टीम डायरी
सनातन संस्कृति में जिन सात पवित्र नगरियों का उल्लेख है, उनमें से एक उज्जैन। महाकाल यहाँ के राजा। देवी हरसिद्धि यहाँ सिद्धपीठ में बैठी हैं। कालभैरव यहाँ के रक्षक हैं। योगेश्वर श्रीकृष्ण का यह शिक्षालय है। ऐसे नगर में, एक महिला के साथ दिन की रोशनी में व्यस्त सड़क के किनारे सरेआम दुष्कर्म हो गया। इस पर भी अफ़सोस यह कि वहाँ से गुजरने वाले राहगीरों ने इस वारदात को रोकने की क़ोशिश नहीं की। बल्कि मोबाइल पर वे वीडियो बनाते रहे। एक युवक ने तो वीडियो सोशल मीडिया पर ही डाल दिया।
अब कानून अपना काम कर रहा है, परम्परागत तरीक़े से। आरोपी पकड़ा गया है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर डालने वाला भी पकड़ा जा चुका है। फिर मुक़दमा चलेगा। लम्बी चौड़ी अदालती कार्यवाही होगी। तब कहीं आरोपी को सज़ा मिलेगी। इसके बाद ऊपरी अदालतें तस्वीर में आएँगी। इस तरह, कानूनी सिलसिला चलता रहेगा, जिसकी प्रभावशीलता यह है कि किसी छोटे से बच्चे में भी अपराध करने से पहले कानून, अदालत या सज़ा का ख़ौफ़ नहीं है। अगर होता तो छोटे बच्चे भी दुष्कर्म जैसी वारदातें न करते।
इसे पढ़ सकते हैं
बच्चों ने बच्चियों से दुष्कर्म कर उन्हें मार देने का सोचा भी कैसे? इस वीडियो में ज़वाब है!
ऐसे ही, कानून और अदालतों की तरह नेता भी उज्जैन मामले में अपना काम कर रहे हैं। एक-दूसरे पर आरोप लगाने का काम। क्योंकि उन्हें बस, इतना ही करना है। जनता के सामने किसी भी तरह से सिर्फ़ यह साबित करना है कि देखो, “सामने वाला राजनैतिक दल हमसे ज़्यादा बुरा है। नाक़ारा है। उसकी सरकार वाले राज्य में स्थिति ज़्यादा गम्भीर है।” कोलकाता के आरजी कर चिकित्सालय में एक प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और फिर उसकी जघन्य हत्या के मामले में भी तो यही सब हो रहा है। बीते साल उज्जैन में ही सितम्बर के महीने में 12 साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में भी यही हुआ था। और ऐसे तमाम मामलों में यही सब होता है। बल्कि अब तो तथाकथित ‘सोशल’ मीडिया पर आए दिन महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, दुष्कर्म के वीडियो भी बेख़ौफ़ चलते हैं।
यानि समस्या गम्भीर है और समधान कोई नज़र नहीं आता। ऐसे में क्या किया जाए? ज़वाब बॉम्बे उच्च न्यायालय ने दिया है। दुष्कर्म के ही एक मामले में सुनवाई के दौरान इस अदालत के न्यायाधीशों ने कहा है, “ऐसे मामलों पर रोक के लिए लड़कों को शिक्षित करने की ज़्यादा ज़रूरत है। इसलिए अब नारा होना चाहिए- बेटा पढ़ाओ, बेटी बचाओ।” न्यायालय का सन्देश स्पष्ट है कि महिलाओं की गरिमा, उनके सम्मान के प्रति सम्वेदनशीलता कैसे बरती जाए, इस बारे में लड़कों को सिखाने-समझाने का काम अभियान की तरह करना चाहिए।
और इस अभियान का एक तरीक़ा क्या हो सकता है? उसकी एक बानगी अभी कुछ रोज़ पहले #अपनीडिजिटलडायरी के पन्नों पर ही दर्ज़ की गई थी। हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली में संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षाओं के कोचिंग संस्थान चलाने वाली बबीता त्यागी के एक वीडियो का डायरी पर उल्लेख किया गया था। नीचे उससे सम्बन्धित लेख का शीर्षक दिया गया है। उसे फिर पढ़ना ओर देखना चाहिए।
इसे फिर पढ़ना चाहिए
इस वीडियो से समझिए कि ऐसी परवरिश और शिक्षा से ही बलात्कार रुक सकते हैं
सिर्फ़ देखना और पढ़ना ही नहीं, गम्भीरता से इस पहलू पर विचार करना चाहिए। इस पर जो कुछ भी हम कर सकें, करना चाहिए। क्योंकि ऐसी वारदातें कभी भी, किसी के साथ भी हो सकती हैं। इसलिए हाथ पर हाथ धरकर बैठे मत रहिए। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने जो सुझाव दिया है और बबीता त्यागी जैसे लोगों ने जो सिलसिला शुरू किया है, उसे किसी सूरत में रुकना नहीं चाहिए। आगे बढ़ते रहना चाहिए।
देश के दो राज्यों- जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में इस वक़्त विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया चल… Read More
तनाव के उन क्षणों में वे लोग भी आत्महत्या कर लेते हैं, जिनके पास शान,… Read More
छोटी सी बच्ची, छोटा सा वीडियो, छोटी सी कविता, लेकिन बड़ा सा सन्देश... हम सब… Read More
शीर्षक को विचित्र मत समझिए। इसे चित्र की तरह देखिए। पूरी कहानी परत-दर-परत समझ में… Read More
भारत में लगभग 44% तक ऑपरेशन ग़ैरज़रूरी होते हैं। इनमें दिल के बीमारियों से लेकर… Read More
उसका शरीर अकड़ गया था। ऐसा लगता था जैसे उसने कोई पत्थर निगल लिया हो।… Read More