पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर फील्ड मार्शल बनाए गए।
नीलेश द्विवेदी, भोपाल मध्य प्रदेश
पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को अमेरिका में रह रहे पाकिस्तानियों ने ही आईना दिखा दिया। मुनीर अपनी आधिकारिक अमेरिका यात्रा पर, 17 जून को वॉशिंगटन पहुंँचे ही थे कि वहाँ उनके जगह-जगह सड़कों पर उनके विरोध में पाकिस्तानी-अमेरिकी जमा हो गए। नीचे वीडियो में देखा जा सकता है।
प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे हैं, “शर्म करो आसिम मुनीर, शर्म करो”, “आसिम मुनीर तुम क़ायर हो”, “मॉस मर्डरर आसिम मुनीर”, मॉस मर्डरर यानि बड़े पैमाने पर लोगों का क़त्ल करने वाला। वॉशिंगटन के जिस ‘फोर सीज़न होटल’ में आसिम मुनीर को ठहराया गया है, उसके बाहर भी बोर्ड पर नारे लिखे गए हैं। उनमें से ही एक नारा है, “डेमोक्रेसी डाइज़, व्हेन गन्स स्पीक्स’ यानि जब बन्दूकें गरजती हैं, तो लोकतंत्र की हत्या हो जाती है।
यह हाल पाकिस्तान के उन सेना प्रमुख का है, जिन्होंने बीते मई महीने में ख़ुद ही ख़ुद को ‘फील्ड मार्शल’ (सेना में कभी-कभार मिलने वाला सर्वोच्च पद) के तौर पर पदोन्नत कर लिया था। हालाँकि, जरिया पाकिस्तान की शाहबाज़ सरकार को बनाया था। अलबत्ता, ऐसा लिखने का कारण यह कि पाकिस्तान में कोई सरकार तो होती नहीं। वहाँ जो है, सब सेना है। यहाँ तक कि पाकिस्तान का मतलब भी वहाँ की सेना से ही लगाया जाता है। इसीलिए, अमेरिका भी पाकिस्तान से बात करने के लिए वहाँ के प्रधानमंत्री को नहीं, सेना प्रमुख को बुलाता है।
ख़ैर, तो मुद्दा यह है कि आसिम मुनीर को अमेरिका में अपने ही देश के लोगों के सामने यूँ शर्मिन्दगी क्यों उठानी पड़ी? इसके पुख़्ता कारण हैं। आसिम मुनीर, दरअस्ल पाकिस्तान के सबसे असफल सेना प्रमुख के रूप में देखे जाने लगे हैं, जिनसे न वहाँ की सेना सँभल रही है, न राजनीतिक दल और न ही सामरिक या विदेश के मामले। मिसाल के तौर पर वहाँ पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी लगातार सेना और आसिम मुनीर का विरोध कर रही है। मौज़ूदा प्रधानमंत्री शाहबाज़ और उनके मंत्री भी अपने बयानों से सेना की किरकिरी कराते रहते हैं। उदाहरण के लिए शाहबाज़ ने ही बीते दिनों तुर्किए में बयान दिया, “भारत ने हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, हथियारों के जखीरे उड़ा दिए और ड्रोन मार गिराए। यह एकतरफा हमला था, जिसने हमें हक्का-बक्का कर दिया।”
शाहबाज़ का यह बयान भारत के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के मद्देनज़र था, जिससे मुक़ाबले में आसिम मुनीर ने पाकिस्तान की जीत का बड़ा दम भरा था। हालाँकि, इसी ऑपरेशन के दौरान भारत पर ज़वाब कार्रवाई की अपनी नाक़ाम कोशिशों के दौरान उनकी सेना ने पाकिस्तान के नागरिक ठिकानों से मिसाइलें दागी थीं। यानि आम लोगों को आड़ बनाकर। उनकी सेना ने ड्रोन हमलों के वक़्त भी नागरिक विमान सेवाएँ चालू रखीं थीं। ताकि उसकी आड़ में पाकिस्तानी सेना तो हमला करती रहे, लेकिन भारत न कर सके। करे भी ताे भारतीय हमलों से पाकिस्तान का कोई आम नागरिक विमान गिर जाए और पाकिस्तान दुनिया के सामने छाती पीट सके। पर मंसूबे सफल नहीं हुए।
बलूचिस्तान प्रान्त में पाकिस्तानी सेना का नरसंहार,अत्याचार दुनिया को पता हैं। अलबत्ता, अब बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी पाकिस्तानी फौज़ को माक़ूल ज़वाब दे रही है। अफ़ग़ानिस्तान के साथ भी पाकिस्तान की फौज़ सीमा-विवाद में उलझी हुई है। ऐसे तमाम कारणों से पाकिस्तान के सैनिकों का मनोबल भी जब-तब टूट जाता है। मसलन- इसी साल अप्रैल में ऐसी ख़बरें आई थीं कि पाकिस्तानी फौज़ के 600 से क़रीब अफसरों तथा सैनिकों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। बात यहीं तक नहीं ठहरी है। भारत की ओर से सिन्धु नदी जल सन्धि को निलम्बित किए जाने का मामला भी अब तक आसिम मुनीर से सँभला नहीं है। भारत ने तीनों नदियों (सिन्धु, झेलम और चिनाब) का पानी रोका हुआ है। इससे पाकिस्तान में पानी का संकट है। किसान बुवाई नहीं कर पा रहे हैं। बल्कि वे राजधानी इस्लामाबाद में सरकार और सेना के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों की तैयारी कर रहे हैं। उनका गुस्सा किसी भी समय फूट सकता है।
कुल मिलाकर स्थिति यह है कि आसिम मुनीर ने भले ख़ुद को ‘फील्ड मार्शल’ बना लिया हो, लेकिन वह साबित हो रहे हैं, ‘फेल्ड मार्शल’ यानि नाक़ामयाब सेना प्रमुख। एक ऐसा सेना प्रमुख, जिसे न अपने मुल्क़ की फिक्र है, न वहाँ रहने वाले आम नागरिकों की। ऐसा, जो सिर्फ़ अपने हित की सोचता है। यह बात पाकिस्तान में रहने वाला कोई नागरिक खुलकर कहे या न कहें, समझे या नहीं, लेकिन दूसरे देशों में रहने वाले पाकिस्तानी ज़रूर समझ रहे हैं, कह भी रहे हैं। अमेरिका में रह रहे पाकिस्तानियों का विरोध प्रदर्शन इस बात का स्पष्ट प्रमाण है।
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