क्या ये सही समय नहीं कि हम परम्परागत संधारणीय जीवनशैली की ओर लौटें?

निकेश जैन, इन्दौर मध्य प्रदेश

भारत हमेशा से संधारणीय या टिकाऊ तरीक़ों से जीवनशैली संचालित करता रहा है। लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कुछ सौ वर्षों में हमने अपनी अच्छी आदतों को भुला दिया। खान-पान की आदतें भी उन्हीं आदतों में शामिल हैं!

इस लेख के साथ दी गई तस्वीर को देखिए। अभी कुछ समय पहले जब मैं तमिलनाडु के दौरे पर गया, तब मैंने यह तस्वीर ली। वहाँ मैंने लगभग 1,000 किलोमीटर की यात्रा की और अन्दरूनी गाँवों में भी गया। मैंने देखा कि वहाँ के गाँवों और छोटे क़स्बों में आज भी पुरानी परम्पराओं का, तौर-तरीक़ों का पालन किया जाता है।

जैसे- केले के पत्तों में खाना परोसना। केले के पत्ते जैविक रूप से जल्दी नष्ट हो जाते हैं। वे धरती से पैदा होते हैं। अपना उद्देश्य पूर्ण करते हैं। फिर धरती में ही समा जाते हैं, जैविक ख़ाद के रूप में। इनमें अगर खाना परोसा जाए, तो भोजन के बाद इन्हें धोने के लिए पानी की भी ज़रूरत नहीं होती। खाना खाइए और भोजन के बाद इन्हें लपेटकर कचरेदान में डाल दीजिए। केले के पत्तों पर भोजन करने के कई स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ भी हैं।

यानी इस परम्परा के पीछे चिकित्सा विज्ञान की भी भूमिका है। इसीलिए दक्षिण के इन इलाक़ों में हम किसी भी समय पहुँचें, वहाँ रेस्त्राँ वग़ैरा में हमें केले के पत्तों पर ही गरमा-गर्म भोजन परोसा जाएगा।

मुझे भी इसी तरह परोसा गया था। तब इस परम्परागत तरीक़े से भोजन करते हुए मैं सोच रहा था कि पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों के कारण गर्म हवा के थपेड़ों जैसी परेशानियों से हजारों-लाखों लोग सड़कों पर मर रहे हैं।

ऐसी दिक़्क़तों को देखते हुए क्या यह सही समय नहीं है कि हम अपनी परम्परागत संधारणीय जीवनशैली की तरफ़ लौटें? वरना तो हम बहुत लम्बे समय तक जीवित नहीं रहने वाले हैं, ये तय मानिए!!
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निकेश का मूल लेख 

India always lived in most sustainable ways but unfortunately we unlearnt some of these good habits in last few hundred years!

The food habits is one of those habits!

The below pictures are taken by me during my recent trip to Tamil Nadu where I drove around 1800 Km and visited deep inside the villages of the state.

The villages and small towns still follow the old tradition.

Serving food on banana leaves.

The banana leaves are biodegradable. It comes from earth, solves the purpose and goes back to earth in the form of compost.

No water required for cleaning. You eat your food on it; just fold and throw it into the dustbin.

Banana leaves have other health benefits as well so there is more medical science behind it.
Whatever time you reach to the restaurant they would serve you hot food on those banana leaves!!

Looking at the current climate changes where people are dying on the roads due to heat waves across the world, it’s high time we went back to sustainable living!

Or else we won’t live for too long anyways! 

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(निकेश जैन, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी- एड्यूरिगो टेक्नोलॉजी के सह-संस्थापक हैं। उनकी अनुमति से उनका यह लेख #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में उन्होंने इसे लिंक्डइन पर लिखा है।)

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