विजयादशमी पर ‘शक्ति का नाद, शक्ति द्वारा, शक्ति के लिए’!

टीम डायरी, 26/10/2020

विजयादशमी, यानि विजय के उद्घोष का दिन। ये उद्घोष अगर ‘शक्ति का, शक्ति द्वारा और शक्ति के लिए’ हो तो? प्रश्न जितना ‘रोचक’ (Interesting) है, उतना ही ‘सोचक’ (Thinkable) भी। और इसका उत्तर ‘द मिस्टिक बैम्बू अकादमी’ के इस वीडियो में है।

इस वीडियो में ‘राग दुर्गा’ सुनाई दे रहा है। दुर्गा यानि शक्ति, जिसकी पूरे देश ने अभी नौ दिनों तक साधना, आराधना की। इस तरह ये ‘शक्ति का नाद’ हुआ।

इसमें सभी वादक-कलाकार महिलाएँ हैं। महिला यानि शक्ति का जीवन्त प्रतीक। लिहाज़ा इस अर्थ में ‘शक्ति का नाद, शक्ति द्वारा’ बन गया।

सभी महिला कलाकारों ने बाँसुरी के रूप में ऐसे वाद्य को साध रखा है, जिसे वर्षों तक सिर्फ़ पुरुषों से जोड़कर रखा गया। भक्ति पदों की रचना करने वाले कई कवियों ने श्रीकृष्ण की बाँसुरी को राधा की सौत तक कहने से परहेज नहीं किया। इस तरह दोनों को विरोधाभासी दिखाया गया। लेकिन आज, वर्तमान में, ये और इनकी तरह कई महिला बाँसुरी वादक इस पुरुषवादी अवधारणा को तोड़ती हैं। मिथक झुठलाती हैं। मानो, कृष्ण की बाँसुरी राधा बजाती हैं। सो, इस रूप में ‘शक्ति का नाद, शक्ति द्वारा, शक्ति के लिए’ हुआ। इस विजयादशमी पर विजय का इससे बेहतर उद्घोष कोई हाे सकता है क्या?

वीडियो में दिख रही कलाकारों का परिचय भी रुचिकर है। मसलन- शुरुआत में ही बाँसुरी से आलाप छेड़ने वालीं नासिक, महाराष्ट्र की श्लोका शिन्दे अभी 10वीं कक्षा में पढ़ती हैं। लेकिन इतनी उम्र में ही वे बाँसुरी से संगीत की अखिल भारतीय प्रतियोगिता जीत चुकी हैं। उनके साथ पियानो पर डेविना वेकारिया हैं। ये पौष्टिक आहार विशेषज्ञ (nutritionist) हैं। बाँसुरी भी बजाती हैं। माधवी पॉल दन्त चिकित्सक हैं। अमिया भाटिया चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं। दीपांजलि सागर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की पेशेवर हैं। लॉरेन्स फ्रांस से ताल्लुक रखती हैं। और इशिता नासिक से, जो पढ़ाई तो 10वीं की ही कर रही हैं पर बाँसुरी में उच्च शिक्षा के स्तर पर हैं। अलग-अलग दिशाओं के इन मनकों को एक माला में पिरोने का काम क्षितिज सक्सेना ने किया है, सौरव पुरोहित के साथ।

और इन सबका आधार हिमांशु नन्दा जी, जहाँ से ये तथा इनके जैसी तमाम कोपलें फूट रही हैं। हिमांशु नन्दा, जाने-माने बाँसुरी वादक, ‘द मिस्टिक बैम्बू अकादमी’ के संस्थापक, पुणे के चिन्मय नाद बिन्दु (गुरुकुल) के सह-संस्थापक और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जी के वरिष्ठ शिष्य। पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, जहाँ बाँसुरी से जुड़ा हर परिचय शुरू और ख़त्म होता है।

——–

(नोट : यह वीडियो ‘द मिस्टिक बैम्बू अकादमी’ (The Mystic Bamboo Academy) की बौद्धिक सम्पदा (Intellectual Property, Copyright) का हिस्सा है। इसे हिमांशु नन्दा जी की अनुमति से #अपनीडिजिटलडायरी पर लिया गया है। इस वीडियो का बिना इजाज़त किसी भी रूप में इस्तेमाल कानूनी कार्यवाही का कारण बन सकता है।)

सोशल मीडिया पर शेयर करें
Apni Digital Diary

Share
Published by
Apni Digital Diary

Recent Posts

पहलगाम आतंकी हमला : मेरी माँ-बहन बच गईं, लेकिन मैं शायद आतंकियों के सामने होता!

पहलगाम में जब 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ, तब मेरी माँ और बहन वहीं… Read More

4 minutes ago

सुनो सखी…, मैं अब मरना चाहता हूँ, मुझे तुम्हारे प्रेम से मुक्ति चाहिए

एक ‘आवारा’ ख़त, छूट गई या छोड़ गई प्रियतमा के नाम! सुनो सखी मैं इतने… Read More

3 hours ago

भारत ने फेंका पासा और पाकिस्तान का पैर कुल्हाड़ी पर, गर्दन फन्दे में! जानिए कैसे?

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला तो करा दिया, लेकिन उसे शायद ऐसी… Read More

2 days ago

चिट्ठी-पत्री आज भी पढ़ी जाती हैं, बशर्ते दिल से लिखी जाएँ…ये प्रतिक्रियाएँ पढ़िए!

महात्मा गाँधी कहा करते थे, “पत्र लिखना भी एक कला है। मुझे पत्र लिखना है,… Read More

3 days ago

वास्तव में पहलगाम आतंकी हमले का असल जिम्मेदार है कौन?

पहलगाम की खूबसूरत वादियों के नजारे देखने आए यात्रियों पर नृशंसता से गोलीबारी कर कत्लेआम… Read More

3 days ago

चिट्ठी, गुमशुदा भाई के नाम : यार, तुम आ क्यों नहीं जाते, कभी-किसी गली-कूचे से निकलकर?

प्रिय दादा मेरे भाई तुम्हें घर छोड़कर गए लगभग तीन दशक गुजर गए हैं, लेकिन… Read More

4 days ago