आभार
अनुज राज पाठक, दिल्ली
हमारी, आपकी #अपनीडिजिटलडायरी को आज ऋषि पंचमी के दिन चार साल हो गए। #अपनीडिजिटलडायरी की सालगिरह इस तिथि को ही क्यों मनाई जाती है, इसका कारण हम अपनी पहली वर्षगाँठ से जुड़े पहले आलेख में ही बता चुके हैं। सबसे नीचे पिछले सालों के लेखों के शीर्षक उनकी लिंक के साथ दिए हैं, पढ़े जा सकते हैं।
दरअस्ल, कोई भी व्यक्ति किसी कार्य को बिना उद्देश्य के नहीं करता। वैसे ही #अपनीडिजिटलडायरी का भी उद्देश्य है।उद्देश्य यह है कि उन सभी लोगों को एक वैकल्पिक मंच दिया जाए, जो समाज के हित में सोचते, विचार करते हैं। जो समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं। फिर वे चाहे बच्चे हों, युवा हों, मध्य आयु वर्ग के हों, या फिर बुज़ुर्ग। वे कोई नामी-गिरामी हों, या जनसामान्य। वे सभी लोग अपने मनमुताबिक पन्ने #अपनीडिजिटलडायरी पर दर्ज़ कर सकें, जो मीडिया में उपेक्षित हैं, और सोशल मीडिया पर तो अपेक्षित ही नहीं हैं। #डायरी ऐसे सभी लोगों के लिए है।
हमने यह उद्देश्य सनातन सप्तऋषि परम्परा से लिया है, जिनके बारे में आज भी कहा जाता है कि वे सभी ऋषि आकाश में सप्ततारा मंडल के रूप में जनकल्याण के लिए, विश्व कल्याण के उद्देश्य से अनवरत विचरण किया करते हैं। इसीलिए सप्तऋषियों से जुड़ी यह तिथि हमारी सालगिरह का अवसर है। यह हम ख़ुद हमेशा याद रखते हैं।
भारतीय ऋषि कहता है कि राष्ट्र का हित सर्वोपरि है। राष्ट्र के बाद समाज उसके बाद परिवार और सबसे बाद में व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत हित के बारे में सोचना चाहिए और कार्य करना चाहिए। ऋषियों की इसी ज्ञान परम्परा को आधार बनाकर हम तीन लोगों ने सोचा कि हमने अपने राष्ट्र से, समाज से बहुत कुछ लिया है। अपितु हमारे होने में भी राष्ट्र और समाज की वृहद् भूमिका है। तो हमें भी राष्ट्र के, समाज के हित हेतु कुछ अवश्य करना चाहिए।
फिर इसी विचारक्रम में #अपनीडिजिटलडायरी का बीज पड़ा। पौधा रोप दिया गया, जिसमें से कोपलें निकलना शुरू हो रही हैं अब। नीचे दिए ग्राफिक्स पर ग़ौर कीजिए। इसमें दर्ज़ आँकड़े और जानकारियाँ किन्हीं दूसरे मंचों से अपनी तुलना करने के लिए नहीं हैं। बल्कि हमारे अपने प्रयासों के सकारात्मक परिणाम बताने के लिए हैं।
यह पहला ग्राफिक बताता है कि #अपनीडिजिटलडायरी अपने प्रमोशन के लिए विज्ञापन पर कोई पैसा ख़र्च किए बिना भी लोगों तक पहुँच रही है। हमारे पास आने वाले लोगों में 48% से ज़्यादा लोग सोशल मीडिया के माध्यम से सीधे आते हैं। इसके बाद 27% से ज़्यादा लोग ढूँढकर आते हैं। और 21% अधिक लोग तो गूगल पर सर्च करके आते हैं। इस तरह #अपनीडिजिटलडायरी तक पहुँचे क़रीब-क़रीब सभी लोग स्वेच्छा से हम तक पहुँच रहे हैं।
