भगवद् गीता पढ़िए, किसी और मोटिवेटर की ज़रूरत नहीं पड़ेगी

समीर शिवाजीराव पाटिल, भोपाल मध्य प्रदेश

मोटिवेशन यानि प्रेरणा तीन चीजों से आती है। सम्बन्ध, समझ और संसाधन। ये तीनों चीजें एक साथ चाहिए होती हैं। ऐसा नहीं होता कि इसमें से कोई एक मिल जाए तो व्यक्ति प्रेरित हो जाएगा। हो सकता है, कि कोई प्रेरिक व्यक्ति अर्थात् जिन्हें आजकल मोटिवेटर कहा जाता है, हमारी समझ के स्तर पर थोड़ा-बहुत काम कर दे। लेकिन वह हमें स्थायी तौर पर या सतत प्रेरित करते नहीं रह सकता। इसका कारण है। 

कारण है बाज़ारवाद। बाज़ार में उपलब्ध मोटिवेटर्स के लिए हम सिर्फ फॉलोअर रूपी दौलत होते हैं। इस ‘दौलत’ को वह खोना नहीं चाहता। हमेशा अपनी जेब में लेकर घूमना चाहता है। लगातार भुनाते रहना चाहता है। इसीलिए वह कोशिश करता है कि हम उसके वीडियो, सेमिनार, आदि से आगे न जाने पाएँ। उतना ही सोच-समझ पाएँ, जितना वह समझाना चाहता है। हम उस पर निर्भर हो जाएँ। इस तरह वह अपनी क्षमता और प्रभाव को तो बढ़ाता ही है, लगाकर पैसा बनाने की कोशिश भी करता रहता हैं। उसका अन्तिम उद्देश्य भी यही होता है। 

तो फिर हम क्या करें? सीधा सा उत्तर है। प्रेरित होने के लिए बाज़ार में फैले-उतराते ‘मोटिवेटर्स’ के हाथों में ख़ुद को न सौंपें। अपने आस-पास देखें। माता-पिता, गुरु, परिजन, सम्बन्धीजन, आदि की जीवनयात्रा पर ग़ौर करें। उसका चिन्तन करें। उसमें निश्चित ही, ऐसा बहुत-कुछ होगा, जो हमें प्रेरित करेगा।

भारत हमेशा से महापुरुषों की भूमि रही है। आदिकाल से लेकर वर्तमान तक ऐसे अनेकानेक महापुरुष हुए हैं, जिनका जीवनवृत्त प्रेरक प्रसंगों से भरा पड़ा है। उसका अध्ययन, चिन्तन और मनन करें। और तीसरी बात-  श्रीमद्भगवद् गीता, श्रीमद् रामायण, रामचरित मानस, महाभारत, जैसे सद् ग्रन्थों का अध्ययन करें। जीवन की हर मुश्किल का समाधान, हर गुत्थी की सुलझ और जीवन जीने की समस्त कलाएँ (हाँ, जीवन जीना किसी कला से कम नहीं) इन ग्रन्थों में मिल जाएगी। इसके बाद किसी और मोटिवेटर की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। 

यक़ीन मानिएगा।

——-

(भगवद्गीता समूह की ओर से प्रसारित इस जनहितैषी सन्देश को #अपनीडिजिटलडायरी के प्रारम्भिक सदस्यों में शुमार समीर शिवाजीराव पाटिल ने अग्रेषित किया है। #अपनीडिजिटलडायरी के अपने सरोकारों के कारण इसे डायरी के पन्नों पर दर्ज़ किया गया है।)

सोशल मीडिया पर शेयर करें
From Visitor

Share
Published by
From Visitor

Recent Posts

व्यासपीठ से भी कथावाचक पूरे आत्मविश्वास के साथ ग़लतियाँ कैसे कर लेते हैं? ज़वाब सुनिए…

अभी क़रीब एक महीने पहले की बात है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक… Read More

4 hours ago

‘मायावी अम्बा और शैतान’: जंगल में महज किसी की मौत से कहानी खत्म नहीं होती!

अंबा ने ध्यान से देखा तो नकुल को करीब 20 मीटर दूर उसकी बंदूक पर… Read More

1 day ago

Dream of Digital India : A cashless India is the first step towards

“In a world that’s rapidly evolving, India is taking giant strides towards a future that’s… Read More

3 days ago

सनातन धर्म क्या है?

(लेखक विषय की गम्भीरता और अपने ज्ञानाभास की सीमा से अनभिज्ञ नहीं है। वह न… Read More

6 days ago

‘जानवरख़ोर’ बुलन्द हैं! हाथी मार दिए गए-सजा किसी को नहीं, बाघ गायब हैं-देखा जाएगा!!

दुनिया में तो होंगे ही, अलबत्ता हिन्दुस्तान में ज़रूर से हैं...‘जानवरख़ोर’ बुलन्द हैं। ‘जानवरख़ोर’ यानि… Read More

6 days ago

वे ‘देवदूत’ की तरह आते हैं, मदद करते हैं और अपने काम में लग जाते हैं!

हम अपने नित्य व्यवहार में बहुत व्यक्तियों से मिलते हैं। जिनके प्रति हमारे विचार प्राय:… Read More

1 week ago