टीम डायरी
देर से हुई शुरुआत को ज़्यादातर लोग इस अर्थ में लेते हैं कि वे अब जीत नहीं सकते। शुरुआत में ही हौसला छोड़ देते हैं क्योंकि जब वे शुरू हुए, तब तक बहुत से लोग उनसे काफ़ी आगे निकल चुके होते हैं। एक स्तर पर कुछ लोगों के लिए यह बात सही हो सकती है, लेकिन सभी के लिए सिर्फ़ यही सच नहीं है। दूसरा पहलू भी हो सकता है। हो क्या सकता है, बल्कि होता ही है। जैसा कि नीचे दिए इस वीडियो में नज़र आता है।
यह वीडियो निश्चित ही हर किसी के दिमाग़ की खिड़कियाँ खोलता है। और उससे जो साफ हवा की आवाज़ाही होती है, वह एक मंत्र फूँकती है कि शुरुआत कब हुई, इसका जीत-हार से अधिक लेना-देना नहीं है। जीत-हार इससे तय होती है कि काम करने वाले ने उसे कितने भरोसे के साथ किया। लक्ष्य तक अपना रास्ता कितनी सटीकता से तय किया। और सबसे अव्वल- दूसरों की गति या प्रगति ने उसे उसके रास्ते से भटकाया तो नहीं।
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