीरें डालीं। उनके नीचे कई बार लिखा, “यह मेरी ज़िन्दगी का अब तक का सबसे बेहतरीन समय है।”
जबकि दूसरी तरफ़, उसके घर पर उसकी 16 महीने की बच्ची जेलिन ‘अपनी ज़िन्दगी के सबसे ख़राब दौर से’ गुज़रती रही। इससे भी ज़्यादा अफ़सोस की बात कि उसे 10 दिनों का यह नारकीय जीवन उसकी अपनी माँ ने नसीब कराया था। उन दिनों में बच्ची अकेली घर में फड़फड़ाती रही। भूख-प्यास से बिलखती रही। उसके फेंफड़े सिकुड़ गए। खाना-पानी न मिलने से उसका वज़न सात पाउंड (एक पाउंड = लगभग 454 ग्राम) तक गिर गया। वह 20 पाउंड से महज़ 13 पाउंड की रह गई। तिस पर अकेलेपन की भयग्रस्तता अलग।
अन्तत: उस बच्ची ने दम तोड़ दिया। क्रिस्टेल 16 जून को जब घर लौटी तो उसे उस बच्ची का शव मिला। अलबत्ता, पुलिस को इस हादसे की सूचना क्रिस्टेल ने ही दी। मगर फिर जब अदालत में उसके ख़िलाफ़ मुक़दमा चला तो अपनी मानसिक स्थिति, अवसाद, आदि का हवाला देकर उसने सहानुभूति बटोरने की क़ोशिश भी की। पर उसे वह सहानुभूति किसी से मिली नहीं। सरकारी वकील एन्ना फैरालिया ने अपनी दलील में कहा, “इस कृत्य को मानवता किसी रूप में पचा नहीं सकती।” जबकि न्यायाधीश शीहन ने इसे ‘विश्वासघात का चरम कृत्य’ बताया।
सच है, केवल स्त्री के रूप में जन्म लेने से कोई महिला माँ बनने के योग्य नहीं हो जाती।
रास्ता चलते हुए भी अक्सर बड़े काम की बातें सीखने को मिल जाया करती हैं।… Read More
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भारी हिंसा हो गई। संसद से 4 अप्रैल को वक्फ… Read More
भारतीय रेल का नारा है, ‘राष्ट्र की जीवन रेखा’। लेकिन इस जीवन रेखा पर अक्सर… Read More
आज चैत्र शुक्ल पूर्णिमा, शनिवार, 12 अप्रैल को श्रीरामभक्त हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया गया। इस… Read More
आज, 10 अप्रैल को भगवान महावीर की जयन्ती मनाई गई। उनके सिद्धान्तों में से एक… Read More
प्रिय मुनिया मेरी जान, मैं तुम्हें यह पत्र तब लिख रहा हूँ, जब तुमने पहली… Read More