एक फ्रेम, असीम प्रेम : हम तीन से छह दोस्त हो सकते थे, नहीं हो पाए

विकास वशिष्ठ, मुंबई

आज फेसबुक पर याद गली में चला गया। वहाँ कुछ बरस पुरानी यादें ताज़ादम होने को बेताब दिखीं। देखा कि चार बरस पहले आज ही के दिन दिमाग़ में क्या कुछ चल रहा था। फिर स्क्रॉल करते हुए थोड़ा नीचे पहुँचा। एक पुरानी, बहुत पुरानी जीप में बैठे हुए दो दोस्त दिखे। जीप खटारा थी और वे उसे चलाने का नाटक कर रहे थे। तस्वीर तीसरे दोस्त ने क्लिक की थी। थोड़ा और नीचे गया तो तीनों दोस्त एक फ्रेम में दिखे। मैं ख़ुद, सूरज और अनुज। 

इस फ्रेम पर मैं रुका रहा। इस फ्रेम के प्रेम में डूबा हुआ सा। सोचता रहा, वे दिन कितने ख़ूबसूरत थे। दोस्तों के नाम पर हम तीनों के पास बाकी दो ही नाम होते थे। शायद हमारी दुनिया छोटी थी। दोस्त आज भी हैं, हम तीनों। लेकिन आज वाले फ्रेम में पता नहीं क्यों, कल वाली वो बात नहीं दिखती। हम सब अपनी-अपनी ज़िन्दगियों में व्यस्त तो हो गए, फिर भी वो प्रेम बना रहा, ये कह पाना आज मुश्क़िल तो नहीं लगता लेकिन थोड़ा सा मिलावटी लगता है। 

हम तीन दोस्त थे। तीनों की शादियाँ हो गईं। तीनों की ज़िन्दगी में एक-एक दोस्त और जुड़ गया। हम तीन से छह दोस्त हो सकते थे। दुर्भाग्यवश नहीं हो पाए। इसका कोई मलाल नहीं है मुझे। नहीं हुए, न सही। लेकिन मैं आज भी हम तीनों की दोस्ती के उसी फ्रेम वाला प्रेम चाहता हूँ। वो ज़िन्दगी से कहीं मिसिंग है। आओ यारो! जी लें फिर एक बार भरपूर ज़िन्दगी। ओए सूरज! तू आज भी हम दोनों का आमिर है साले। और सुन पहलवान अनुज! तेरा गुस्सा आज भी हम दोनों सर-आँखों पर उठाने को तैयार हैं। पर साले! थूक दे इस गुस्से को। चलाे एक बार फिर से उसी फ्रेम के प्रेम में डूब जाएँ।

——– 
(नोट : विकास #अपनीडिजिटलडायरी के संस्थापकों में शामिल हैं। राजस्थान से ताल्लुक़ रखते हैं। मुंबई में नौकरी करते हैं। लेकिन ऊर्जा अपने लेखन से पाते हैं।) 
——

विकास की डायरी के पिछले पन्ने 

1 – माँ की ममता किसी ‘मदर्स डे’ की मोहताज है क्या? आज ही पढ़ लीजिए, एक बानगी! 

सोशल मीडिया पर शेयर करें
From Visitor

Share
Published by
From Visitor

Recent Posts

‘देश’ को दुनिया में शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है क्योंकि कानून तोड़ने में ‘शर्म हमको नहीं आती’!

अभी इसी शुक्रवार, 13 दिसम्बर की बात है। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लोकसभा… Read More

2 days ago

क्या वेद और यज्ञ-विज्ञान का अभाव ही वर्तमान में धर्म की सोचनीय दशा का कारण है?

सनातन धर्म के नाम पर आजकल अनगनित मनमुखी विचार प्रचलित और प्रचारित हो रहे हैं।… Read More

4 days ago

हफ़्ते में भीख की कमाई 75,000! इन्हें ये पैसे देने बन्द कर दें, शहर भिखारीमुक्त हो जाएगा

मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर को इन दिनों भिखारीमुक्त करने के लिए अभियान चलाया जा… Read More

5 days ago

साधना-साधक-साधन-साध्य… आठ साल-डी गुकेश-शतरंज-विश्व चैम्पियन!

इस शीर्षक के दो हिस्सों को एक-दूसरे का पूरक समझिए। इन दोनों हिस्सों के 10-11… Read More

6 days ago

‘मायावी अम्बा और शैतान’ : मैडबुल दहाड़ा- बर्बर होरी घाटी में ‘सभ्यता’ घुसपैठ कर चुकी है

आकाश रक्तिम हो रहा था। स्तब्ध ग्रामीणों पर किसी दु:स्वप्न की तरह छाया हुआ था।… Read More

7 days ago