आज तुमसे कहना चाहता हूँ…, ऐसा लिखने वाले को पढ़िए और कहने वाले को सुनिए!

अनुज राज पाठक, दिल्ली/ विकास वशिष्ठ, मुम्बई

आज तुमसे कहना चाहता हूँ…

कभी तुम से कहा नहीं
कि तुम खाना बहुत अच्छा बनती।
तुम्हारे घरेलू कामों की
कभी तारीफ नहीं की।
तुमने कितनी सफाई से कुशन
पर कवर चढ़ा दिए थे
और ना जाने कैसे सैकड़ों काम
कर डालती हो झटपट।
कभी नहीं कहा कि
तुम्हारे हाथों की चाय
की लत लग गई है।
मैं कभी चाय पीता नहीं था।
मेरी शर्ट का कॉलर एकदम साफ रहता है
जब से तुम धोने लगी हो।
मेरी कोई चीज खोती नहीं।
हर चीज करीने से सम्भाल कर जो रखती हो
जैसे मुझ बेतरतीब को सम्भाल दिया।
मेरी परछाई सी तुम हो।
जो हर पल साथ डोलती रहती है।
मैंने सुना था
जिसकी परछाई ना हो वह भूत होता है।
तुम सुनना चाहती हो
तुम से प्यार है।
कैसे कहूँ?
ये शब्द छोटा लगता है।
तुम्हारे लिए कोई पत्र
कोई कविता
कोई कहानी नहीं लिखी।
कैसे लिखता?
शब्द से बोलते ही
ऐसा लगता है
सब तिरोहित हो जाता है।
तुम्हारा साथ
तुम्हारा होना ऐसा है
जैसे गंगा में डुबकी लगाना।
कन्दरा में इष्ट के ध्यान में होना।
प्राचीन मन्दिर में आरती सुनना।
प्रातः स्तोत्र पढ़ना।
प्रसाद पाकर तृप्त होना।
तुम हो तो मैं हूँ।
तुमसे खुशियाँ है।
जीवन सी तुम हो
इसलिए मैं भी हूँ।  

-अनुज राज पाठक “मलङ्ग”
——— 
(नोट : अनुज के भावपूर्ण शब्दों को वैसी ही भावना और सम्वेदना के साथ आवाज़ दी है विकास वशिष्ठ ने।) 

सोशल मीडिया पर शेयर करें
From Visitor

Recent Posts

‘मायावी अम्बा और शैतान’ : वह रो रहा था क्योंकि उसे पता था कि वह पाप कर रहा है!

बाहर बारिश हो रही थी। पानी के साथ ओले भी गिर रहे थे। सूरज अस्त… Read More

12 hours ago

नमो-भारत : स्पेन से आई ट्रेन हिन्दुस्तान में ‘गुम हो गई, या उसने यहाँ सूरत बदल’ ली?

एक ट्रेन के हिन्दुस्तान में ‘ग़ुम हो जाने की कहानी’ सुनाते हैं। वह साल 2016… Read More

1 day ago

मतदान से पहले सावधान, ‘मुफ़्तख़ोर सियासत’ हिमाचल, पंजाब को संकट में डाल चुकी है!

देश के दो राज्यों- जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में इस वक़्त विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया चल… Read More

2 days ago

तो जी के क्या करेंगे… इसीलिए हम आत्महत्या रोकने वाली ‘टूलकिट’ बना रहे हैं!

तनाव के उन क्षणों में वे लोग भी आत्महत्या कर लेते हैं, जिनके पास शान,… Read More

4 days ago

हिन्दी दिवस :  छोटी सी बच्ची, छोटा सा वीडियो, छोटी सी कविता, बड़ा सा सन्देश…, सुनिए!

छोटी सी बच्ची, छोटा सा वीडियो, छोटी सी कविता, लेकिन बड़ा सा सन्देश... हम सब… Read More

5 days ago

ओलिम्पिक बनाम पैरालिम्पिक : सर्वांग, विकलांग, दिव्यांग और रील, राजनीति का ‘खेल’!

शीर्षक को विचित्र मत समझिए। इसे चित्र की तरह देखिए। पूरी कहानी परत-दर-परत समझ में… Read More

5 days ago