प्रतीकात्मक तस्वीर
टीम डायरी
जीवन में सफलता के दम्भ में चूर लोग अक्सर दावा किया करते हैं कि उन्होंने “जो भी मक़ाम हासिल किया अपने दम पर किया”, “ज़िन्दगी में कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया” “कभी किसी से मदद नहीं ली”, वग़ैरा, वग़ैरा। जबकि जीवन में हम सभी के हर हासिल के पीछे न जाने कितने लोगों की योगदान होता है। इनमें कुछ को हम देख पाते हैं, कुछ को देखकर अनदेखा कर देते हैं और कुछ को तो देख ही नहीं पाते।
ठीक इस वीडियो की तरह। ग़ौर से देखिए इसे। इन मोहतरमा को ऐसा लगता है कि अपने ख़ास यंत्र के जरिए ये अपनी पेंसिल ख़ुद छील रही हैं। जबकि यंत्र के भीतर की सच्चाई कुछ और है, जिसका इन्हें अन्दाज़ा भी नहीं।
दरअस्ल यही जीवन की सच्चाई है। इसलिए जहाँ तो हो सके, हमें दम्भ से दूर रहने की क़ोशिश करनी चाहिए। जितना हो सके, उन ज्ञात-अज्ञात मददग़ारों के लिए कृतज्ञ होना चाहिए, जो हमें किसी मक़ाम तक पहुँचाने के लिए सीढ़ियों की तरह कहीं खप गए हैं। या फिर खपते जा रहे हैं। और इतना ही नहीं, ईश्वर ने हमें जो, जितनी भी सक्षमता दी है, उसके माध्यम से जितना बन पड़े अपने ज्ञात-अज्ञात मददगारों के लिए, उनके नाम पर समाज को कुछ न कुछ वापस लौटाते चलिए। लोग अपनी दुआओं में हमें भी ज़रूर याद रखेंगे।
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