…और रावण ने आत्महत्या कर ली!

ए. जयजीत, भोपाल, मध्य प्रदेश से, 14/10/2021

जैसे-जैसे विजयादशमी नज़दीक आती है, बड़े रावण की छोटे वाले से कोफ़्त बढ़ती जाती है। विजयादशमी के दिन तो वह फूटी आँख नहीं सुहाता। सोचता, यह जितनी जल्दी यहाँ से टले, उतना अच्छा। लाज़िमी भी है। मंच पर भाषण वो दे, समिति वालों को चन्दा वो दे और सारा अटेंशन लूट ले जाए मैदान में खड़ा छटाँक भर का रावण। क़द बड़ा हुआ तो क्या हुआ, रावणत्व में तो छोटा ही है, बड़े वाले की तुलना में छटाँक भर का।

छोटे रावण ने कभी अपहरण कांड करके अपनी मतिहीनता का परिचय दिया था। अब विजयादशमी की एक रात पहले ही छोटे वाले को निपटाने की प्लानिंग कर बड़ा रावण अपनी मतिहीनता का परिचय दे रहा है।

बड़े रावण ने इस काम को सहयोगियों को सौंपने का जोख़िम नहीं लिया। आजकल सहयोगियों का क्या भरोसा। कल विरोधियों के साथ मिलकर उसे सारे जहाँ में बदनाम कर दें। बदनामी से ये वाला बड़ा रावण नहीं डरता। एक से बढ़कर एक बदनामियाँ उसके खीसे में हैं। लेकिन यह छोटी-सी बदनामी उसकी राजनीति पर दाग बन सकती है। वैसे तो दागों से भी बड़े रावण का कोई दुराव नहीं। भ्रष्टाचार से लेकर दुष्कर्म टाइप के बड़े-बड़े दाग हैं। लेकिन यह मामला धार्मिक रूप से थोड़ा सम्वेदनशील है। इसलिए किसी तरह का जोख़िम लेना ठीक नहीं, यह सोचकर बड़ा रावण विजयादशमी की एक रात पहले दशहरा मैदान में पसरी चुप्पी के बीच स्वयं ही मोर्चे पर जुट गया। चुपचाप पेट्रोल की कैन हाथ में लिए सधे हुए कदमों से बीच मैदान में खड़े छोटे रावण के पास पहुँच गया। कुम्भकर्ण तो हमेशा की तरह सो रहा था। उधर, इतने सालों से हर साल मरते-मरते मेघनाद भी किंकत्तर्व्यविमूढ़ हो चुका है। इसलिए वह भी ‘कल मरना है तो आज टेंशन क्यों लेना’ टाइप की बातें सोचकर मजे से खर्राटे ले रहा था।

हमारे अपने इस बड़े रावण को वैसे भी कुम्भकर्ण और मेघनाद से कोई ख़ास लेना-देना नहीं था। उसे तो केवल छोटे रावण से ही हीन भावना महसूस हो रही है। तो उसके निशाने पर छोटा रावण ही था जो छोटा होने के बावज़ूद करीब 71 फीट ऊँचा था। छोटे रावण ने केवल आँखें मूँद रखी थीं। उसकी आँखों में नींद कहाँ! बड़े रावण के कदमों की आहट सुनते ही आँखें खोल लीं। नीचे छोटे कद के बड़े रावण को देखते ही बोल उठा, “आओ गुरु, तुम्हारा ही इन्तज़ार कर रहा था।”

बड़ा रावण चौक गया। उसे छोटे रावण के बोलने से अचरज़ नहीं हुआ, पर अपनी प्लानिंग का भांडाफोड़ होने का डर सताने लगा। बड़े रावण ने घबराकर पेट्रोल की कैन को अपने सफेद कुर्ते के पीछे छिपाने की विफल कोशिश की।  

“मुझे मारने की प्लानिंग, वह भी पेट्रोल से! इसे ही कहते हैं विनाश काले विपरीत बुद्धि। मैं ख़ुद एक बार इसका शिकार हो चुका हूँ और उसी का ख़मियाज़ा आज तक भुगत रहा हूँ। सोचो, मुझे समय से पहले मारने के मामले की अगर कल फॉरेंसिक जाँच हो जाती तो तुम यूँ ही फँस जाते। आख़िर इन दिनों पेट्रोल कौन अफोर्ड कर सकता है? तुम जैसे गिने-चुने लोग ही, जिनके पास ऑलरेडी कई-कई पेट्रोल पम्प हैं।”

