अहमदाबाद से लन्दन जा रहा एयर इंडिया का विमान हादसे का शिकार हो गया। इससे 200 से अधिक लोगो की जान चली गई।
नीलेश द्विवेदी, भोपाल मध्य प्रदेश
अहमदाबाद से लन्दन जा रहा एयर इण्डिया का विमान गुरुवार, 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। अहमदाबाद के अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरते ही एक मिनट से भी कम समय के भीतर विमान नज़दीक की एक रिहाइशी इमारत में जा गिरा। उसमें चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई करने वाले युवाओं का छात्रावास था। उन पर विमान की शक्ल में आसमान से आफत गिरी और क़रीब 75 छात्र मारे गए। विमान में चालक दल के सदस्यों सहित करीब 242 लोग थे। उनमें भी अधिकांश लोगों की मौत होने की ख़बर है। अभी 200 से अधिक मौतों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का नाम भी है। वह उसी विमान में थे।
इस हादसे की अनेक स्तरों पर जाँचें होने जा रही हैं। एयर इण्डिया अपनी ओर से जाँच कराएगी। जिस बोइंग कम्पनी का विमान था, वह भी पड़ताल करेगी। सरकार के स्तर पर जाँच शुरू हो चुकी है। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भी अपने जाँच दल भेज रहे हैं क्योंकि बोइंग के विमान तमाम देशों में इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसे में, हादसे का असल कारण तो जाँच के नतीज़ों ज़ाहिर होने के बाद ही पता चलेगा। फिर भी विशेषज्ञों के हवाले से और कुछ अनुमानों के मार्फ़त दुर्घटना के कारणों से जुड़े अन्देशे जताए जा रहे हैं। एक नज़र..
पहला कारण– विमान के इंजन में सम्भवत: ईंधन जाना बन्द हो गया होगा। दुर्घटना से जुड़े तमाम वीडियो देखने के बाद यह स्पष्ट है कि विमान हवाईपट्टी छोड़ने के बाद ऊपर तो उठा, लेकिन एक मिनट से भी कम समय में वह नीचे आने लगा। मानो उसके इंजनों ने काम करना ही बन्द कर दिया हो। इसी आधार पर जानकार यह अन्दाज़ा लगा रहे हैं कि सम्भवत: विमान के एक या दोनों इंजनों में ईंधन की आपूर्ति किसी कारण से अचानक बन्द हो गई होगी। इससे इंजन भी बन्द हो गए और विमान गिर गया। दूसरा कारण- विमान से पक्षी या पक्षियों का झुण्ड टकराया हो। अहमदाबाद हवाई अड्डे के क़रीब ही पक्षी अभयारण्य भी है। तो ऐसा हो सकता है।
तीसरा कारण– पायलटों से कोई ग़लती हुई हो। इसकी सम्भावना हालाँकि कम लगती है क्योंकि विमान के मुख्य पायलट सुमित सभरवाल को 15,000 से अधिक घन्टों का उड़ान भरने का अनुभव था। इनमें से 8,200 घन्टों का अनुभव तो उन्हें उसी तरह के विमानों को उड़ाने का था, जो दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। उनके सहयोगी पायलट क्लाइव कुन्दर को भी 1,100 से अधिक घन्टों तक विमान उड़ाने का अनुभव था।
तो क्या कोई चौथा कारण भी हो सकता है? कोई आतंकी साज़िश? इससे इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए कि अभी ये आशंकाएँ लगातार बनी हुई हैं कि इसी मई महीने में भारतीय सेनाओं के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के दौरान बुरी तरह मुँह की खाने के बाद पाकिस्तान और वहाँ बैठे आतंकी भारत में किसी बड़ी आतंकी वारदात को अंज़ाम दे सकते हैं। पाकिस्तान द्वारा ऐसा दो कारणों से किए जाने की आशंका है। पहला- भारत से अपनी पराजय का बदला लेना। दूसरा- भारतीय सेनाओं को सीधे तौर पर पूर्ण युद्ध की पहल के लिए उकसाना।
दूसरी बात, यात्री विमानों को आतंकी वारदातों के लिए इस्तेमाल किए जाने की घटनाएँ नई नहीं हैं। ऐसा पहले हो चुका है। दो बार तो भारतीय विमानों को ही इस्तेमाल किया गया। पाकिस्तानी आतंकियों ने 24 दिसम्बर 1999 को काठमांडू से दिल्ली आ रही इण्डियन एयरलाइन्स की उड़ान आईसी-814 को बीच रास्ते में बन्धक बना लिया था। इसके बाद उस विमान को कंधार, अफ़ग़ानिस्तान ले गए। विमान में 190 लोग थे। इस विमान को 31 दिसम्बर को छोड़ा गया था। इसके बदले में भारत को तीन बड़े आतंकी छोड़ने पड़े, जो तब भारतीय जेलों में थे। इन तीन आतंकियों में एक मसूद अज़हर था, जो अब भी पाकिस्तान में आज़ाद घूम रहा है। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के दौरान मसूद अज़हर के ठिकानों पर भारतीय सेना के हमलों में उसके परिवार के 10 से अधिक सदस्य मारे गए थे।
इसी तरह, खालिस्तान समर्थक आतंकियों ने एयर इण्डिया की उड़ान संख्या एआई-182 को 23 जून 1985 को बम से उड़ा दिया था। कनिष्क नामक इस विमान ने कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर से उड़ान भरी थी। उसे पहले लन्दन और फिर दिल्ली होते हुए मुम्बई पहुँचना था। लेकिन विमान को आयरलैंड के हवाई क्षेत्र में 31,000 फीट की ऊँचाई पर धमाके से उड़ा दिया गया। हादसे में 329 लोगों की मौत हुई थी। अमेरिका में 9/11 (साल 2001) के आतंकी हमले में भी यात्री विमानों का ही इस्तेमाल हुआ था। दो विमान वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर की जुड़वाँ इमारतों से भिड़ा दिए गए थे। तीसरा अमेरिकी रक्षा मुख्यालय के पास गिरा था। उस हमले में 3,000 लोग मारे गए थे।
इसी आधार पर अहमदाबाद विमान हादसे के पीछे के सम्भावित कारणों में ण्ह चौथा कारण बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है। निश्चित ही, जाँच करने वाले सभी दल इसे नज़रन्दाज़ नहीं करेंगे।
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