यह दूसरा ग्राफिक बताता है कि तीन लोगों से शुरू #अपनीडिजिटलडायरी का सिलसिला 24 हजार लोगों तक पहुँचने लगा है। कोई कह सकता है कि लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुँचने वाले वेबमंचों की तुलना में यह कौन सा उल्लेखनीय आँकड़ा है? तो उसके लिए ज़वाब है कि वे सभी मंच अपने पास लोगों को खींचने के उद्देश्य से 24 घंटों में सैकड़ों लेख, वीडियो, ऑडियो आदि अपने वेबमंच पर डालते हैं। उसमें बहुत सी सामग्री सवालिया निशान की ज़द में होती है। जबकि #अपनीडिजिटडायरी पर 24 घंटे में एक-दो लेख, आदि ही दिए जाते हैं। वह भी सवालों के घेरे से पूरी तरह मुक्त। कम से कम अब तक तो ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। अभी इतना कर पाए हैं हम।
यह तीसरा ग्राफिक थोड़ा चौंकाता है। इसके मुताबिक हमारे साथ जुडृने वाले 50% तक लोग अमेरिका से हैं। जबकि 29% के आस-पास भारत से। आयरलैंड, स्वीडन, आदि में भी #अपनीडिजिटलडायरी के साथ जुड़ने वाले लोगों की उपस्थिति है। निश्चित ही विदेश के इन आँकड़ों में वहाँ रहने वाले भारतवंशियों का ही योगदान होगा। इसमें कोई दोराय नहीं है। क्योंकि #अपनीडिजिटडायरी पर तो हिन्दी में ही सामग्री प्रकाशित होती है।
अलबत्ता, योगदान की बात आई तो बता दें कि #अपनीडिजिटलडायरी के इस चार साल के सफ़र में अब तक 1,058 से अधिक लेख, वीडियो, ऑडियो आदि प्रकाशित किए गए। इनमें 60 से 65% प्रतिशत तक लेख आदि डायरी को पसन्द करने वालों ने लिखे हैं। इनमें हर उम्र के लोग शामिल हैं। इन सभी के योगदान से #अपनीडिजिटडायरी पर हर 28 दिनों के अन्तराल में किए जाने वाले क्लिक्स की तादाद कई मौकों पर 1,816% तक भी बढ़ी। जबकि यूनीक विजिटर्स यानि पहली बार जुड़ने वाले लोगों की संख्या में 625% तक का इज़ाफ़ा भी दिखा है।
इसीलिए हमें भरोसा होता है कि हम सही राह पर हैं। हमें उम्मीद जगती है कि हम जो उद्देश्य लेकर चल रहे हैं, उस पर देर-सबेर कुछ उल्लेखनीय अवश्य हासिल करेंगे। हमारे साथ जुड़ने वालों का सहयोग हमें मिलता रहेगा, बढ़ता रहेगा। हम मिलकर वैकल्पिक वैचारिकी माध्यम के तौर पर स्थापित होंगे, सशक्त होंगे। समाज में हम मौज़ूदा और अगली पीढ़ी में भी, उच्च मानवीय मूल्यों को अग्रसरित करने, स्थापित करने में योगदान देते रहेंगे।
सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
—–
पिछले सालों का हमारा ब्यौरा
3 – #अपनीडिजिटलडायरी के तीन साल, तीन ताल जैसे… कभी भरे, कहीं खाली!
2 – ऋषि पंचमी और #अपनीडिजिटलडायरी का दूसरा वर्ष : लम्बा है सफ़र इसमें कहीं…
1 – अपनी डिजिटल डायरी का एक वर्ष..
पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला तो करा दिया, लेकिन उसे शायद ऐसी… Read More
महात्मा गाँधी कहा करते थे, “पत्र लिखना भी एक कला है। मुझे पत्र लिखना है,… Read More
पहलगाम की खूबसूरत वादियों के नजारे देखने आए यात्रियों पर नृशंसता से गोलीबारी कर कत्लेआम… Read More
प्रिय दादा मेरे भाई तुम्हें घर छोड़कर गए लगभग तीन दशक गुजर गए हैं, लेकिन… Read More
उसने पूछा- क्या धर्म है तुम्हारा?मेरे मुँह से निकला- राम-राम और गोली चल गई।मैं मर… Read More
लोग कह रहे हैं कि यह, पहलगाम का आतंकी हमला कश्मीरियत को बदनाम करने की… Read More