प्रतीकात्मक तस्वीर
विकास वशिष्ठ, मुम्बई से
आवाज़ मद्धम है, तो शायद थोड़ा ज़ोर लगे सुनने में। लाइनें भी चन्द ही हैं। इसलिए वक़्त एक मिनट से भी कम का लगेगा। लेकिन असर? वह चन्द मिनटों तक नहीं रहेगा। मद्धम भी नहीं रहेगा। ज़ोर-ज़ोर से, घंटों तक कानों में गूँजेगा।
आवाज़ विकास वशिष्ठ की है। और लाइनें उन्हीं की किताब ‘स्माइली वाली लड़की’ (#SmileyWaliLadki) से।
सुनकर देखिएगा। हाँ, क्योंकि ध्यान से सुनेंगे, तो सुनते वक़्त किताब का प्रमुख किरदार ‘चन्दन’ और उसके गाँव का मंज़र दिखाई देगा।
और हाँ, किताब पढ़ने की इच्छा हो, तो वह अमेज़न पर उपलब्ध है। ऑनलाइन ख़रीदी के लिए।
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