बड़े रावण ने चुपचाप पेट्रोल की कैन अपनी जिप्सी में रख दी। मन ही मन सोचा- स्साला ऐसे ही ज्ञानी नहीं कहलाता। और यह सोचकर छोटे रावण के प्रति उसका विषाद और बढ़ गया। बड़ा रावण बख़ूबी जानता है कि वैसे तो उसने एक से एक नीच काम किए हैं, पर यह धार्मिक आस्था का मामला है। ख़ुलासा होते ही उसकी राजनीति ख़त्म समझो। कैन रखकर वापस आने पर उसने अपनी सफाई देने की कोशिश की तो ज़बान लड़खड़ाने लगी। कोई कितना भी बेशर्म हो, ग़लत काम पकड़ में आने पर शुरू में तो हकलाने का नैतिक साहस आ ही जाता है।

छोटा रावण बड़े रावण की चिन्ता समझ गया, “मैं जानता हूँ कि इतना नीच काम तो तुमको ही शोभा देता है, फिर भी धर्म के मामले में तुमने यह ग़लती कैसे कर दी?’

इतना सुनते ही बड़ा रावण छोटे रावण के कदमों में गिर पड़ा, “बताइए, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ? बस, आज की इस घटना के बारे में किसी से कुछ मत कहना। पब्लिक मेरे सौ ग़ुनाह माफ़ कर सकती है, लेकिन धर्म के मामले में छोटी-सी ग़लती भी बर्दाश्त नहीं करेगी। भाई साहब बचा लो। नहीं तो मेरी राजनीति डूब जाएगी।” छोटे को भी कब भाई साहब कहना है, बड़ा रावण इस मामले में ज़्यादा ज्ञानी हैं।

“क्या कर सकते हो तुम?” छोटे रावण को थोड़ी दिल्लगी करने का मन हुआ। पूरी रात बची थी। करता भी क्या तो सोचा कुछ टाइम पास ही कर लेते हैं।

“मैं आपके लिए सबकुछ कर सकता हूँ। आपको अपने किसी रिश्तेदार के लिए कोई एजेंसी-वेजेंसी चाहिए या किसी को दारू का ठेका दिलवाना हो तो बताइए।” बड़े रावण ने पहला ऑफ़र पटका।

“मेरे दो प्रिय रिश्तेदार तो यहीं हैं। हमेशा की तरह ये भी कल मेरे साथ ही जाएँगे।”

“फिर भी कोई भतीजा-भांजा। साला, बहनोई। अपन किसी को भी ओब्लाइज कर सकते हैं। बस आप इशारा कीजिए।” 

छोटा रावण चुप रहा। अन्दर ही अन्दर मन्द-मन्द अट्टहास करता रहा।

“या आप कहें तो आपकी यह रात सजा दूँ? शराब-शबाब एक से बढ़कर एक। बताओ तो सही।” बड़े रावण ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा। काफ़ी अनुभवी रहे हैं इस मामले में बड़े रावण जी।

अब छोटा रावण बड़े रावण की इस मूर्खतापूर्ण बात पर क्या कहें, मन ही मन अट्‌टहास करने के सिवाय। इधर छोटे रावण की चुप्पी अब बड़े रावण को भयभीत कर रही है। स्साला पता नहीं क्या चाह रहा है? लगता है ऑफ़र बढ़ाने होंगे।

“कोई केस हटवाना हो? दुष्कर्म से लेकर हत्या तक, कोई भी केस। किसी के भी ख़िलाफ़। अपनी सब सेटिंग है। या किसी शत्रु के ख़िलाफ़ सीबीआई का छापा डलवाना हो?” उसने एक और ऑफ़र पटका।

छोटा रावण अब भी चुप है। बड़े रावण की बेचैनी बढ़ती जा रही है। लिहाज़ा निकट आकर उसने फुसफुसाते हुए कहा, “इन दिनों अपन ड्रग्स के धन्धे में भी आ गए हैं। भतीजा सँभालता है सब कुछ। बहुत चोखा धन्धा है। आप कहो तो 15 टका आपका।” 

इधर छोटा रावण भी बेचैन हो रहा है। बड़ा रावण नीच है, यह तो उसे पहले से ही मालूम था, पर इतना नीच निकलेगा, इसका ज्ञान उस जैसे ज्ञानी को भी आज ही हुआ। उसने कुम्भकर्ण और मेघनाद पर नज़रें दौड़ाई। यहाँ मैदान में इतनी बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, पर दोनों को कोई फ़िक्र नहीं। खर्राटे लेकर मजे से सो रहे हैं स्साले। काश मेघू ये सब सुन पाता। गुस्से का तो शुरू से तेज रहा है। तो बड़े रावण का दहन यहीं इसी समय हो जाता। पर क्या करें, सोने से फुर्सत मिले तब तो!  

