अनन्या पाठक, दिल्ली से, 12/10/2020
बच्चों में पड़ने वाले हर संस्कारों में, वे अच्छे हों या बुरे, परिवेश की भूमिका अहम होती है। ये इस वीडियो को देखकर समझा जा सकता है। इसमें अनन्या पाठक हैं। उम्र सिर्फ 11 साल। लेकिन इतनी उम्र इन्होंने जिस परिवेश में गुजारी, उसने इन्हें शुरुआती तौर पर गढ़ने में अहम भूमिका निभाई है। इसका प्रमाण है, ये गीत जो वे गा रही हैं। अभी 11 अक्टूबर को भारत रत्न नानाजी देशमुख की जयन्ती पर इन्होंने उन्हीं के एक गीत से उनका स्मरण किया। गीत के बोल हैं, “हर हाथ को देंगे काम, हर खेत को देंगे पानी। दुलहन बनकर फिर से सजेगी अपनी धरती रानी।।”
इस गीत के हर शब्द का अर्थ शायद अनन्या को अभी समझ न आता हो। लेकिन उन्हें देखकर हम-आप समझ सकते हैं कि वे इन्हीं शब्दों को भविष्य में नए अर्थ देने की सम्भावनाएँ अपने में समाए हुए हैं। उनसे ऐसी अपेक्षा करने के स्वाभाविक कारण हैं। एक- उनका जन्म नानाजी देशमुख के सान्निध्य में हुआ है। दो- उनका नामकरण ख़ुद नानाजी ने किया है। तीन- उन्होंने अपने जीवन के कुछ शुरुआती साल उन्हीं की छाँव में निकाले हैं। और चौथा- उनके माता-पिता डॉक्टर नन्दिता पाठक और डॉक्टर भरत पाठक ख़ुद ‘समाजसेवा परमोधर्म:’ के भाव के साथ जीवन खपा रहे हैं। दोनों ने नानाजी देशमुख के मार्गदर्शन में रहकर, काम कर के, दशकों तक जो सीखा, अब उसे आगे बढ़ा रहे हैं। पुष्पित-पल्लवित कर रहे हैं।
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(अनन्या का यह वीडियो उनकी बड़ी बहन अपूर्वा पाठक ने फेसबुक मैसेन्जर के जरिए #अपनीडिजिटलडायरी को भेजा है।)
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