महाराष्ट्र के इस गाँव में रोज रात को डेढ़ घंटे टीवी-मोबाइल बन्द होता है, किताबें खुलती हैं

टीम डायरी

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में एक गाँव है मनगाँव। यहाँ अभी आठ मार्च से एक अनोखी पहल शुरू हुई है। गाँव की पंचायत ने तय किया है कि अब से रोज यहाँ देर शाम डेढ़ घंटे कहीं भी टीवी और मोबाइल नहीं चलेगा। वक्त शाम सात बजे से साढ़े आठ बजे तक का तय किया गया है। इस दौरान लोग क्या करते हैं? किताबें पढ़ते हैं। घर-परिवार वालों से बातें करते हैं। दोस्तों से गपियाते हैं। या ऐसा ही कोई दूसरा काम करते हैं। लेकिन न कोई इस दौरान टीवी देखता है, न ही मोबाइल को हाथ लगाता है। यहाँ तक कि केबल ऑपरेटर को भी पंचायत की ओर से निर्देश दे दिया गया है कि इस डेढ़ घंटे के समय में वह केबल-सेवा को पूरी तरह बन्द रखेगा। 

गाँव के सरपंच हैं राजू मागदम। उन्होंने मार्च के शुरू दिनों में मुम्बई के एक अखबार के प्रतिनिधि से इस फैसले के बाबत बातचीत की। बताया, “हम टीवी और मोबाइल के लती होते जा रहे हैं। इसके नतीजे में हमारा ध्यान लगातार भटकता रहता है। परिवार, दोस्तों से लम्बे-लम्बे समय तक हमारी बातचीत नहीं होती। या फिर बहुत कम होती है। इस संवादहीनता से कई तरह की पारिवारिक समस्याएँ सामने आ रही हैं। बढ़ रही हैं। उनका किसी को कोई समाधान नहीं सूझता। इसलिए हमने यह फैसला किया है। इसी साल 26 जनवरी को हमने इस मसले पर ग्राम पंचायत की बैठक में विचार किया और आठ मार्च, ‘महिला दिवस’ से इसे सर्वसम्मति से लागू कर दिया। ‘महिला दिवस’ से इसलिए क्योंकि पारिवारिक और सामाजिक समस्याओं से सर्वाधिक प्रभावित महिलाएँ ही होती हैं।” 

मागदम के मुताबिक, “हम रोज शाम सात बजे से पहले तीन मिनट के लिए गाँव के पंचायत-कार्यालय की मुँडेर पर लगा सायरन बजाते हैं। इससे सब सचेत हो जाते हैं। उसके बाद हर कोई अपने-अपने टीवी और मोबाइल बन्द कर देता है। फिर जिसकी जो मर्जी हो, वह वही करता है। यानी जो चाहे किताबें पढ़े। गाँव में इसके लिए बन्दोबस्त है। कोई चाहे, तो घरवालों से बातचीत करे। जिसकी इच्छा हो, दोस्तों के साथ घूमने-गपियाने निकल जाए।”

मागदम कहते हैं, “पंचायत के कर्मचारी और स्वयंसेवक इस अवधि के दौरान जगह-जगह सख्त निगरानी करते हैं। लोगों को इस पहल के फायदे समझाते हैं। अभी शुरुआत में हमने इसे ऐच्छिक रखा हुआ है। लेकिन आगे चलकर जो लोग इस नियम को नहीं मानेंगे, उन पर दंड भी लगाएँगे। पाँच बार नियम का उल्लंघन करने पर चेतावनी दी जाएगी। फिर छठी बार से सम्पत्ति-शुल्क में अर्थदंड की राशि जोड़कर वसूली की जाएगी।” 

वैसे, इस ‘शानदार’ खबर की मानें तो ऐसी पहल करने वाला मनगाँव अकेला गाँव नहीं है। इससे पहले सांगली जिले के पाँच गाँवों में इसी तरह का नियम लागू किया जा चुका है। इन गाँवों में एक घंटे तक मोबाइल-टीवी बन्द किए जाने की व्यवस्था है। जबकि कुछ अन्य गाँव भी अब इसी तरह पहल करने की तैयारी कर रहे हैं। 

बेशक़, है न मामला ‘रोचक-सोचक’? देहात के लोग उतने भी ‘देहाती’ नहीं होते, जितना शहरों के ‘शहराती’ उन्हें समझ लिया करते हैं!

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