इधर बड़े रावण की बेचैनी का तो पूछो ही मत। “भाई साहब, आप चाहते क्या हो? खुद ही बता दो।” छोटे रावण को चुप देखकर एक और ऑफ़र पटका, “चलिए, आपको पर्सनल फेवर नहीं चाहिए, कोई बात नहीं। इन दिनों आपके लंकावालों की चीन के साथ बड़ी पींगे बढ़ रही हैं। कोई गुप्त कागज़ात, नक्शे-वक्शे उपलब्ध करवाना हो तो वह बता दीजिए। आपके लिए यह भी करने की कोशिश कर सकता हूँ।” 

बड़ा रावण और क्या करता। बेचारा कितनी कोशिश करता। ऑफ़र पर ऑफ़र। ऐसे ही सुबह हो गई।

पौ फटते ही जब नाइट ड्यूटी वाले गार्ड्स आँखें मलते हुए मैदान पर आए तो अनहोनी की ख़बर तुरन्त समिति वालों को दी गई। समिति वाले भी आए तो छोटा रावण मैदान पर आड़ा पड़ा हुआ था। बड़ी अनहोनी घट चुकी थी।

पहले तो गार्ड्स को फटकारा, “स्सालो, सोते रहते हो! रात को क्या हुआ, तुम्हें नहीं पता तो किसको होगा?” फिर उन्होंने प्रश्नवाचक निगाहों से मेघनाद की ओर देखा। पर स्वयं मेघनाद के चेहरे पर ही प्रश्नवाचक नज़र आया, “पिताश्री हमसे पहले ही कैसे निकल लिए?” उधर कुम्भकर्ण तो अब भी सो रहा था।

बहुत कोशिश की, लेकिन समिति वाले छोटे रावण को खड़ा नहीं कर पाए। समिति के अध्यक्ष जो संयोग से डॉक्टर भी थे, ने कहा, “रात को शायद कोई तगड़ा आघात लगा हो। इसलिए अटैक आ गया होगा।” 

सचिव ने कहा, “कोई बात नहीं सर। हम नेताजी से रिक्वेस्ट कर लेंगे। वे आड़े रावण का ही अन्तिम संस्कार कर देंगे। बड़े नेक इंसान हैं वे।” 

अब यह हक़ीक़त शायद ही किसी को पता चले कि छोटे रावण ने सुबह होते-होते अपनी दिव्य शक्तियों के बल पर आत्महत्या कर ली थी।
——
(ए. जयजीत देश के चर्चित ख़बरी व्यंग्यकार हैं। उन्होंने #अपनीडिजिटलडायरी के आग्रह पर ख़ास तौर पर अपने व्यंग्य लेख डायरी के पाठकों के उपलब्ध कराने पर सहमति दी है। वह भी बिना कोई पारिश्रमिक लिए। इसके लिए पूरी डायरी टीम उनकी आभारी है।)

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Apni Digital Diary

Share
Published by
Apni Digital Diary

Recent Posts

तिरुपति बालाजी के लड्‌डू ‘प्रसाद में माँसाहार’, बात सच हो या नहीं चिन्ताजनक बहुत है!

यह जानकारी गुरुवार, 19 सितम्बर को आरोप की शक़्ल में सामने आई कि तिरुपति बालाजी… Read More

4 hours ago

‘मायावी अम्बा और शैतान’ : वह रो रहा था क्योंकि उसे पता था कि वह पाप कर रहा है!

बाहर बारिश हो रही थी। पानी के साथ ओले भी गिर रहे थे। सूरज अस्त… Read More

1 day ago

नमो-भारत : स्पेन से आई ट्रेन हिन्दुस्तान में ‘गुम हो गई, या उसने यहाँ सूरत बदल’ ली?

एक ट्रेन के हिन्दुस्तान में ‘ग़ुम हो जाने की कहानी’ सुनाते हैं। वह साल 2016… Read More

2 days ago

मतदान से पहले सावधान, ‘मुफ़्तख़ोर सियासत’ हिमाचल, पंजाब को संकट में डाल चुकी है!

देश के दो राज्यों- जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में इस वक़्त विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया चल… Read More

3 days ago

तो जी के क्या करेंगे… इसीलिए हम आत्महत्या रोकने वाली ‘टूलकिट’ बना रहे हैं!

तनाव के उन क्षणों में वे लोग भी आत्महत्या कर लेते हैं, जिनके पास शान,… Read More

5 days ago

हिन्दी दिवस :  छोटी सी बच्ची, छोटा सा वीडियो, छोटी सी कविता, बड़ा सा सन्देश…, सुनिए!

छोटी सी बच्ची, छोटा सा वीडियो, छोटी सी कविता, लेकिन बड़ा सा सन्देश... हम सब… Read More

6 days ago