प्रतीकात्मक तस्वीर
टीम डायरी
जो दिखता है, वही हमेशा सही नहीं होता। जैसे कि इस वीडियो में। इसे पहली नज़र में देखने पर लगता है, जैसे कोई सिर कटा धड़ हाथ में शीशा लिए हुए बैठा हो। लेकिन दूसरे ही पल जब कैमरा दूसरे पहलू की तरफ़ जाता है तो वहाँ एक लड़की बैठी हुई दिखाई देती है।
दरअस्ल, इसी में ज़िन्दगी का सबक छिपा है कि हमेशा किसी बारे में धारणा बनाने से पहले थोड़ी प्रतीक्षा करनी चाहिए। दूसरे पहलू के सामने की राह देखनी चाहिए। या दूसरा पहलू भी क्यों कहें? पूरा सच सामने आने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। क्योंकि कई बार दो पहलुओं को मिलाकर भी सच मुकम्मल नहीं होता।
वह कहते हैं न, सिक्के के दो नहीं, तीन पहलू हुआ करते हैं। एक- जो हमने देखा। दूसरा- जो किसी दूसरे ने देखा। और तीसरा- वह जो पूरा है अपने आप में। ज़िन्दगी में इस छोटी सी बात को अगर याद रख लिया, तो कई ग़लतफ़हमियों से बचने का इंतिज़ाम हो जाएगा, सच मानिए।
काश, मानव जाति का विकास न हुआ होता, तो कितना ही अच्छा होता। हम शिकार… Read More
इस साल के जनवरी महीने की 15 तारीख़ तक के सरकारी आँकड़ों के अनुसार, भारत… Read More
"अपने बच्चों को इतना मत पढ़ाओ कि वे आपको अकेला छोड़ दें!" अभी इन्दौर में जब… Read More
क्रिकेट में जुआ-सट्टा कोई नई बात नहीं है। अब से 30 साल पहले भी यह… Read More
जी हाँ मैं गाँव हूँ, जो धड़कता रहता है हर उस शख्स के अन्दर जिसने… Read More
अभी 30 मार्च को हिन्दी महीने की तिथि के हिसाब से वर्ष प्रतिपदा थी। अर्थात्… Read More